इसमें यह कहा गया है कि उक्त लोगों ने सरकार के कार्यक्रम का मजाक उड़ाया है तथा आदिवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है. इसके जवाब में 8 मार्च को बिरसा सेवा दल के कुंजल लकड़ा समेत अन्य लोगों ने बिरसानगर थाना में एक लिखित शिकायत बिरसानगर थाना में दर्ज करायी है, जिसमें कहा गया है कि बिरसानगर के लोगों ने सामाजिक संगठनों के साथ मिल कर बिरसा मुंडा की मूर्ति का शुद्धिकरण कराया था.
आदिवासी रीति-रिवाज में गाय के गोबर से ही शुद्धिकरण किया जाता है जिसके बाद गंगाजल से धोया जाता है. यह परंपरा है. इसके विपरित मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके कार्यकर्ताओं ने सौंदर्यीकरण के नाम पर उनके हथियार को दूसरे रंग से रंग दिया, जो आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था का उल्लंघन है और गैर कानूनी भी. इसको लेकर कार्यकर्ताओं और मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जातिसूचक प्रताड़ना का मामला दर्ज करने का आग्रह किया गया है. शिकायत में कहा गया है कि 5 जनवरी 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश ज्ञानसुधा मिश्रा, मार्कंडेय काटजू और अन्य तीन न्यायधीशों ने फैसला सुनाया कि भारत के मूल निवासी आदिवासी ही हैं. इस कारण उन्हें उजाड़ने और समूल नष्ट करने की योजना सर्वथा गलत है.