करनडीह. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में जनाक्रोश महाजुटान, बोले बैजू मुर्मू
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सांसद-विधायक को गांव में घुसने नहीं दें
करनडीह. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में जनाक्रोश महाजुटान, बोले बैजू मुर्मू ग्राम प्रधान, मानकी-मुंडा, माझी-परगना अपने-अपने क्षेत्र में करें बहिष्कार कोल्हान समेत अन्य जिलों से पहुंचे 15 हजार लोग बिरसा मुंडा के वंशज व सिंगूर आंदोलन के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की जमशेदपुर : आदिवासी विधायक लक्ष्मण टुडू, मेनका सरदार, गीता कोड़ा, टीएसी […]
ग्राम प्रधान, मानकी-मुंडा, माझी-परगना अपने-अपने क्षेत्र में करें बहिष्कार
कोल्हान समेत अन्य जिलों से पहुंचे 15 हजार लोग
बिरसा मुंडा के वंशज व सिंगूर आंदोलन के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की
जमशेदपुर : आदिवासी विधायक लक्ष्मण टुडू, मेनका सरदार, गीता कोड़ा, टीएसी के सदस्य जेबी तुबीद एवं लक्ष्मण गिलुवा ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन विधेयक को समर्थन देकर समाज विरोधी कार्य किया है. इसलिए ग्रामप्रधान, माझी बाबा, मानकी-मुंडा की उपस्थिति में ग्रामसभा द्वारा इनका बहिष्कार किया जाये. उन्हें किसी भी गांव, टोला या कस्बे में घुसने नहीं दिया जाये. उक्त बातें माझी परगना महाल के देश परगना बैजू मुर्मू ने करनडीह जयपाल मैदान में आयोजित जनाक्राेश महाजुटान में कहीं. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध सामाजिक संगठन माझी परगना महाल,
मानकी- मुंडा संघ एवं भूमिज मुंडा समाज की ओर से संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया था़ उन्होंने कहा कि एक्ट में संशोधन के जरिये आदिवासियों के सुरक्षा कवच में छेद करने की कोशिश हो रही है. रघुवर सरकार 90 दिनों के अंदर संशोधन को रद्द करे अन्यथा पूरे राज्य में हर जगब विरोध किया जायेगा. जनता सड़क से सदन तक पारंपरिक हथियार के साथ आंदोलन करने को तैयार है. इस महाजुटान के जरिये आदिवासी-मूलवासी ने जनांदोलन का आगाज कर दिया है. कार्यक्रम का संचालन माझी बाबा दुर्गाचरण माझी ने किया.जमीन व अधिकार मांगने पर सरकार चलवा रही गोली : दसमत. तोरोफ परगना दसमत हांसदा ने कहा कि हमारे पूर्वजों के लंबे संघर्ष के बाद अंग्रेजों ने सीएनटी- एसपीटी एक्ट बनाया था़ इसका मकसद था कि भोले- भाले आदिवासियों की जमीन कोई धोखे से न ले सके.
लेकिन वर्तमान रघुवर सरकार इसमें संशोधन करने जा रही है जो एक्ट आदिवासियों की आत्मा है़ जमीन छीनने के लिए सीएनटी, एसपीटी कानून में संशोधन किया जा रहा है़ गैर मजरुआ जमीन की बंदोबस्ती रद्द की जा रही है़ नई स्थानीय नीति बना कर आदिवासियों को पहले से ही नौकरी से वंचित कर दिया गया है़ अब जमीन छीन कर पूंजीपतियों को बेचने का प्रयास हो रहा है़ उन्हाेंने कहा कि जमीन और अधिकार की मांग करने पर सरकार गोली चला रही है़ सरकार के इस तानाशाही के खिलाफ लंबा और उग्र संघर्ष करने की जरूरत है़ अब सरकार का दमनात्मक रवैया बरदाश्त नहीं किया जायेगा.
जमीन बचाने के संघर्ष में ममता दीदी का भी मिलेगा साथ: श्रीकांत
जनाक्रोश महाजुटान को समर्थन देने के लिए सिंगूर आंदोलन के प्रतिनिधि श्रीकांत महतो भी पहुंचे थे़ वर्तमान सरकार जमीन को कौड़ियों के भाव पूंजीपतियों को देना चाहती है़ सरकार की मंशा ठीक नहीं है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आदिवासी-मूलवासियों के साथ हैं. जमीन बचाने की लड़ाई में वह भी कदम से कदम मिलाकर चलेंगी. आदिवासी-मूलवासी समुदाय एकजुट रहे और आंदोलन करे, जीत सुनिश्चित है.
जयपाल सिंह मैदान में आक्रोश महाजुटान कार्यक्रम को संबोिधत करते बैजु मुर्मू व शामिल आदिवासी समुदाय के प्रमुख लोग तीर-धनुष के साथ.
थाेपा हुआ कानून मान्य नहीं : आर्षिता टूटी
बिरसा मुंडा की चौथे पीढ़ी की बेटी आर्षिता टूटी भी जनाक्रोश महाजुटान में पहुंची थी. आर्षिता ने कहा कि हजारों वर्षों से कस्टमरी एरिया के लोगों की संस्कृति सभ्यता एवं पारंपरिक व्यवस्था को नजरअंदाज किया गया़ इनकी वास्तविक पहचान को बिगाड़ा गया़ आदिवासियों की भाषा को सम्मान नहीं मिला़ सैकड़ों आदिवासी शहीदों को जिन्होंने इस देश की भूमि यानी जमीन के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी, उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर याद तक नहीं किया जाता़ देश में गणतंत्र दिवस तो मानते हैं लेकिन जिन क्षेत्रों में आदिवासी गणतंत्र सदियों से जीवित था. उसे तरजीह नहीं दी गयी. ‘पाड़हा व्यवस्था’
, ‘डोकलो व्यवस्था’, ‘गोत्र पाड़ाहा व्यवस्था’,‘मानकी मुंडा व्यवस्था’, ‘ प्रधानी व्यवस्था ‘ और ‘मांझी परगनैत व्यवस्था’ जैसे आदिवासी परंपरागत प्रशासन व्यवस्था यहां सदियों से आज तक चली आ रही है़ भारत का संविधानअनुसूचित क्षेत्रों में सामान्य कानून व्यवस्था लागू करने की इजाजत नहीं देता है. राज्य सरकार को आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्था के खिलाफ कोई भी कानून बनाने का अधिकार नहीं है़ उसके पश्चात भी सभी सामान्य नागरिक कानून इनके क्षेत्रों में जबरदस्ती थोपे जा रहे है़ं उन्होंने कहा कि भारत में सभी तरह के कॉमन सिविल लॉ धर्म के नाम पर बने़
लेकिन, कस्टमरी एरिया के लोगो के लिए सभी तरह कानून होने के बाद भी उन आदिवासी क्षेत्रो के लिए कोई ‘कस्टमरी लॉ’ नहीं बनाये गये़ आज इन्हीं कारणों से आदिवासी क्षेत्र के लोग को उसके ही जल ,जंगल और जमीन से खदेड़ा जा रहा है जो न्याय संगत नहीं है़ उन्होंने समस्त झारखंडी जन को एकजुट व एकमत होने का आह्वान किया.
जाति-धर्म की नहीं, मिट्टी की लड़ाई लड़ने का वक्त : नरेश मुर्मू
नरेश मुर्मू ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास की बात कहकर आदिवासी-मूलवासी को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. इस सरकार को नहीं सत्ता से बेदखन नहीं किया गया तोयह लोग जमीन, जंगल, खनिज, बालू सबकुछ बेच देगी. अगर मुख्यमंत्री ने एक्ट में संशोधन का इरादा वापस नहीं लिया तो इससे उपजा आक्रोश संभालना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि कुछ आदिवासी नेता भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे है़ं
जो आदिवासी विधायक इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाये. हमें धर्म, जाति और पार्टी से ऊपर उठकर अपनी मिट्टी की लड़ाई लड़नी होगी़ झारखंड के अस्तित्व के सवाल पर एक मंच पर आना होगा.
जाति-धर्म की नहीं, मिट्टी की लड़ाई लड़ने का वक्त : नरेश मुर्मू
नरेश मुर्मू ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास की बात कहकर आदिवासी-मूलवासी को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. इस सरकार को नहीं सत्ता से बेदखन नहीं किया गया तोयह लोग जमीन, जंगल, खनिज, बालू सबकुछ बेच देगी. अगर मुख्यमंत्री ने एक्ट में संशोधन का इरादा वापस नहीं लिया तो इससे उपजा आक्रोश संभालना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि कुछ आदिवासी नेता भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे है़ं
जो आदिवासी विधायक इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाये. हमें धर्म, जाति और पार्टी से ऊपर उठकर अपनी मिट्टी की लड़ाई लड़नी होगी़ झारखंड के अस्तित्व के सवाल पर एक मंच पर आना होगा.
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