जमशेदपुर: नोटबंदी के केंद्र सरकार के फैसले के 21 दिन बाद बैकों के बाहर की भीड़ जरूर छंटी है, लेकिन बैंक के अंदर ग्राहकों से अब भी बैंक कर्मियों को जूझना पड़ रहा है. दो दिन बाद सोमवार को जब शहर के बैंक खुले तो, कतार पहले जैसी ही दिखी. शाम 4 बजे तक बैंक के चैनल गेट बंद कर दिये जा रहे हैं, लेकिन बैंक के अंदर जो ग्राहक बच जाते हैं, उनका कार्य देर तक निबटाया जा रहा है. पुराने नोट बदलने की सीमा दो हजार करने से भी बैंक कर्मी कुछ राहत महसूस कर रहे हैं. वैसे बैंकों के अंदर की भीड़ के दबाव से बैंक कर्मियों को अब भी राहत नहीं मिल रही है.
एटीएम सेवा में मामूली सुधार. शहर में लगभग 300 से ज्यादा एटीएम हैं. लेकिन कुछ को छोड़ ज्यादातर 24 घंटे में दो से तीन घंटे ही सेवा दे पा रहे हैं. अभी भी आधे से अधिक एटीएम 11 नवंबर से एक बार भी नही खुले हैं. लोगों का मानना है कि अगर सभी एटीएम खोले जाते, तो इतनी परेशानी नहीं होती.
2000 के नोट लोग लेना नहीं चाह रहे हैं. इसे भुनाने में दिक्कत हो रही है. सहज लेन-देेन में नहीं हो पा रहा है.
कम नहीं हो रहा वर्कलोड
नोटबंदी के फैसले के बाद नोटों के एक्सचेंज एवं भुगतान के बढ़े दबाव से कई बैंककर्मियों के बीमार होने की सूचनाएं मिल रही हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा के एक कैशियर को चिकित्सकों के परामर्श पर दो दिन तक अवकाश पर जाना पड़ा. इसी तरह कई सर्दी-जुकाम, बुखार से पीड़ित होने के बाद भी ड्यूटी कर रहे हैं. बैंक कर्मियों के मुताबिक कैश के लेन-देन की ड्यूटी पर कार्यरत कर्मियों को ज्यादा परेशानी हो रही है. प्रत्येक दिन किसी न किसी कर्मी को हिसाब के वक्त दो-चार सौ रुपये का घाटा झेलना पड़ रहा है. कार्य का लोड अब भी कम नही हुआ है.