।।दशमत सोरेन।।
जमशेदपुरः लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालांे की कभी हार नहीं होती. हरिवंश राय बच्चन की यह कविता एग्रिको निवासी पिंकी बास्के को हमेशा से प्रेरित करती रही है.
यही कारण है कि चिकित्सक बनने के बावजूद सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छा को पिंकी बास्के ने मरने नहीं दिया. चिकित्सीय पेशे में लंबा सफर तय करते हुए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से बांकुड़ा में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर के रूप में उन्होंने सेवा दी. पांच बार असफल रही पिंकी ने बगैर समझौता किये अपना प्रयास जारी रखा, नतीजतन छठवीं बार उन्होंने इस वर्ष सफलता अर्जित की. बकौल पिंकी हर असफलता ने उनके मन में नया विश्वास जगाया, कारणों की तफ्तीश की, उन्हें दुरुस्त किया और फिर मैदान में उतरी. ऐसे समय में जब लगातार असफल हो रही थी तो उन्हें फिर हिम्मत मिली उसी कविता से जो उन्हें प्रेरित करती है, मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दोगुना उत्साह इसी हैरानी में.पिता सेवानिवृत्त इंजीनियरत्र पिंकी के पिता पवन कुमार बास्के टिस्को में इंजीनियर रह चुके हैं. 2010 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनके दो छोटे भाई प्रताप बास्के व परवीन बास्के भी दिल्ली व कोलकाता में जॉब करते हैं.