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दो किमी से लाते हैं पीने का पानी
बदहाली . मुरहू के कोजरोंग गांव में बुनियादी सुविधा का घोर अभाव खूंटी जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा है मुरहू प्रखंड का कोजरोंग गांव. इस गांव में बुनियादी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. न बिजली है. न सड़क है अौर न ही पेयजल की व्यवस्था. ग्रामीण दो […]
बदहाली . मुरहू के कोजरोंग गांव में बुनियादी सुविधा का घोर अभाव
खूंटी जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा है मुरहू प्रखंड का कोजरोंग गांव. इस गांव में बुनियादी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. न बिजली है. न सड़क है अौर न ही पेयजल की व्यवस्था. ग्रामीण दो किलोमीटर दूर तजना नदी से पीने के लिए पानी लाते हैं.
खूंटी : कोजरोंग गांव में पांच टोले हैं. कोजरोंग सहित पुरनाटोला, ताला टोला, कोचा टोला, टिकरा टोला एवं पराम टोला. सभी टोलों को मिला कर आबादी करीब पांच सौ की है. यहां मुंडा व स्वांसी समुदाय के लोग रहते हैं.
एक भी नलकूप नहीं है
कोजरोंग गांव में एक भी नलकूप नहीं है. गांव के पुरुष पीने का पानी दो किलोमीटर दूर तजना नदी या फिर एक नाला से लाते हैं. जहां उन्हें गंदा पानी ही मयस्सर होता है. पानी पुरुष ही लाते हैं, क्योंकि इतनी दूर जाकर पानी लाना महिलाअों के लिए मुश्किल होता है.
शिक्षा की हालत दयनीय
गांव में शिक्षा का स्तर नहीं के बराबर है. अधिकतर लोग मुंडारी भाषी हैं. वे हिंदी समझ ही नहीं पाते. उच्च शिक्षा की बात इनके लिए बेमानी है.
कृषि भगवान भरोसे : गांव में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. बरसात हुई, तो ग्रामीण जमे पानी से खेती कर लेते हैं. गांव में सिंचाई के लिए एक भी कूप नहीं बना है.
बरसात में टापू बन जाता है गांव
ग्रामीणों को खूंटी या मुरहू जाने के लिये करीब 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. बरसात में लोग तजना नदी से घिर जाते हैं. कोई साधन नहीं होने के कारण नदी पार कर मुरहू जा कर जरूरी चीजों को खरीद लाते हैं. चिकित्सा की भी कोई व्यवस्था नहीं है. अगर कोई बीमार पड़ जाये, तो उसका इलाज देशी चिकित्सा पर निर्भर है.
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