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टाटा वर्कर्स यूनियन: मैनेजमेंट का पिछलग्गू न बने यूनियन पदाधिकारी
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन की मंगलवार को आयोजित कमेटी मीटिंग में सदस्यों ने यूनियन को मजदूरों के मुद्दे पर आगे बढ़कर अहम भूमिका निभाने व लड़ाई लड़ने का आह्वान किया. माइकल जॉन सभागार में आयोजित बैठक में सदस्यों ने यूनियन नेताओं पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए कहा कि देश की अग्रणी यूनियन मैनेजमेंट का पिछलग्गू […]
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन की मंगलवार को आयोजित कमेटी मीटिंग में सदस्यों ने यूनियन को मजदूरों के मुद्दे पर आगे बढ़कर अहम भूमिका निभाने व लड़ाई लड़ने का आह्वान किया. माइकल जॉन सभागार में आयोजित बैठक में सदस्यों ने यूनियन नेताओं पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए कहा कि देश की अग्रणी यूनियन मैनेजमेंट का पिछलग्गू न बने बल्कि मजदूरों के हक व अधिकार के लिए प्रबंधन के सामने सिर उठाकर बात करे. हालांकि अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि प्रबंधन के साथ वार्ता वे अपने स्टाइल से ही करेंगे, किसी के बहकावे में आकर लड़ाई नहीं लड़ेंगे. अध्यक्ष की इस टिप्पणी पर हाउस में अध्यक्ष समेत तमाम पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज उठायी गयी और आरोप लगाया गया कि कमेटी मेंबरों को कमजोर किया जा रहा है. मजदूरों की सुविधाओं में सिर्फ कटौती करने के लिए यह कमेटी याद की जायेगी.
धर्मेंद्र ने पढ़ा पिछली मीटिंग का ब्योरा
टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में सबसे पहले दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद सहायक सचिव धर्मेंद्र उपाध्याय ने पिछली मीटिंग के मिनट्स को पढ़कर सुनाया. इसके बाद कोषाध्यक्ष प्रभात लाल ने एकाउंट सबके समक्ष रखा.
एक करोड़ खर्च पर विपक्ष ने घेरा
कोषाध्यक्ष प्रभात लाल द्वारा पेश किये गये एकाउंट पर विपक्ष के नेता व पूर्व सहायक सचिव आरके सिंह ने आपत्ति जतायी. उन्होंने बताया कि दो मीटिंग पूर्व ही एकाउंट में इंटक को एक करोड़ रुपये चंदा देने का मुद्दा उठाया गया था, जिसे अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आखिर यूनियन ने इतनी बड़ी राशि दी है अथवा नहीं इसकी लिखित सूचना तक नहीं दी गयी है. कोषाध्यक्ष ने एकाउंटर को लेकर संवेदनशील होने की बात कही तब विपक्ष के नेता ने सवाल किया कि क्या कमेटी मेंबर असंवेदनशील है? क्यों नहीं एक करोड़ की जानकारी दे रहे है? तब अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने बीच-बचाव करते हुए एक करोड़ रुपये का ब्योरा लिखित देने की बात कहते हुए समय मांगा.
सीएमजी बन गया, बेनीफिट नहीं
मर्चेंट मिल के कमेटी मेंबर एके सिन्हा ने सवाल किया कि वर्ल्ड क्लास मेंटेनेंस, जिसको सीएमजी के रूप में जाना जाता था, उसे लागू तो कर दिया गया, लेकिन अब तक उसका बेनीफिट नहीं मिला है. इसे तत्काल भुगतान कराया जाये.
डिस्चार्ज कर्मचारियों को मिले सुविधा
एमइडी इलेक्ट्रिकल के कमेटी मेंबर व विपक्ष के नेता आरके सिंह ने भी मेडिकल एक्सटेंशन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि डिस्चार्ज लोगों की सुनवाई हाईकोर्ट में हो रही है. इस सुनवाई में मैनेजमेंट की जांच को रद्द कर दिया गया है. ऐसे में यूनियन को चाहिए कि ऐसे कर्मचारियों को जीवन यापन भत्ता और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए आर्थिक मदद दी जाये ताकि उनको न्याय मिल सके.
मेडिकल एक्सटेंशन पर धरना अनुचित
एलडी वन के कमेटी मेंबर जोगिंदर सिंह जोगी ने कहा कि मेडिकल एक्सटेंशन को लेकर 20 कमेटी मेंबरों ने धरना दिया था, जो सर्वथा अनुचित कदम था. इसको लेकर हमेशा से काम चल रहा है और यूनियन पर पूरा भरोसा है. उन्होंने डब्ल्यूसीएम के तहत बेनीफिट दिलाने की भी मांग की.
मेडिकल एक्सटेंशन जरूरी
एलडी 2 के कमेटी मेंबर आरके झा ने कहा कि मेडिकल एक्सटेंशन को हर हाल में चालू रखा जाना चाहिए. इस स्थिति को तत्काल साफ किया जाये ताकि समस्या का स्थायी समाधान हो सके.
यूनियन कोई प्रस्ताव क्यों नहीं देती : अरुण
एमइडी इलेक्ट्रिकल के कमेटी मेंबर व विपक्ष के नेता अरुण सिंह ने यूनियन नेतृत्व पर यह कहकर हमला बोला कि कमेटी मेंबरों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. चार माह बाद मीटिंग हो रही है जो गलत है. डब्ल्यूसीएम लागू कर दिया गया और बेनीफिट नहीं दिया गया. इस बीच उनके विभाग में 20 लोग रिटायर कर गये है, क्या रिटायर लोगों को अध्यक्ष बेनीफिट दिलायेंगे? उन्होंने बताया कि 1956 का समझौता पर पुर्नविचार किया जा रहा है, जो गलत है. इसके अलावा क्वार्टर के मेंटेनेंस को लेकर जो कटौती का प्रस्ताव है, वह भी गलत है. उन्होंने बताया कि मैनेजमेंट यूनियन को सिर्फ प्रस्ताव देती है बल्कि यूनियन की ओर से आज तक दो साल में कभी प्रस्ताव नहीं दिया गया.
मेडिकल एक्सटेंशन क्यों मुद्दा नहीं बना : झा
विपक्ष के नेता व कोक प्लांट के कमेटी मेंबर आरसी झा ने कहा कि मेडिकल एक्सटेंशन को लेकर पहले भी विरोध करने की बात हुई थी, लेकिन अध्यक्ष समेत तमाम लोग इसको नहीं माने, उलटे 1956 के ऐतिहासिक समझौता को ही बदलने की तैयारी करने लगे है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि जेसीसीएम की मीटिंग में जब मैनेजमेंट व यूनियन मिलकर काम करती है तो मैनेजमेंट ने जब दो एजेंडा ही बनाया तो यूनियन ने मेडिकल एक्सटेंशन का मुद्दा क्यों नहीं बनाया? उन्होंने कहा कि यूनियन के पदाधिकारी कमेटी मेंबरों का अधिकार छीनने में लगे है. संविधान के विपरीत दो माह की जगह चार माह में मीटिंग बुलायी गयी है. वेज रिवीजन समझौता 2018 में लंबित हो जायेगा.
विपक्ष के अंदाज में नहीं होगी लड़ाई : अध्यक्ष
कमेटी मीटिंग की शुरुआत में ही अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कहा कि मेडिकल एक्सटेंशन को लेकर बातचीत चल रही है और इसमें वे लोग पीछे नहीं हटने वाले है. 1956 के समझौता के मूल ढांचा के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया जायेगा. क्वार्टर मेंटेनेंस के प्रस्तावों पर उन्होंने बताया कि बातचीत चल रही है. अंत में श्री प्रसाद ने लोगों को संबोधित किया. इस दौरान वे बैकफुट पर आये और कहा कि जिस तरह से विपक्ष चाहता है कि मैनेजमेंट से लड़ाई करें तो यह संभव नहीं है. बातचीत का रास्ता अपनाया गया है और निश्चित तौर पर लोगों की सुविधाओं को कम होने नहीं दिया जायेगा. जहां तक ट्रेड टेस्ट की बात है तो कोई दिक्कत इसको लेकर नहीं है. बेवजह की राजनीति कुछ लोग कर रहे है.
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