आदित्यपुर. राजनीतिक दबाव के कारण आदित्यपुर थाना से पुलिस कर्मी की पिटाई के अारोपी मिहिर अभिषेक और विजय सिंह सहित चार युवकों को छोड़े जाने अौर आनन-फानन में डीएसपी द्वारा सुपरविजन में धारा बदलने का मामला मंगलवार को भी गर्म रहा. पीड़ित पुलिसकर्मी एएसआइ भगवान सिंह को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है. भगवान ने फोन पर बताया कि वे निजी कारणों से पुणे जा रहे हैं इसलिए तीन जनवरी तक छुट्टी पर हैं.
गौरतलब है कि भगवान सिंह की शिकायत पर ही आदित्यपुर थाना में पुलिसकर्मियों से मारपीट करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था. इससे पहले इन युवकों द्वारा गम्हरिया सीओ कामिनी कौशल लकड़ा के संबंधी के वाहन को शराब के नशे में धक्का मारने और बदसलूकी करने का आरोप है. मिहिर और विजय भाजपा के जमशेदपुर महानगर उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के बेटे हैं.
धारा बदलकर थाना से छोड़े जाने के बाद अब एक ओर जहां कांग्रेस, झाविमो व झामुमो सरकार को घेर रही है वहीं पुलिस एसोसिएशन भी इस निर्णय के खिलाफ लामबंद हो रहा है. पुलिस एसोसिएशन ने मामले की सुपरविजन रिपोर्ट देने वाले एसडीपीओ सुमित कुमार के निर्णय को गलत बताते हुए उनके व्यवहार पर भी आपत्ति जतायी है. जिला पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिकांत महतो ने बताया कि एसोसिएशन की जिलास्तरीय बैठक 29 दिसंबर को बुलायी गयी है उसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी.इससे पहले आदिकांत महतो सहित सचिव अरविंद कुमार व कोषाध्यक्ष राजेंद्र तिवारी आदित्यपुर थाना पहुंचे और घटना की
जानकारी ली.
भूपेंद्र सिंह ने रांची से की लॉबिंग. जमशेदपुर महानगर भाजपा के उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के पुत्रों, भतीजों व उनके दोस्तों को जेल जाने से बचाने के लिए स्वयं भूपेंद्र सिंह शुरू से ही काफी सक्रिय रहे. घटना की रात भूपेंद्र सिंह के साथ भाजपा नेता मूलचंद साहू भी आदित्यपुर थाना पहुंचे थे. वहीं अगले दिन सीएम के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह रांची में कैंप किये रहे. अंतत: महज एफआइआर के 16 घंटे के अंदर डीएसपी सुमित कुमार ने अपनी सुपरविजन रिपोर्ट भी दे दी और उसमें धारा 307, 333 व 353 जैसी गैर जमानतीय धारा को हटा कर जमानतीय धारा डाल दी गयी और बीच रास्ते से आरोपियों को ले जा रहा कैदी वाहन वापस हो गया और सभी को छोड़ दिया गया.
वादी स्टैंड करे तो वारंट संभव. भाजपा नेता के पुत्रों को छोड़ने के मामले में पुलिस सूत्रों का मानना है कि यदि प्राथमिकी दर्ज कराने वाले पुलिस पदाधिकारी कोर्ट में स्टैंड करते हैं तो कोर्ट इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पुन: वारंट जारी कर सकता है.