12.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

काम नहीं करते तो, वेतन क्यों लेते हैं (फोटो : मनमोहन-)

काम नहीं करते तो, वेतन क्यों लेते हैं (फोटो : मनमोहन-)-कार्यों की प्रगति रिपोर्ट से असंतुष्ट निदेशक हंसराज सिंह ने कहा (फ्लैग)-जेइपीसी की प्रमंडलीय योजना एवं बजट निर्माण कार्यशालावरीय संवाददाता, जमशेदपुरझारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से साकची स्थित दयानंद पब्लिक स्कूल के सभागार में बुधवार को कोल्हान प्रमंडलीय योजना एवं बजट निर्माण कार्यशाला का […]

काम नहीं करते तो, वेतन क्यों लेते हैं (फोटो : मनमोहन-)-कार्यों की प्रगति रिपोर्ट से असंतुष्ट निदेशक हंसराज सिंह ने कहा (फ्लैग)-जेइपीसी की प्रमंडलीय योजना एवं बजट निर्माण कार्यशालावरीय संवाददाता, जमशेदपुरझारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से साकची स्थित दयानंद पब्लिक स्कूल के सभागार में बुधवार को कोल्हान प्रमंडलीय योजना एवं बजट निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें राज्य परियोजना निदेशक (एसपीडी) हंसराज सिंह ने योजना व बजट तैयार करने के क्रम मे ध्यान रखे जानेवाले पहलुओं की जानकारी दी. साथ ही तीनों जिला व विभिन्न प्रखंडों से आये पदाधिकारियों से अब तक विभिन्न योजना मद की राशि के व्यय, कार्यों की प्रगति आदि की जानकारी ली. कार्यों की प्रगति से असंतुष्ट श्री सिंह ने कहा कि पैसे हैं, लेकिन व्यय नहीं किये जा रहे. जो व्यय हुए हैं, उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है और जो अग्रिम दिया गया है, उसकी रिकवरी नहीं हो रही है. इस पर असंतोष जताते हुए श्री सिंह ने कहा कि जब काम नहीं करते, तो सरकार से वेतन क्यों लेते हैं, ऐसा करने में शर्म क्यों नहीं आती? उन्होंने कहा कि यदि बजट की राशि शत-प्रतिशत खर्च नहीं होती है, तो अगला बजट प्रभावित होगा. बजट के तीन प्रतिशत मैनेजमेंट कॉस्ट से ही परियोजना के पदाधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन होता है. यदि बजट प्रभावित हुआ, तो वेतन पर संकट उत्पन्न हो जायेगा. उन्होंने कहा कि बजट का पैसा आम जनता की जेब से आता है. अत: इस पैसे के दुरुपयोग से जनता की जेब प्रभावित होती है. इससे पूर्व परियोजना के विशेषज्ञ शोध, अनुश्रवण व मूल्यांकन तथा असैनिक कार्य प्रबंधक रतन भूषण श्रीवास्तव ने भी तीनों जिलों से प्राप्त प्रगति कार्य आदि के आंकड़ें पर समीक्षा करते हुए बजट संबंधी जानकारी दी. कार्यशाला में जिला शिक्षा पदाधिकारी मुकेश कुमार सिन्हा, जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह समेत तीनों जिला के एडीपीओ, एपीओ, एकाउंट्स ऑफिसर, विभिन्न प्रखंडों के बीइइओ, बीपीओ, बीआरपी व सीआरपी उपस्थित थे.आवासीय विद्यालय में क्यों नहीं नियुक्त हुए शिक्षकराज्य परियोजना निदेशक श्री सिंह ने कहा कि इन तीन जिलों में सिर्फ पूर्वी सिंहभूम में आवासीय विद्यालय उपलब्ध है. इसके लिए आवंटित राशि में से 30 नवंबर तक मात्र 36 प्रतिशत ही खर्च हुए हैं. उन्होंने जिले के पदाधिकारियों से इसका कारण भी पूछा. पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि विद्यालय में अब तक शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है. श्री सिंह ने नाराजगी जतायी. उन्होंने जानना चाहा कि जिले में लावारिस व बेघर बच्चों के लिए उपलब्ध आवासीय विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति क्यों नहीं हो सकी है. क्या वहां बच्चों को केवल खाना खिलाने के लिए रखा गया है या शिक्षा भी दी जानी है. श्री सिंह ने शिक्षक नियुक्ति व वहां के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने की बात कही.अपनी मर्जी से चलेंगे या निर्देश मानेंगेश्री सिंह ने कहा कि पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया गया था. तीनों जिला से अब तक इस संबंध में परियोजना कार्यालय को रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है कि जांच की स्थित क्या है. ऐसे में पदाधिकारी यह तक कर लें कि वे अपनी मर्जी से चलेंगे या निर्देश मानेंगे.कंप्यूटर एडेड लर्निंग पर एक रुपये भी खर्च नहीं कियाश्री सिंह ने कहा कि परियोजना की ओर से कंप्यूटर एडेड लर्निंग के लिए भी लाखों रुपये का आवंटन किया गया है. लेकिन प्रमंडल के तीनों जिला में कहीं भी इस मद में एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है.48 करोड़ से अधिक अग्रिम की रिकवरी नहींहंसराज सिंह ने कहा कि दो-तीन वर्ष से असैनिक कार्य मद के करीब 48 करोड़ रुपये से अधिक अग्रिम राशि की रिकवरी नहीं हुई है. उन्होंने इस पर सवाल किये, लेकिन किसी ने भी संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. पूर्वी सिंहभूम मे इस मद के 8 करोड़ 60 लाख, पश्चिमी सिंहभूम में 20 करोड़ 12 लाख व सरायकेला-खरसावां जिला में 19 करोड़ 60 लाख रुपये की रिकवरी नहीं हो सकी है. उन्होंने संबंधित स्कूलों का जायजा लेकर, जहां काम नहीं हुआ वहां से रिकवरी करने व जहां कार्य पूर्ण हो चुका है, उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया.यू डायस ठीक करें, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित हो बजटकार्यशाला में निदेशक ने सबों को यू डायस डाटा अद्यतन व उसे ठीक से तैयार करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि अलगे वित्तीय वर्ष 2016-17 का बजट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित हो. इसे ध्यान में रखा जाये. झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों के लिए जल्द भूखंड चिह्नित किये जायें. इस क्रम में उन्होंने विद्यालय चलें चलायें अभियान के तहत नामांकित बच्चों का विद्यालय में ठहराव सुनिश्चित करने, पहले पढ़ाई फिर विदाई योजना को प्रमोट करने, बुनियाद, बुनियाद प्लस, प्रयास, स्कूल किट्स की राशि अभिभावकों के खाते में हस्तांतरित करने के आदि पर भी बल दिया.————————–मुख्य बातें- पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां जिला के जिला शिक्षा अधीक्षक कार्याशाला में उपस्थित नहीं थे, राज्य परियोजना निदेशक ने जतायी नाराजगी- जिलों से भेजे जा रहे यू डायस के आंकड़ें सहीं नहीं- सरायकेला-खरसावां जिला में 73 स्कूलों के प्रस्ताव पर आवंटन दिया गया, भौतिक सत्यापन के क्रम में 9 स्कूल गायब मिले- 10 वर्ष पुराने आंकड़ें के आधार पर दे दिये जाते हैं नये प्रस्ताव- जो स्कूल बंद हो रहे हैं, नये के स्थान पर उन्हें स्थानांतरित किया जाये- पारा शिक्षकों के मानदेय भुगतान में पूर्वी सिंहभूम में अब तक 60 प्रतिशत व पश्चिमी सिंहभूम में 55 प्रतिशत राशि व्यय, जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने से तीन-चार महीने पूर्व ही सरायकेला-खरसावां में 95 प्रतिशत राशि व्यय हो चुकी है- नीमडीह व खरसावां प्रखंड में बच्चों को विशेष प्रशिक्षण मद में राशि ली गयी, लेकिन खर्च नहीं की गयी- गम्हरिया प्रखंड में बच्चों का अन्यत्र पलायन रोकने के लिए सीजनल हॉस्टल की मांग की गयी, लेकिन संचालन नहीं हुआ————————————-यही हाल रहा तो अगले वर्ष घर जाना पड़ेगाकार्यशाला में प्रमोद सिन्हा ने नेट एनरॉलमेंट व ग्रास एनरॉलमेंट के आंकड़ें पर चर्चा की. उन्होंने विभिन्न जिला व प्रखंडों के बीइइओ, बीपीओ से संबंधित जानकारी मांगी. इस पर संतोषजनक उत्तर नहीं मिला. श्री सिन्हा ने कहा कि या तो डाटा सही नहीं हैं या पदाधिकारी. यदि अपने द्वारा दिये गये डायस डाटा को खुद ही गलत साबित कर रहे हैं, तो सोचें कि क्या आप नौकरी करने लायक हैं? आंकड़े बता रहे हैं कि बच्चों को स्कूल से जोड़ने में आशातीत सफलता नहीं मिल रही है. आवंटित राशि व्यय नहीं हो रही है. यही स्थित रही, तो वित्तीय वर्ष 2016-17 में घर जाकर बैठने के सिवा दूसरा उपाय नहीं बचेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें