‘वेस्ट’ को बनाते हैं ‘बेस्ट’ बेकार सामान तब तक बेकार रहता है, जब तक वह सही हाथों में नहीं पहुंच जाता. हाथों में हुनर है, तो बेकार चीजों को भी उपयोगी बनाया जा सकता है. कुछ ऐसे ही हुनर का परिचय दे रहे हैं, अपने शहर के स्कूली छात्र. वे सिर्फ बेकार चीजों के उपयोग का रास्ता ही नहीं बता रहे, बल्कि क्रियेटिविटी से लोगों को चमत्कृत भी कर रहे हैं. ज्यादातर स्कूलों में ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ के नाम से समय-समय पर प्रतियोगिताएं होती हैं. इसके लिए स्कूलों में बकायदा क्लब तक बना हुआ है. छात्र ‘वेस्ट’ को ‘बेस्ट’ कैसे बनाते हैं, इसी पर पढ़िये लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट…———-बिजली बनाने का नायाब तरीका मॉडल : सीडी व स्पीड ब्रेकर से बिजली उत्पादन इनोवेटर : बी आयुष रेड्डी, के होमी, आशुतोष काश्यप, एसएम फैजान (नौवीं)स्कूल : सेंट मेरी इंगलिश हाइस्कूल, बिष्टुपुरप्रोजेक्ट 1 : भला सीडी को घुमाने से बल्ब जल सकता है क्या? हां. इसे सच कर दिखाया है इन छात्रों ने. इन्होंने कई बेकार सीडी को जोड़कर उसमें रबर बैंड लगायी व उसे मोटर के साथ लिंक कर दिया. सीडी को हाथों से घुमाने से मोटर ऊर्जा पैदा करता है. इसे बल्ब जल उठता है. साइंटिफिक भाषा में कहें, तो पोटेंशियल एनर्जी इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल जाती है. इस मॉडल को ‘बेस्ट ऑउट ऑफ वेस्ट’ कंपीटीशन में कई खिताब मिले हैं. प्रोजेक्ट 2 : इन्हीं बच्चों ने एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जो बहुत ही कम लागत में बिजली पैदा करेगा. आशुतोष बताते हैं कि दिनों-दिन वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ऐसे में सड़कों के बीचोंबीच डिवाइडर के रूप में डायनेमो लगाया जाये, तो लोग खुद ब खुद गाड़ी की रफ्तार धीमे करेंगे, जिससे एक्सीडेंट नहीं होगा. वाहन जब-जब डायनेमो के ऊपर से गुजरेंगे तो डायनेमो घूमेगा और उससे ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकेगा. यह प्रोजेक्ट बच्चों की इसी सोच को दर्शाता है. इसका निर्माण बेकार पड़ी सीडी, लकड़ी के तख्तों, स्ट्रा, कागज, रबर बैंड, टूथ पिक के साथ कागजों की मदद से पहाड़ का निर्माण किया गया है. यह इकोफ्रेंडली होने के साथ ऊर्जा की बचत को बताता है.———————घर की बेकार चीजों से बनाया उपयोगी रोबोट मॉडल : सेमी ऑटोनोमस ह्यूमेट रोबोटइनोवेटर : रईस आलम (10वीं) स्कूल : दिल्ली पब्लिक स्कूल मानगो में रहने वाले रईस आलम ने जो रोबोट तैयार किया है, उसे रांची में स्टेट लेवल पर सीबीएसइ द्वारा आयोजित होने वाले एग्जीबिशन में प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा. रईस ने बताया कि उसका रोबो कई मामलों में खास है, यह सेमी ऑटोनोमस ह्यूमेट रोबोट है. सेमी ऑटोनोमस यानी रिमोट द्वारा संचालित व ह्यूमेट रोबोट यानी इंसान की तरह दिखने वाला. इसे घर में बेकार पड़ी रहने वाली चीजों से तैयार किया गया है. रोबो के पैरों को पीवीसी पाइप्स से बनाया गया है. कमर के ऊपरी हिस्से को डस्टबिन से बनाया है और कमर का मूवमेंट हो सके, इसलिए पॉट कीपर का इस्तेमाल किया गया है. इसमें कैमरा भी लगा है, इसे लैपटॉप व रिमोट की मदद से दूर से भी संचालित किया जा सकता है. यह इसलिए भी खास है, क्योंकि यह सैंड वाटर फिल्टर का काम करता है. इससे प्योर (फिल्टर युक्त) पानी तैयार किया जा सकता है. इस रोबोट का इस्तेमाल सिक्योरिटी नजरिये से भी किया जा सकता है.——————-ऐसा सुरक्षा कवच, जहां परिंदे भी न मार सकें पर मॉडल : लेजर थेफ्ट डिडक्शन सिस्टमइनोवेटर : आस्था, अदिति झा, उपासना, पूजा (8वीं)स्कूल : जुस्को स्कूल साउथ पार्क, बिष्टुपुरइन स्टूडेंट्स ने लेजर थेफ्ट डिडक्शन सिस्टम का निर्माण किया है. इसमें नक्सल इलाकों में मौजूद आर्मी हेडक्वार्टर को दिखाया गया है. यदि हेडक्वार्टर के दायरे में कोई अनजान व्यक्ति लेजर के आरपार होता है, तो तुरंत सायरन बज उठता है. यह सुरक्षा की दृष्टिकोण से कई मामलों में खास है. छात्रों ने इस प्रोजेक्ट को शहर के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स में आयोजित हुए नेशनल क्रिएटिविटी ओलंपियाड में प्रस्तुत किया था. वहीं, स्कूल द्वारा आयोजित साइंस एग्जीबिशन में इस प्रोजेक्ट को बेस्ट ऑउट ऑफ वेस्ट का खिताब भी हासिल हुआ है. इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल ग्रामीण विकास के लिए किया जा सकता है. नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां विकास नहीं हो पा रहा है, इसके जरिये वहां की सुरक्षा व्यवस्था को और भी ज्यादा मजबूत किया जा सकता है. इसे बनाने के लिए टूटे-फूटे थर्मोकोल का इस्तेमाल किया गया है. पत्तों से रंग तैयार किया गया है व बेकार पड़े कागजों से गोदाम आदि का निर्माण किया गया है. इसमें लेजर लाइट व सेंसर का इस्तेमाल किया गया है.———————बड़े काम की है यह छोटी पहल मॉडल : कूड़े से कूड़ादान व झाड़ू इनोवेटर : अविरंजन कुमार व राजन चौधरी (11वीं)स्कूल : काशीडीह हाइस्कूल, साकचीबेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों, गत्तों व कुछ कागजों से अविरंजन व राजन ने कूड़ेदान बनाया. वहीं, बोतल के निचले सिरे को काटकर झाड़ू का निर्माण किया. इसके ऊपरी सिरे में लकड़ी को डालकर झाड़ू बना दिया गया है. इन दोनों चीजों को बनाने के लिए स्कूल में हुई प्रतियोगिता के दौरान इन छात्रों को मोस्ट इनोवेटिव आइडिया की ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया. अविरंजन बताते हैं कि नॉन बायोडिग्रिडेबल प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल में लाने के लिए ही इसे तैयार किया है. मेरा मकसद यह भी है कि लोग मॉडल को देखकर जागरूक हो सकें.फोटो परिचय : बेकार बोतलों का घर:::: हेडिंगपरिचय : यह तस्वीर काशीडीह हाइस्कूल की ही है. स्कूल के कुछ छात्रों ने इसे तैयार किया था. जब खाली बोतलों से हट तैयार करने की शुरुआत छात्रों ने की, तो समस्या आई कि इतनी बोतलेें कहां मिलेंगी. छात्रों ने कबाड़ का कारोबार करने वाले लोगों से संपर्क किया. वे छात्रों को मुफ्त में बोतलें देने को तैयार हो गये. इसके बाद तो छात्रों ने देखते ही देखते हट तैयार कर दिया. यहां पर म्यूजिक क्लास भी होने लगी. हालांकि, अब यह हट अस्तित्व में नहीं है. ———————-कचरे को बनाया कला का नमूना मॉडल : काइट विद अ मैसेज इनोवेटर : आदित्य कुमार व स्यानी दास (10वीं)स्कूल : जमशेदपुर पब्लिक स्कूल, बारीडीहजेपीएस स्कूल के स्टूडेंट्स आदित्य व स्यानी दास की पतंग संदेश देती है. आदित्य व स्यानी दास बताते हैं कि यह पेरिस में हुए हमले में मारे गये निर्दोश लोगों को श्रद्धांजलि है. साथ ही लोगों की एकजुटता को बढ़ावा देने को पेश करता संदेश है. इसे तैयार करने के लिए बादाम के छिलकों, पीपल के पत्तों, पॉलीथीन, खराब कागजों व रंगों की मदद ली गयी है. छात्रों ने इस पतंग को स्कूल द्वारा आयोजित एग्जॉटिका प्रतियोगिता में पेश किया था, जिसमें उन्हें तीसरा स्थान मिला.———————–कबाड़ से तैयार किया तबला मॉडल : कबाड़ का तबला इनोवेटर : नवलेश कुमार यादव (10वीं) स्कूल : एआइडब्ल्यूसी बारीडीह हाइस्कूलनवलेश ने बेकार पड़े सामान से तबला तैयार किया है. स्कूल के आर्ट टीचर के कहने व उनकी सलाह अपनाकर इसे तैयार किया. यह छोटा जरूर है, लेकिन देखने में हूबहू तबले की तरह है. आर्ट टीचर बताते हैं कि स्कूल में समय-समय पर बच्चों की क्रिएटिविटी को निखारने के लिए प्रोग्राम कराये जाते हैं. ताकि, उनकी सोच और भी ज्यादा विकसित हो सके. स्कूल द्वारा आयोजित समर कैंप में नवलेश ने इसे तैयार किया था. ढोलक को बनाने के लिए बेकार पड़े गत्तों, रस्सी, कलर्स व गोंद की मदद ली गयी.———————-कबाड़ से बनायी पवन चक्की, मिलेगी बिजली मॉडल : विंड मील इनोवेटर : रोहित कुमार (11वीं), जाहिद असलम (11वीं), गार्गी मंडल (9वीं)स्कूल : एडीएलएस सनशाइन स्कूल, साकचीइन छात्रों ने वेस्ट सामान से विंड मील बनायी है. इसमें लगे एक्सल की मदद से खेतों में पानी की सप्लाई की जा सकती है और विद्युत ऊर्जा का निर्माण भी किया जा सकता है. 2013 में जेएच तारापोर स्कूल में आयोजित हुई प्रतियोगिता में इन स्टूडेंट्स को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट कैटेगिरी में दूसरा पुरस्कार मिला था. गार्गी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों, बकेट, रिफिल, प्लास्टिक लीड व बेकार कार्डबोड का इस्तेमाल किया गया है.
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ह्यवेस्टह्ण को बनाते हैं ह्यबेस्टह्ण
‘वेस्ट’ को बनाते हैं ‘बेस्ट’ बेकार सामान तब तक बेकार रहता है, जब तक वह सही हाथों में नहीं पहुंच जाता. हाथों में हुनर है, तो बेकार चीजों को भी उपयोगी बनाया जा सकता है. कुछ ऐसे ही हुनर का परिचय दे रहे हैं, अपने शहर के स्कूली छात्र. वे सिर्फ बेकार चीजों के उपयोग […]
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