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ऑपरेशन से टेढ़ी आंख का इलाज संभव : डॉ पंकज

जमशेदपुर: ऑपरेशन से टेढ़ी आंख का इलाज संभव है. टेढ़ी आंख वालों को काफी परेशानी होती है. इसका ऑपरेशन देश में आसानी से हो रहा है. उक्त बातें कोलकाता से आये डॉक्टर पंकज ने कही. वे शुक्रवार को बिष्टुुपुर स्थित यूनाइटेड क्लब में झारखंड ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी (जॉसकॉन- 2015) के 13वां वार्षिक कॉन्फ्रेंस में बोल रहे […]

जमशेदपुर: ऑपरेशन से टेढ़ी आंख का इलाज संभव है. टेढ़ी आंख वालों को काफी परेशानी होती है. इसका ऑपरेशन देश में आसानी से हो रहा है. उक्त बातें कोलकाता से आये डॉक्टर पंकज ने कही. वे शुक्रवार को बिष्टुुपुर स्थित यूनाइटेड क्लब में झारखंड ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी (जॉसकॉन- 2015) के 13वां वार्षिक कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में फेको सर्जरी काफी लाभकारी हो रहा है. इसके तहत अगर कोई चश्मा नहीं पहनना चाहता है, तो ऑपरेशन कर ठीक किया जा सकता है.
चोट लगने से हो सकती है मोतियाबिंद
उन्होंने कहा कि मोतियाबिंद के कई कारण हो सकते हैं. आंख में चोट लगना, लेंस टूटना, जन्मजात, कमजोर बच्चा पैदा होने पर, आंख की बीमारी आदि है. शुगर (मधुमेह) के कारण भी मोतियाबिंद हो रही है. पहले 50 से 60 साल में मोतियाबिंद होती थी, लेकिन अब कम उम्र में भी यह बीमारी हो रही है. मोतियाबिंद को रोकने लिए कोई दवा नहीं है. जिस बच्चे को जन्म से हार्ट की बीमारी है, उसे मोतियाबिंद हो सकती है.
डॉ मंजुल पंत मेमोरियल अवॉर्ड के लिए हुई प्रतियोगिता
सेमिनार में उपस्थित डॉक्टरों को वीडियो के माध्यम से आंख की सर्जरी के बारे में जानकारी दी गयी. वहीं डॉ मंजुल पंत मेमोरियल अवॉर्ड के लिए डॉक्टरों के बीच वीडियो कंपीटीशन और क्विज हुआ. इसमें डॉक्टरों की तीन टीमों ने हिस्सा लिया. उसके बाद शाम में सोसायटी के एग्जीक्यूटिव बॉडी की बैठक हुई. इसमें संगठन को मजबूत करने पर चर्चा की गयी. इस दौरान शहर के कई जाने-माने डॉक्टर उपस्थित थे.
रेटिना का समय पर इलाज जरूरी : डॉ ललित
सेमिनार में नयी दिल्ली से आये डॉ ललित वर्मा ने कहा कि रेटिना का इलाज समय पर नहीं कराने से मरीज अंधा हो सकता है. इसके बाद इसका इलाज नहीं हो सकता है. उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि रेटिना का पर्दा फटने पर कैसे ऑपरेशन किया जाता है. विभिन्न कारणों से रेटिना खराब होते हैं. वर्तमान में शुगर मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले दो प्रतिशत शुगर मरीज थे, जो आज 10 प्रतिशत हो गये हैं. इसके लिए लोगों के बीच जागरुकता फैलाने की जरुरत है. इसका इलाज सबसे पहले लेजर से किया जाता है. इसमें सफलता नहीं मिलने पर इंजेक्शन और अंत में ऑपरेशन करना पड़ता है. मरीजों को हमेशा अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए.

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