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कई इकाइयां होंगी पंतनगर शिफ्ट!

जमशेदपुर: टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट की कई उत्पादन इकाइयों को पंतनगर (उत्तराखंड) ले जाने की चर्चा है. पहले चरण में मल्टी एक्सल (हेवी वेहिकल) वाहनों की उत्पादन इकाई वहां ट्रांसफर करने की योजना है. चर्चा है कि कंपनी ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. इन इकाइयों की यहां से ट्रांसफर कर दिया […]

जमशेदपुर: टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट की कई उत्पादन इकाइयों को पंतनगर (उत्तराखंड) ले जाने की चर्चा है. पहले चरण में मल्टी एक्सल (हेवी वेहिकल) वाहनों की उत्पादन इकाई वहां ट्रांसफर करने की योजना है. चर्चा है कि कंपनी ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. इन इकाइयों की यहां से ट्रांसफर कर दिया जाता है, तो जमशेदपुर पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है. जहां एक ओर काम के अवसर कम होंगे, वहीं आदित्यपुर क्षेत्र में भुखमरी की स्थिति पैदा हो जायेगी. लगभग एक लाख मजदूरों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. हालांकि, कंपनी प्रबंधन की ओर से इस तरह की किसी योजना की पुष्टि नहीं की जा रही है.
शहर के व्यवसायियों का कहना है कि कंपनी अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के दौरान इस बात के संकेत दिये गये हैं. जब इस मुद्दे पर गंभीरता से बात की गयी, तो कंपनी प्रबंधन ने पल्ला झाड़ लिया और कुछ भी स्पष्ट कहने से इनकार कर दिया.

टाटा मोटर्स मैनेजमेंट की तैयारी क्यों उत्पन्न हुए ऐसे हालातसूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार ने टैक्स पद्धति में बदलाव किया है. इसका लाभ अशोक लीलैंड समेत कई कंपनियां ले रही हैं. उनके उत्पाद सस्ते पड़ रहे हैं, ऐसे में प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में टीके रहने के लिए टाटा प्रबंधन को इस दिशा में सोचने के लिए विवश होना पड़ा है. झारखंड में टैक्स काफी ज्यादा है. यहां से माल बाहर भेजना भी आसान नहीं रहा है. यहां सड़क, एयरपोर्ट से लेकर रेल मार्ग तक की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है.

कंपनी से की जायेगी बात
इस तरह की बात सरकार के पास भी पहुंची है. उद्यमियों ने भी इसकी जानकारी हमें दी है. टाटा मोटर्स मैनेजमेंट से इस मुद्दे पर जल्द बातचीत होगी. यदि इस तरह की कोई योजना है, तो उसे रोकने का पूरा प्रयास राज्य सरकार करेगी. समस्या दूर की जायेगी.

चंपई सोरेन, उद्योग मंत्री झारखंड

उद्यमियों में भय का माहौल
बाजार में इसकी चर्चा है. हम लोगों ने कंपनी प्रबंधन और सरकार से इस मुद्दे पर संपर्क किया है, ताकि वाकई यदि ऐसी कोई योजना है, तो उसे रोका जा सके. इस मुद्दे पर राज्य और शहर की बेहतरी के लिए सबको मिल कर सोचना होगा और इसका हल निकालना होगा.
सुरेश सोंथालिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमस

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