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… और बना डाली सौ फीट लंबी पुलिया
जामताड़ा : कहते हैं हौसले बुलंद हो तो दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं होता. ऐसा ही एक उदाहरण जिले के प्रखंड क्षेत्र के बीरगांव में देखने को मिला है. बीरगांव के श्यामपुर घाट पर स्थानियों लोगों द्वारा वर्षों से पुल बनाने की मांग की जा रही थी मगर आज तक पुल पूरी तरह […]
जामताड़ा : कहते हैं हौसले बुलंद हो तो दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं होता. ऐसा ही एक उदाहरण जिले के प्रखंड क्षेत्र के बीरगांव में देखने को मिला है. बीरगांव के श्यामपुर घाट पर स्थानियों लोगों द्वारा वर्षों से पुल बनाने की मांग की जा रही थी मगर आज तक पुल पूरी तरह से बन नही पाया.
पुल के नहीं होने से लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी हाे रही थी. आखिरकार ग्रामवासियों ने अपनी समस्या खुद निबटाने की सोची और प्रयास में जुट गये. ग्रामीणों ने देखते ही देखते बराकर नदी में करीब 100 फीट लंबी बांस की पुलिया बना डाली. आज इस पुलिया से रोजाना बाइक और चार पहिया वाहन का आना-जाना लगा रहता है.
मरम्मती में है हर रोज 200 रुपये खर्च : पुलिया से गुजरने वाले लोग कुछ पैसा देते हैं. जिससे उन लोगों की आजीविका चलती है वहीं पुल की मरम्मती का भी काम हो जाता है. जानकारी के मुताबिक पुलिया की मरम्मत में हर रोज 200 रुपये का खर्च आता है. जिसे ये लोग राहगीर से उठाते हैं और इसकी मजबूती बनाये रखते हैं. वहीं आने-जाने वाले लोग इसे देने में गुरेज भी नहीं करते.
पुलिया से दूर हुई लोगों की परेशानी
गांव के निवास चंद्र मंडल ने बताया कि सुखाड़ के दिन में तो लोग नदी पार कर लेते थे. लेकिन बारिश के दिनों में लोगोंं को काफी परेशानी होती थी. हमलोग अपनी नाव से लोगों को इस पार से उस पार पहुंचाने का काम करते थे. लेकिन तेज हवा जब बहती थी तो नाव पलटने का डर बना रहता था. जिस कारण हमलोगों ने निर्णय लिया की अब दूसरे का आसरा छोड़ कर खुद अपनी समस्या का समाधान किया जाय. आज हमलोगों ने अपने प्रयास से बांस की पुलिया का निर्माण कर लिया.
सात सालों में भी लोगों को नहीं मिल सका पुल का सौगात
बताते चलें कि पहले जिला प्रशासन द्वारा यहां पुल बनाने का काम किया गया था. लेकिन आज सात साल बीतने के बात भी पूरा नहीं किया जा सका. सबसे बड़ी बात तो ये है कि दो जिलाें की पेंच में पुल नहीं बन पा रहा है.
ना ही इस और जिला प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान देना सही समझा है. वहीं बताते चले कि ये पुलिया जामताड़ा और धनबाद जिला को जोड़ने का काम करती है. इस पुल के जरीये जामताड़ा और धनबाद की दूरी 15 किलोमीटर हो जाती है. पुल के इस बार जामताड़ा जिला और पुल के उस पार धनबाद जिला है.
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