जमशेदपुर: स्टील कंपनियों को बचाने के लिए नयी खोज और रिसर्च की जरूरत है. वर्तमान में स्टील कंपनियां प्रोफिट माजिर्न बढ़ाने के लिए काफी संघर्ष कर रही हैं. यह तब तक सफल नहीं होगा जब तक स्टील और आयरन को बनाने की लागत कम होगी. इसके लिए आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) की जरूरत है. यह बातें टाटा स्टील के पूर्व वीपी एएम मिश्र ने कहीं.
वे एनएमएल में तीन दिवसीय विज्ञान व तकनीक पर आयोजित सेमिनार के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. आयरन एंड स्टील मेकिंग पर चल रहे रिसर्च और इसके तकनीकी सुधारों की जानकारी को साझा करने के लिए यह सेमिनार आयोजित किया गया है, जिसमें देश-विदेश के करीब 150 डेलीगेट्स शामिल हो रहे हैं.
सेमिनार में 30 से अधिक स्पीकर आमंत्रित किये गये हैं और तीन दिनों में 20 तकनीकी सेशन आयोजित किये जायेंगे. श्री मिश्र ने कहा कि रॉ मैटेरियल की गिरती क्वालिटी, वर्तमान प्रैक्टिस में आती गिरावट, ऊर्जा की खपत को घटाने, पर्यावरण को बचाने जैसी चुनौतियों से स्टील कंपनियां जूझ रही हैं. वर्ष 2003 से 08 का वक्त स्टील कंपनियों के लिए स्वर्णिम काल था. लेकिन मुनाफा बढ़ाना, संसाधनों का कम इस्तेमाल, लागत, प्रोडक्शन, प्रोफिटेबिलिटी और मार्केटिंग स्ट्रैटेजी को बेहतर करना एक बड़ी चुनौती है. अगर इसमें सुधार नहीं हुआ तो हालात और बदतर होंगे. विशिष्ट अतिथि कनाडा के मैकग्रिल यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर रोड्रिक्स आइएल गुथरी ने कहा कि आयरन मेकिंग व स्टील मेकिंग में नयी खोज चल रही है, जिससे नये सुधार संभावित हैं.
सोवेनियर भी रिलीज किया गया. कार्यक्रम को टाटा स्टील के चीफ टेक्नॉलॉजी ऑफिसर और आयोजन समिति के चेयरमैन डॉ टी वेणुगोपालन ने संबोधित किया. एनएमएल निदेशक डॉ एस श्रीकांत ने कहा कि पर्यावरण को बचाने और स्टील के उत्पादन की लागत में कमी और तकनीक को ऊपर उठाने में यह सेमिनार काफी सहायक भूमिका निभायेगा. इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ मेटल्स के चेयरमैन डॉ संदीप भट्टाचार्या ने तकनीकी पेपर के बारे में बताया. एनएमएल के चीफ साइंटिस्ट डॉ डी बंधोपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.