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गाइडलाइन नहीं, निजी स्कूलों की चलेगी मरजी

गाइडलाइन नहीं, निजी स्कूलों की चलेगी मरजी – निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से प्रशासन कर रहा परहेज संदीप सावर्ण, जमशेदपुर शहर के निजी स्कूलों में दाखिला के लिए लॉटरी प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी गयी है. जानकारी के अनुसार 4 जनवरी के बाद निजी स्कूलों में लॉटरी होगी. इस बार जिला […]

गाइडलाइन नहीं, निजी स्कूलों की चलेगी मरजी – निजी स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से प्रशासन कर रहा परहेज संदीप सावर्ण, जमशेदपुर शहर के निजी स्कूलों में दाखिला के लिए लॉटरी प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी गयी है. जानकारी के अनुसार 4 जनवरी के बाद निजी स्कूलों में लॉटरी होगी. इस बार जिला प्रशासन लॉटरी प्रक्रिया में हस्तक्षेप से परहेज कर रहा है. ऐसे में निजी स्कूल अपनी मरजी से सबकुछ (लॉटरी की प्रक्रिया क्या होगी, लॉटरी के वक्त कौन मौजूद रहेंगे, लॉटरी अॉनलाइन या अॉफलाइन होगी) तय करेंगे. अगर अॉनलाइन लॉटरी होती है, तो अभिभावकों का आवेदन फॉर्म लॉटरी में शामिल किया गया या नहीं, यह भी निजी स्कूलों की विश्वसनीयता पर ही निर्भर करेगा. हालांकि इसके पूर्व हर साल शिक्षा विभाग सभी निजी स्कूलों की संयुक्त बैठक बुला कर तय करता था कि लॉटरी पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए. इस बार अब तक विभाग की अोर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है. सरस से ही होगी लॉटरी!निजी स्कूल इस बार भी सरस (सॉफ्टवेयर) से ही लॉटरी करेंगे. यह लगभग तय हो चुका है. इसे लेकर जमशेदपुर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की कोर कमेटी की एक बैठक होनी थी, लेकिन महासचिव एपीआर नायर के अस्वस्थ अौर शहर में नहीं रहने की वजह से अब तक निजी स्कूलों की भी कोई बैठक नहीं हो पायी है. —————प्रशासन की अनदेखी से अभिभावकों में आक्रोश शहर के निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला को लेकर अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. जिला प्रशासन के प्रति अभिभावकों में आक्रोश है. हालांकि इसका वे खुल कर विरोध नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनके सामने बच्चे के भविष्य की चिंता है. अभिभावकों ने कहा कि जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों को मनमानी करने का लाइसेंस दे दिया है. ———साल दर साल विभाग की गतिविधि- हर साल घट रही बीपीएल दाखिले की संख्यासत्र 2012-13 : इस साल निजी स्कूलों से कड़ाई से निबटा गया था. तत्कालीन डीसी हिमानी पांडेय ने तत्कालीन डीएसइ सुशील कुमार को निजी स्कूलों में एडमिशन की पारदर्शिता का जिम्मा सौंपा था. लॉटरी के वक्त भौतिक सत्यापन किया गया था. इसका असर हुआ कि इस साल सबसे ज्यादा रिकॉर्ड 676 बीपीएल बच्चों का दाखिला लिया गया. सत्र 2013-14 : इसी सत्र से शहर में अॉनलाइन लॉटरी का प्रचलन शुरू हुआ. सरस सॉफ्टवेयर से लॉटरी हुई. प्रशासन की कड़ाई का असर हुआ कि लॉटरी के वक्त अभिभावक प्रतिनिधि, सामान्य अभिभावक व हर वर्ग के लोगों को शामिल किया गया. लोगों ने इसकी सराहना भी की. हालांकि शहर के अल्पसंख्यक स्कूलों ने 2012 में माइनॉरिटी का सर्टिफिकेट बनवाना शुरू किया, जिससे वे आरटीइ से बचने की जुगत करते रहे. इस सत्र में कुल 331 बीपीएल बच्चों का दाखिला हुआ. सत्र 2014-15 : इस बार से निजी स्कूलों की मनमानी बढ़नी शुरू हुई. कारण था कि उन्हें बीपीएल बच्चों के एवज में कोई फंड नहीं दिया गया था. हालांकि कुछ स्कूलों ने लॉटरी में पारदर्शिता बरतने की मिसाल पेश की. डीएवी जैसे स्कूल ने सब के सामने स्कूल मैदान में लॉटरी किया. बाहरी लोगों के साथ ही गेस्ट से पुरजे निकलवाये. इसकी विडियो रिकॉर्डिंग कर इसे निजी चैनलों का प्रसारित किया गया. इस सत्र में कुल 211 बीपीएल बच्चों का दाखिला हुआ. सत्र 2015-16 : जिला प्रशासन की अोर से एडमिशन से पूर्व बैठक बुलायी गयी थी. सभी को गाइडलाइन जारी किया गया था. इसमें बताया गया था कि कैसे एडमिशन की लॉटरी होगी. इसके बाद किसी सादे कागज पर कोई रोल नंबर लिख कर नोटिस बोर्ड पर चिपकाने की बजाय, कंप्यूटर से निकले एक्सएल शीट पर ही अंतिम राउंड यानी तीसरे राउंड में निकले कागज को नोटिस बोर्ड पर चिपकाने का आदेश दिया. जिला प्रशासन के खिलाफ निजी स्कूल हाइकोर्ट भी चले गये. इस सत्र में 207 बीपीएल बच्चों का दाखिला लिया गया. सत्र 2015-16 : निजी स्कूल को मनमानी का मौन समर्थन जिला प्रशासन की अोर से किया गया है. अब तक जिला प्रशासन की अोर से निजी स्कूलों के साथ एडमिशन को लेकर ना ही कोई बैठक की गयी है अौर ना ही कोई गाइडलाइन जारी किया गया है. निजी स्कूल लॉटरी करने वाले हैं. ———–प्रशासनिक हस्तक्षेप के खिलाफ हाइकोर्ट जा चुके हैं निजी स्कूल शहर के निजी स्कूलों ने झारखंड हाइकोर्ट में पिछले साल एक याचिका दायर की गयी थी. जिसमें जिला प्रशासन पर निजी स्कूलों के मामले में बार-बार हस्तक्षेप की बात कही गयी थी. निजी स्कूलों पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने की बात कही गयी थी. इस मामले में फिलहाल झारखंड हाइकोर्ट में फैसला लंबित है. इसके बाद जिला प्रशासन बैकफुट पर है. ——सबलीज की जमीन पर हैं स्कूल, प्रशासन कर सकता है हस्तक्षेप निजी स्कूलों की ओर से हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद जिला प्रशासन ने जबाव दिया है. उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल ने पिछले दिनों सेंटर फॉर एक्सीलेंस में आयोजित सेमिनार में साफ कर दिया है कि जिले के निजी स्कूल प्रशासनिक दायरे से बाहर नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जिस जमीन पर स्कूल बनायी गयी है उस जमीन का असली स्वामित्व सरकार है. अब उन्हें टाटा से सबलीज पर जमीन मिली है, इस कारण से वे सरकार की जमीन पर बने हुए हैं. कानूनन वे सरकार के कंट्रोल से बाहर नहीं है. जिला प्रशासन अगर चाहे तो स्कूल से जुड़े मामले में हस्तक्षेप कर सकता है. ——-सरस की विश्वसनीयता पर संदेह शहर के 90 फीसदी निजी स्कूल अॉनलाइन लॉटरी करते हैं. जिला शिक्षा विभाग ने सरस (सॉफ्टवेयर) को ब्लैक लिस्टेड किया है. वर्ष 2013 में तत्कालीन डीएसइ इंद्र भूषण सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान सरस का लिटमस टेस्ट किया गया था. जिसमें अभिभावक, निजी स्कूलों के प्रिंसिपल, जिला शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के सामने सरस के एक्सपर्ट ने अपना प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें साफ तौर पर यह निकल कर सामने आया था कि सरस से लॉटरी में आसानी से छेड़छाड़ संभव है.

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