जमशेदपुर : रांची के बेड़ो में देसी तरीके से रेन वाटर हारवेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) कर पद्मश्री अवार्ड पाने वाले सिमोन उरांव ने सरकारी कार्य पद्धति पर सवाल खड़े किये. श्री उरांव ने कहा कि सिर्फ अवार्ड देने से नहीं होगा. किसानों का भला और पानी बचाने के लिए सबको सोचना होगा. ठेठ देहाती अंदाज में पद्मश्री सिमोन उरांव ने टाटा स्टील के वार्ता-कृषि सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि खेत और पानी बचाने से ही देश बचेगा.
हमने प्रकृति को नाराज किया, अब स्वयं पानी बचाना होगा. श्री उरांव ने कहा कि प्रकृति को हमने नाराज कर दिया है. इस कारण पानी बचाने के लिए हमें आगे आना होगा. अगर पानी नहीं बचा, तो खेत और फिर सबकुछ बरबाद हो जायेगा. एक हजार फीट तक जलस्तर चला गया है.
विश्व में 216 देश, कहीं पानी या अनाज का कारखाना है क्या. उन्होंने लोगों से पूछा कि विश्व में 216 देश है. कहीं पानी या अनाज का कारखाना देखा है. अनाज या पानी का कोई विकल्प नही है. इस कारण सबको आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है.
हमारा चापाकल या चेकडैम नहीं टूटता, सरकारी कैसे टूट जाता है. श्री उरांव ने सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने हर गांव में तालाब बनाया है. हमारा चापाकल या चेकडैम नहीं टूटता है. सरकारी कैसे टूट जाता है. हम लोगों ने पहरा देकर 600 एकड़ जमीन का जंगल को बनाया. गांवों में आज ट्रैक्टर खरीदने तक का पैसा नहीं है. नौ लाख की गाड़ी लोग कैसे खरीद सकते है, इसका इंतजाम करना होगा.