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शिबू सोरेन ने कभी शष्यि के रूप में नहीं स्वीकारा, मनमोहन 7 व 30 (संपादित)

शिबू साेरेन ने कभी शिष्य के रूप में नहीं स्वीकारा, मनमोहन 7 व 30 (संपादित)फ्लैग ::: सूर्य सिंह बेसरा हुए 60 के, लिखी पुस्तक झारखंड रत्न, कहा रहेगा मलालउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर झारखंड आंदाेलनकारी सूर्य सिंह बेसरा गुरुवार काे 60 साल के हाे गये, इस दाैरान उन्हाेंने एक प्रेसवार्ता आयोजित कर अपनी आत्मकथा ‘झारखंड रत्न’ का […]

शिबू साेरेन ने कभी शिष्य के रूप में नहीं स्वीकारा, मनमोहन 7 व 30 (संपादित)फ्लैग ::: सूर्य सिंह बेसरा हुए 60 के, लिखी पुस्तक झारखंड रत्न, कहा रहेगा मलालउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर झारखंड आंदाेलनकारी सूर्य सिंह बेसरा गुरुवार काे 60 साल के हाे गये, इस दाैरान उन्हाेंने एक प्रेसवार्ता आयोजित कर अपनी आत्मकथा ‘झारखंड रत्न’ का विमाेचन किया. यह पुस्तक अभी तक बाजार में नहीं अायी है, लेकिन उसके कुछ पन्नाें में लिखी बाताें काे श्री बेसरा ने निर्मल महताे गेस्ट हाउस में केक काटने के बाद सार्वजनिक किया. श्री बेसरा ने कहा कि शिबू साेरेन के साथ उनका रिश्ता द्राेणाचार्य आैर एकलव्य की तरह रहा. उन्हाेंने काफी कुरबानियां दी, लेकिन उन्हें जिंदगी भर मलाल रहेगा कि कभी शिबू साेरेन ने उन्हें अपना शिष्य स्वीकार नहीं किया. उन्हाेंने कई बार उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेने का भी प्रयास किया, लेकिन उन्हें हर बार यही कहकर आशीर्वाद नहीं दिया गया कि तुम मेरे पैर मत छुआ कराे. उन्हाेंने झारखंड के लिए अपने विधायक पद का भी त्याग किया, सत्ता काे कभी अपने सुख का जरिया नहीं बनाया. इसका बड़ा उदाहरण यह भी है कि अब तक के जीवन में उन्हाेंने 10 चुनाव लड़े हैं, जिसमें सात विधान सभा आैर तीन बार लाेकसभा के. 1990 में उन्हें घाटशिला से सफलता भी मिली. लेकिन तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव द्वारा यह कहे जाने की झारखंड बनेगा मेरी लाश पर के बाद उन्हाेंने 1991 में बिहार विधान सभा के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हाेंने काेई घाेटाला नहीं किया, जिसके कारण अन्य नेताआें की तरह उनके खिलाफ काेई आपराधिक आैर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं है. श्री बेसरा ने कहा कि झारखंड के नेता बिकाऊ हाे गये हैं, इस छवि से बाहर निकलने के लिए बेहतर नेतृत्व काे तलाशना हाेगा. गुरुजी ने 50 साल की राजनीति की, लेकिन अपना मजबूत उत्तराधिकारी तैयार नहीं कर पाये. झारखंडी नेताओं को प्रशिक्षित करना दिली तमन्नामधुशाला आैर गीतांजली का संताली में अनुवाद कर चुके श्री बेसरा काे साहित्य अकादमी चेन्नई से सम्मान आैर संताली एकेडमी के पहले आदिवासी जूरी मेंबर बनने का गाैरव हासिल हुआ. श्री बेसरा ने कहा कि उनका राजनीतिक भविष्य क्या हाेगा, वे नहीं जानते, लेकिन वृहत झारखंड के साथ-साथ झारखंडी नेताआें काे प्रशिक्षित करना उनकी दिली तमन्ना है. प्रेसवार्ता में दिल बहादुर, पंकज मंडल, कृतिवास मंडल, आलाेक वाजपेयी समेत शुरूआती दिनाें के कई आंदाेलनकारी साथी माैजूद थे.

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