नुकसान . खराब गुणवत्ता के कारण जामताड़ा रेलवे साइडिंग से नहीं बिक रहा कोयला
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साढ़े आठ हजार टन कोयला डंप
नुकसान . खराब गुणवत्ता के कारण जामताड़ा रेलवे साइडिंग से नहीं बिक रहा कोयला चितरा से जामताड़ा के बीच कोयला ढुलाई के दौरान चोरी व मिलावट के हो रहे खेल का खमियाजा इसीएल प्रबंधन को झेलना पड़ रहा है. इस मामले में इसीएल प्रबंधन व जामताड़ा जिला प्रशासन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगा रहा है. […]
चितरा से जामताड़ा के बीच कोयला ढुलाई के दौरान चोरी व मिलावट के हो रहे खेल का खमियाजा इसीएल प्रबंधन को झेलना पड़ रहा है. इस मामले में इसीएल प्रबंधन व जामताड़ा जिला प्रशासन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगा रहा है.
जामताड़ा : चितरा से जामताड़ा तक इसीएल का कोयला ढुलाई बंद रहने से जामताड़ा रेलवे साइडिंग पर साढ़े आठ हजार टन कोयला डंप हो गया है. इसकी मुख्य वजह खराब गुणवत्ता के का कोयला रहना बताया जा रहा है. नतीजा जामताड़ा रेलवे साइडिंग पर कोयला रखने की अब जगह भी नहीं बची है. इस पर चितरा प्रबंधन ने सांकतोड़िया जांच टीम के साथ बैठक भी रखी थी. कोयले की हो रही चोरी तथा सही तरीके से बिक्री नहीं होने की वजह से कोयला ढुलाई चितरा प्रबंधन ने बंद कर दिया है. प्रति टन कोयले की बिक्री 14 सौ रुपये में की जाती है.
इधर इसीएल के एसपी माइंस चितरा कोलियरी से इन दिनों कोयले का डिसपैच बंद है. खराब गुणवत्तायुक्त कोयला के कारण प्रबंधन ने एक सितंबर से डिसपैच पर रोक लगा दिया है. कोलियरी प्रबंधन के आंकड़े को मानें तो अब तक 11 दिनों में तकरीबन नौ करोड़ का नुकसान हो चुका है. मिली जानकारी के अनुसार जामताड़ा रेलवे साइडिंग में तकरीबन साढ़े आठ हजार हजार टन कोयला का स्टॉक हो गया है. खरीददार आ रहे हैं लेकिन रेलवे साइडिंग में पत्थर व मिट्टी युक्त कोयला देखकर खरीदारी से मुकर जा रहे हैं. इस कारण एक अप्रैल से अब तक कोलियरी को करोड़ों का घाटा हो चुका है.
फायदे में रहने वाली इसीएल अब घाटे में :जिस तरह से स्टॉक में हेराफेरी हुई, पत्थर और मिट्टी युक्त कोयले को अच्छे कोयले में मिलाकर स्टॉक दिखाया गया. इसका असर कोयले की बिक्री पर पड़ा है. इस कारण जो इसीएल चितरा कोलियरी हर वर्ष 200 से 250 करोड़ के फायदे में रहता था. अप्रैल से अब तक घाटे का सामना कर रहा है. अब इसके लिए पूर्व के अधिकारी दोषी हैं या कोलियरी प्रबंधन या इसीएल के आलाधिकारी यह तो जांच के विषय है लेकिन चितरा कोलियरी का यही हाल रहा तो इसे बंद होने से कोई नहीं रोक सकती है.
11 दिन में इसीएल को नौ करोड़ का नुकसान
जामताड़ा रेलवे साइडिंग पर जमा कोयला का ढ़ेर.फोटो। प्रभात खबर
तीन लाख टन कोयले का स्टॉक कोलियरी में
चितरा कोलियरी में तीन लाख टन कोयले का स्टॉक है. डिसपैच हो नही रहा है, खरीददार नहीं आ रहे हैं. एक अप्रैल से 31 अगस्त तक कोयले का उत्पादन भी बहुत कम हुआ है. क्योंकि कोयले की बिक्री ही नहीं हो रही है. रोजाना तकरीबन 1000 से 1500 टन कोयला का उत्पादन हो रहा है. कई जगह कोयले का उत्पादन विभिन्न कारणों से बंद है. 31 मार्च तक वित्तीय वर्ष की समाप्ती पर जो स्टॉक दिखाया गया था तीन लाख टन था. लेकिन कोयले की गुणवत्ता सही नहीं रहने के कारण चितरा का कोयले का डिसपैच नहीं हो पा रहा है.
पूर्व में स्टॉक की हो चुकी है विजिलेंस जांच
31 मार्च से पूर्व जो स्टॉक तीन लाख टन का दिखाया गया था. बताया जाता है कि उस स्टॉक का 75 फीसदी कोयला खराब गुणवत्ता वाला है. उस वक्त ही कुछ अनियमितता के मामले में इसीएल की विजिलेंस टीम जांच कर चुकी है. इस मामले में कुछ कार्रवाई भी हुई थी लेकिन मामला टायं-टायं फिस हो गया है. अब कोयला डंप होने के बाद इसीएल प्रबंधन कार्रवाई के फिराक में जुट गया है.
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