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टाटा वर्कर्स यूनियन : चुनौतियों के बीच पूरे किये एक साल, उम्मीदें पूरी नहीं कर पायी नयी कमेटी
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन की आर रवि प्रसाद की अध्यक्षता में गठित कमेटी के चार्ज लेने के एक साल पूरे हो गये. इस दौरान यूनियन ने मजदूरों के हित को लेकर एेसा कोई कदम नहीं उठा सकी , उल्लेख किया जा सके. इस दौरान कंपनी की स्थिति भी पहले जैसी नहीं रही, लेकिन मैनेजमेंट हमेशा […]
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन की आर रवि प्रसाद की अध्यक्षता में गठित कमेटी के चार्ज लेने के एक साल पूरे हो गये. इस दौरान यूनियन ने मजदूरों के हित को लेकर एेसा कोई कदम नहीं उठा सकी , उल्लेख किया जा सके. इस दौरान कंपनी की स्थिति भी पहले जैसी नहीं रही, लेकिन मैनेजमेंट हमेशा यूनियन पर लगातार दबाव बनाने में सफल रहा.
हर मुद्दे पर यूनियन ने साधी चुप्पी
यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, महामंत्री बीके डिंडा व डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नू हर समझौता में एक साथ ही रहे. हर अच्छे -बुरे फैसले के लिए तीनों सीधे तौर पर जिम्मेवार हैं लेकिन जो बचे हुए आठ पदाधिकारी हैं, वे भी इस दौरान चुप्पी साधे रहे. वे खुद के नुकसान के भय से मजदूर हित में अावाज बुलंद नहीं कर सके.
कोई बता नहीं पाया उपलब्धि
इस एक साल के कार्यकाल की कोई भी यूनियन पदाधिकारी अपनी उपलब्धि तक नहीं बता पाया.
कमेटी मेंबर की भी धार कुंद पड़ी.
यूनियन में 214 कमेटी मेंबर हैं, उनका भी विरोध पूरे एक साल में प्रभाव नहीं छोड़ सका. भले ही इएसएस दो बार ला दिया गया हो या कर्मचारियों का अहित होता रहा हो, लेकिन किसी ने कुछ भी नहीं किया.
देखती रही यूनियन मजदूरों को हुआ नुकसान
बोनस का समझौता में पहले 11.93 फीसदी बोनस होने की बात कहीं गयी और फिर जब जांच की गयी तो मालूम चला कि कर्मचारियों को सिर्फ 8.53 फीसदी बोनस ही मिल पाया है. इसके अलावा नया फार्मूला जो तय किया गया, उसके तहत प्रोडक्टिविटी, प्रोफिटैबिलिटी, सेफ्टी को जोड़ने के साथ ही कलिंगानगर के मुनाफा या कोई प्रदर्शन को इसमें शामिल नहीं किया गया.
टीएमएच से रेफरल का काम पूरी तरह बंद हो गया और कर्मचारियों को छोटे-छोटे सामानों की कीमत बाजार दर से वसूला जाने लगा. दवाओं का भी वितरण नहीं हो पाया, कई कर्मचारी बरखास्त और सस्पेंड ही रहे, लेकिन किसी की नौकरी की वापसी नहीं हो पायी
1 जनवरी 2016 से एलटीसी लंबित है, लेकिन उसका कोई फैसला नहीं हो पाया. तीन माह बीत चुके हैं और उसका किसी को एरियर तक नहीं मिला है.
सर्विसेज पूल के कर्मचारियों का आइबी भी बंद कर दिया गया है, कई विभागों का रिऑर्गेनाइजेशन व आइबी का समझौता लंबित ही है.जहां रिऑर्गेनाइजेशन का समझौता हुआ है, वहां बेनीफिट तक नहीं मिल पाया है.
कर्मचारियों के पांच दिन का काम चालू कराकर काम करने के घंटे को बढ़ा दिया गया और कंपनी में दो तरह की व्यवस्था लागू कर दी गयी, सेफ्टी को लेकर कड़े कानून तय करते हुए एक समझौता कर लिया गया, मेडिकल एक्सटेंशन मिलना भी लगभग बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है मेडिकल जांच से कर्मचारियों को गुजारकर कई कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गयी. कंपनी में इएसएस को जबरन देने की शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई
हम कठिन चुनौतियों से गुजरे हैं
हम कठिन चुनौतियों से गुजर रहे हैं. कंपनी को बचाने के साथ कर्मचारियों को भी बचाना चुनौती है. कार्यकाल से हम भी संतुष्ट तो नहीं हैं, आगे हम बेहतर करने की कोशिश करेंगे
-आर रवि प्रसाद, अध्यक्ष
वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए लिया फैसला
वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी को बचा पाना मुश्किल था. ऐसे हालात में हमने बोनस समझौता किया.
-बीके डिंडा, महामंत्री
सबकी नौकरी व वेतन बचाना जरूरी
वर्तमान में चीन ने जिस तरह से भारत पर आर्थिक हमला किया है. उससे कंपनी मुश्किल में है. कर्मचारियों का वेतन और नौकरी बचाने की चुनौती है.
-संजीव चौधरी, डिप्टी प्रेसिडेंट
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