जमशेदपुर: राज्य सरकार की उदासीनता की वजह से लगातार राज्य में उद्योग-धंधे बंद हो रहे हैं. उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ कोल्हान क्षेत्र में ही पिछले चार साल में 35 मिनी स्टील कंपनियां बंद हो गयीं. इसके चलते लगभग 15 हजार कामगार बेरोजगार हो गये. अप्रत्यक्ष रूप से इन उद्योगों से जुड़े लगभग 50 हजार लोगों का रोजी-रोजगार भी छिन गया.
एक तरफ तो उद्योगों को राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करने के नाम पर राज्य सरकार दिल्ली में उद्यमियों के साथ बैठक करती है, मेले लगाती है पर धरातल पर उद्योंगो को बचाने उन्हें आगे बढ़ाने के लिए कोई काम नहीं हो रहा है, ऐसा राज्य के उद्योगपतियों का कहना है. कोल्हान में बंद हुई इन 35 कंपनियों में 21 मिनी स्टील, 8 स्पांज आयरन और 7 ब्लास्ट फर्नेस आधारित कंपनियां और प्लांट शामिल हैं. हालात यही रहे, तो और कई कंपनियां बंदी की कगार पर पहुंच जायेगी. बेरोजगारी चरम पर होगी.
सरकार पहल करेगी
उद्योगों की हालत खराब है. हमसे कई व्यापारिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लोग और संगठनों के लोगों ने मुलाकात की है. उद्योगों को बचाने के लिए सरकार जरूर पहल करेगी और सकारात्मक रास्ता निकालने की कोशिश करेगी. इसको लेकर उद्यमियों और व्यापारियों से भी बातचीत हो सकती है.
चंपई सोरेन, उद्योग मंत्री, झारखंड
ये हुईं बंद
मिनी स्टील कंपनियां (इंडक्शन आधारित)
सती आयरन एंड स्टील प्रालि
ओम दयाल इंगट प्राइवेट लि
बीएच इस्पात प्राइवेट लिमिटेड
जादवपुर स्टील
त्नसूर्या मेटल
त्नभारत इंगट प्राइवेट लिमिटेड
भालोटिया माइल्ड स्टील
कृष्णा लक्ष्मी स्टील
यूनियन इंटरप्राइजेज
संथाल मल्टी इस्ट
नव्ज मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड
जोहार स्टील प्राइवेट लिमिटेड
एएस इस्पात प्राइवेट लिमिटेड
एबीएन स्टील प्राइवेट लिमिटेड
बिमलदीप स्टील प्राइवेट लिमिटेड
अमूल स्टील प्राइवेट लिमिटेड
जूम वल्लभ स्टील
अभिजीत स्टील
ब्लास्ट फर्नेस आधारित स्टील कंपनियां
केवल मेटालिक्स
डिवाइन स्टील
एसजी मल्टी स्टील
एसएसआर स्टील
अंजनिया इस्पात
स्पांज आयरन कंपनियां
समृद्धि स्पंज
आर्शीवाद स्पंज
प्रिस्को स्पंज
बिमलदीप स्पंज
चांडिल स्पंज
जयमंघा स्पंज
बिहार स्पंज आयरन
उद्योगों के बंद होने की वजह
खस्ता रोड ट्रांसपोर्ट और एयरपोर्ट का अभाव
सड़क ठीक नहीं होने से माल भेजने में दिक्कत, कॉस्ट पर भी पड़ता है काफी असर
रॉ मेटेरियल की उपलब्धता में आ रही परेशानी
लैंड बैंक का अभाव
सेंट्रल एक्साइज बिजली की खपत को आधार बना कर टैक्स लगा रही है
वैट में कोई छूट नहीं, 14 फीसदी तक टैक्स वसूली, जो हर राज्य से ज्यादा है
बढ़ी स्टील कंपनियों से सेकेंडरी प्रोडक्ट मिला करता था, लेकिन वहां इ-ऑक्सन होने लगा और बाहर से कंपनियां प्रोडक्ट खरीद ले रही है.
राज्य गठन के बाद से अब तक एसइजेड (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) का निर्माण नहीं हो सका
पानी उपलब्ध कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं
झारखंड राज्य बिजली बोर्ड ने उद्यमियों के लिए मिनिमम गारंटीड बिल देने का प्रावधान तय किया है, जिसके तहत कंपनी चले या नहीं, बिजली का बिल देना ही होता है.
सरकार करे पहल : चेंबर
अगर सरकार ध्यान दे, तो कंपनियां बच सकती हैं. सरकार की ओर से टैक्स में किसी तरह की छूट नहीं दी गयी है. टैक्स अन्य प्रदेशों से ज्यादा है. सेंट्रल टैक्स की भी वही हालत है. बिजली विभाग का भी दबाव है. सबसे ज्यादा जरूरी इंफ्रास्ट्रर डेवलपमेंट को लेकर राज्य में कोई पहल नहीं हो रही है.
सुरेश सोंथालिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर
सरकार से अपेक्षा
बिजली खपत के आधार पर टैक्स तय करने की सेंट्रल एक्साइज की नीति पर रोक लगवा सकती है, जैसे ओड़िशा और बिहार सरकार किया. इसको लेकर राज्य के उद्योगपति बिहार-झारखंड के चीफ कमिश्नर सेंट्रल एक्साइज से मिल चुके हैं. तब चीफ कमिश्नर ने बताया था कि इस मामले में राज्य सरकार ही पहल कर सकती है. बिना उनके पत्रचार के हम चाहें भी तो खुद यह पहल नहीं कर सकते. लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई पत्रचार नहीं हुआ.
बिजली बिल वसूली के लिए बिजली बोर्ड मिनिमम गारंटीड बिल की जगह व्यावहारिक नीति बनाये.
बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ में मोटर पार्ट्स समेत कई उत्पादों पर वैट चार फीसदी ही है, जबकि झारखंड सरकार 12.5 फीसदी वसूल रही है.
मंदी के इस दौर में उद्योगों को राहत देने के लिए कुछ पैकेज की घोषणा राज्य सरकार कर सकती है.
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2003-2004 में स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसइजेड) का शिलान्यास किया गया था, जो अब तक धरातल पर नहीं उतरा है, उसको धरातल पर उतारा जा सकता है. वहां कंपनी लगाने वालों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा कर सकती है, जैसा अन्य राज्यों में किया गया है.
रोड, पानी, बिजली की सुविधा दुरुस्त करे सरकार और जमशेदपुर जैसे बड़े औद्योगिक शहरों में एयरपोर्ट बनाने की पहल करे.