हम गीत जतैक लिखलौं छी हमर वेदना…फ्लैग:: ‘मैथिली साहित्य में बदलत सामजिक चेतना व मानवीय मूल्य’ पर परिसंवाद और कवि सम्मलेन लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर साहित्य अकादमी, नई दिल्ली एवं मिथिला सांस्कृतिक परिषद के संयुक्त तत्वाधान में बिष्टुपुर श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान में रविवार को आयोजित ‘मैथिली साहित्य में बदलत सामजिक चेतना और मानवीय मूल्य’ पर परिसंवाद एवं कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया. इसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कवि श्यामल सुमन ने हम गीत जतैक लिखलौं छी हमर वेदना, हमर जीवन में भेल बहुतै अवहेलना… कवि देवकांत मिश्र ने वीर रस की कविता शांति के घर के पुनः आय झकझोर रहल कय, आय हिमालय केर आंगन म बजा रहल कय…, कवि अमलेंदु शेखर पाठक ने आबी रहल छी हम आबी रहल छी नवल सूर्य मुठ्ठी में नेने गीत प्रगति के गाबी रहल छी…, कवियत्री शांति सुमन ने जहिया जहिया मोन परय छी अहां गाम स दूरि, तहिया लगि बेल पत्र पर रखल लाल सिनूर…, कवि विद्याधर मिश्र ने अपनहूं छी ने बुझु जे गेले कर छी…, कवि सियाराम सरस ने राज मिलल बंकि कोनो काज नखे मिलल रे, सीमा शासन दिसुम मुदा सोराज नखे मिलल रे… आदि कविताओं को सुनाकर श्रोताओं को रस से सराबोर कर दिया.कवि सम्मेल्लन की अध्यक्षता कर रहे जानेमाने कवि बुद्धिनाथ मिश्र ने चारु कात बसैय विषधर, पोरे पोरे डसल छी, अहि बिखाह जंगल में हमही चानन गाछ बनल छी…कविता से दर्शकों का मन मोह लिया. इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मैथिल कवि विद्यिापति के चित्र पर पुष्प अर्पित एवं जय-जय भैरवी गीत से हुई. परिषद के शंकर नाथ झा ने स्वागत की प्रस्तुति की. इसके पश्चात अतिथियों को शाल एवं पाग देकर स्वागत किया गया. विशिष्ट अतिथि खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि परिषद् ने अपनी सामाजिक एवं सांस्कृतिक के साथ-साथ साहित्यक दायित्वकों का निरंतर निर्वाह कर सामाजिक चेतना को साबित किया है. उद्घाटन सत्र में सहित्य अकादमी के विशेष कार्याधिकारी देवेन्द्र कुमार देवेश ने कहा कि अकादमी मिथिलांचल के साथ-साथ मैथिलभाषियों की वृहत संख्या वाले शहरों में सहित्य को सृजित एवं पल्लवित करने का कार्य कर रही है. परिषद् के महासचिव श्री ललन चौधरी ने परिषद की सहित्यक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए परिषद् की पत्रिका संस्कृति की निरंतर के प्रकाशन पर विचार रखा. उद्घाटनकर्ता टाटा स्टील के उपाध्यक्ष सह परिषद् के संरक्षक श्री बीके दास ने साहित्य के सामाजिक सरोकार पर अपनी बातों को रखा. मैथिली भाषा परामर्श मंडल की संयोजिका श्रीमती वीणा ठाकुर ने कहा सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्य का अर्थ समकालीन होना है. अशोक अविचल ने मैथिली साहित्य में साहित्यकार किस प्रकार सामाजिक चेतना के प्रति सजग हुए उस पर प्रकाश डाला. हरिवल्लभ सिंह आरसी ने कहा कि वैसे विषय वस्तु का चयन करें, जिससे समाज को लंबे समय तक लाभ मिले. अध्यक्षीय भाषण देते हुए परिषद् के अध्यक्ष लक्ष्मण झा ने मैथिली साहित्य का समाज में सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पर विचार व्यक्त किया. धन्यवाद ज्ञापन गोपालचंद्र झा ने किया. प्रथम सत्र में ब्रज किशोर मिश्र, (दुमका) जयंत झा (रांची) चौधरी अनमोल झा (कोलकाता) ने सामाजिक कुरीतियों पर अपने लेखनी के माध्यम से प्रहार करते हुए विद्यापति द्वारा बहु विवाह, बेमेल विवाह पर रखी गयी राय का जिक्र किया. लोगों ने साहित्य अकादमी की ओर से लगाये गये स्टॉल का भी लाभ लिया.
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