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टुसू से एक दिन पहले दुकानदारों पर टूटा दुखों का पहाड़, कल तक गुलजार डिमना चौक हुआ वीरान

जमशेदपुर. मंगलवार की शाम तक गुलजार रहने वाले डिमना चौक बुधवार तड़के आगजनी की घटना से कुछ ही पल में वीरान हो गया. चौक पर दुकानदारी कर घर-परिवार चला रहे दुकानदारों के सामने अचानक पहाड़ टूट पड़ा है. दुकानदारों के सपने व भविष्य उनके सामने जलकर खाक हो गये और वे कुछ नहीं कर सके. […]

जमशेदपुर. मंगलवार की शाम तक गुलजार रहने वाले डिमना चौक बुधवार तड़के आगजनी की घटना से कुछ ही पल में वीरान हो गया. चौक पर दुकानदारी कर घर-परिवार चला रहे दुकानदारों के सामने अचानक पहाड़ टूट पड़ा है. दुकानदारों के सपने व भविष्य उनके सामने जलकर खाक हो गये और वे कुछ नहीं कर सके. अब आगे क्या होगा, कैसे जिंदगी की गाड़ी चलेगी यह सोचकर दुकानदार चिंतित हैं.

उन्हें समझ में नहीं आ रहा अब क्या होगा. उनके बच्चों व परिवार का क्या होगा. झारखंड के सबसे बड़े पर्व में से एक टुसू पर्व से एक दिन पहले इन दुकानदारों पर अचानक से दुखों का पहाड़ टूट गया. पर्व के दौरान बेचने के लिए दुकानों में अधिक सामान रखा गया था, वो सबकुछ खाक हो गया है.

हमारा सबकुछ उजड़ गया, अब कैसे घर चलेगा : मेरी वर्षों की पूंजी और घर परिवार चलाने का जरिया एक ही पल में खाक हो गया. सबकुछ खत्म हो गया, अब हमारे बच्चों व परिवार का क्या होगा. हमारा घर कैसे चलेगा. हमारा सबकुछ उजड़ गया. यह कहते हुए महिला दुकानदार सुमित्रा तंतुबाई रो रही थी. डिमना चौक पर बनी दुकानें स्वाहा होने के बाद दुकानदार सन्न हो गये हैं. टुसू पर्व से एक दिन पूर्व इतनी बड़ी घटना ने 20 दुकानदारों का भविष्य अंधकारमय कर दिया है.
घटना की निष्पक्ष जांच हो : जेवीएम
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जेवीएम के जिला प्रवक्ता नितेश मित्तल ने डिमना चौक पर आगजनी घटना की निष्पक्ष जांच कराने की मांग प्रशासन से की है. उन्होंने कहा कि मकर के पूर्व संध्या डिमना चौक के दुकानदारों के मुंह से निवाला छीन गया है. सरकार को सर्वे करा कर मुआवजा देना चाहिए. इससे दुकानदारों को हुए नुकसान की भरपाई हो सके. झाविमो इस दुखद वक्त में गरीबों के साथ है.
राख में सामान ढूंढ़ रहे दुकानदार
घटना के बाद डिमना चौक के दुकानदार अपनी दुकान के पास जले हुए सामान से वस्तुएं चुन रहे हैं कि कुछ बच गया हो. सब्जी दुकानदार मकरु गोराई जले सामान में सब्जी चुन रहा था. उसने बताया कि अब तो बेचने को कुछ बचा ही नहीं. जो पूंजी था, बस यही था. इस दुकान को बनाने में आधी उम्र पार हो गयी, अब कैसे रोजी-रोटी कैसे चलेगी, वह भगवान ही जानता है. दुकानदार राजीव रोहीदास ने बताया कि टुसू पर्व के कारण जो भी पैसा था, दुकान में लगा दिया था. सोचा था कि आस पास के क्षेत्र में आदिवासी लोगों के ज्यादा होने के कारण सामान की बिक्री ज्यादा होगी. अब पता नहीं आगे क्या होगा.

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