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पहला जुमा : अमन-शांति व भाईचारगी के लिए मांगी दुआ

जमशेदपुर: माह ए रमजान के पहले जुमा के दिन कड़ी धूप काे नजर अंदाज कर काफी संख्या में नमाजियों ने अल्लाह की घर की ओर रूख किया. शहर की मसजिदें रोजेदार नमाजियों से खचाखच भरी थी. धूप से बचने के लिए शामियाना आैर टाट बिछाया गया था. मानगाे आैर साकची में नमाज के दाैरान सुरक्षा […]

जमशेदपुर: माह ए रमजान के पहले जुमा के दिन कड़ी धूप काे नजर अंदाज कर काफी संख्या में नमाजियों ने अल्लाह की घर की ओर रूख किया. शहर की मसजिदें रोजेदार नमाजियों से खचाखच भरी थी. धूप से बचने के लिए शामियाना आैर टाट बिछाया गया था. मानगाे आैर साकची में नमाज के दाैरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. साकची जामा मसजिद के पास ट्रैफिक पुलिस ने सड़क मार्ग को डायवर्ट कर दिया था, जिसके कारण कुछ देर तक वहां जाम की स्थिति बनी रही.

इसके अलावा मानगाे बारी मसजिद में नमाजियाें की संख्या काफी अधिक हाेने के कारण कतार सड़क तक आ गयी थी, जिसके कारण वहां पारडीह की आेर जानेवाली सड़क काे दाे नंबर मार्ग से बंद डायवर्ट कर दिया गया था. मसजिदाें में जुमा की नमाज के पहले खुतबा का अायाेजन किया गया. सभी मसजिदाें के इमाम-माैलाना ने अपने खुतबा में देश-प्रदेश-शहर में अमन-शांति आैर भाईचारगी के लिए दुआ की. लाेगाें से अपील की कि वे शांति के साथ मिलकर रहे. किसी के बहकावे में नहीं आये, खुद चीजाें काे बारीकी से समझें. खुतबा में जकात पर विशेष चर्चा हुई.

इसलाम का बुनियादी उसूल है जकात
मसजिद ए गरीब नवाज के पेश ए इमाम माैलाना हाफिज कारी कलीम कैसर ने कहा कि जकात को दो हिजरी में मुसलमानों पर अनिवार्य घोषित किया गया है. इससे भागनेवालाें का राेजा-रमजान कबूल नहीं हाेगा. पैगंबर ए आजम मोहम्मद सअ. गरीब व बेसहारा का किसी भी हद तक जाकर सहयाेग करते थे. जकात की अदायगी का इसलामी उसूल है कि वह व्यक्ति जिसके पास धन, दौलत, चल-अचल संपत्ति इसलाम मजहब के पांच महत्वपूर्ण सतून (स्तंभ) हैं. इनमें ईमान और नमाज के बाद जकात तीसरा रूकन है, जिसे अदा करना फरमान ए इलाही (अल्लाह तबारक व तआला का आदेश) है. मसजिद में पंचवक्ता नाम भी पेश ए इमाम मंजर हसनैन द्वारा पढ़ायी जा रही है.तारीख के आइने में रमजान. 10 रमजान पैगंबर ए अकरम की पत्नी हजरत खदीजा की वफात, 15 रमजान पैगंबर अकरम के नवासे इमाम हसन की विलादत, 17 रमजान जंग ए बदर, 19 रमजान पहली शब ए कद्र, 19 रमजान पैगंबर अकरम के चचेरे भाई हजरत अली पर हमला, 21 रमजान दूसरी शब ए कद्र, 21 रमजान हजर अली की शहादत, 23 रमजान तीसरी शब ए कद्र, 27 रमजान कलाम ए पाक नाजिल हुआ, 27 रमजान बड़ी शब ए कद्र 29 रमजान शब ए कद्र आैर हजरत इसा की विलादत.

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