17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कल शयन से जगेंगे भगवान श्रीहरि

कल शयन से जगेंगे भगवान श्रीहरि(फोटो हरि प्रबोधिनी के नाम से सेव है)हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत 22 को26 से शुरू होंगे विवाहादि शुभ कार्यलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को हरि प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थान एकादशी) के रूप से मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व रविवार 22 नवंबर को है. वैसे तो एकादशी […]

कल शयन से जगेंगे भगवान श्रीहरि(फोटो हरि प्रबोधिनी के नाम से सेव है)हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत 22 को26 से शुरू होंगे विवाहादि शुभ कार्यलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को हरि प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थान एकादशी) के रूप से मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व रविवार 22 नवंबर को है. वैसे तो एकादशी तिथि का शुभारंभ शनिवार दोपहर 1:07 बजे से हो रहा है, जो रविवार दोपहर 3:30 बजे तक रहेगी. लेकिन, उदया तिथि के अनुसार रविवार को ही देवोत्थान एकादशी मनायी जानी चाहिए. इस व्रत के निमित्त प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर अष्टदल निर्मित कर सामर्थ्यानुसार भगवान श्रीहरि के पीतांबर धारी, शंख, चक्र, गदा धारी चतुर्भुज एवं शेष शाय रूप की स्वर्ण, ताम्र या अन्य धातु की, मिट्टी की मूर्ति अथवा तसवीर रख कर उनका यथा विधि शोडषोपचार पूजन करना चाहिए. इसके बाद रात्रि जागरण करते हुए हरि कीर्तन करना चाहिए और दूसरी सुबह वेद पाठी पांच ब्राह्मणों को बुलाकर यथाशक्ति दान कर उन्हें भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए. जो लोग एकादशी व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं, उनके लिए यह अत्युत्तम अवसर है.निद्रा से जगेंगे भगवान श्रीविष्णुपौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीविष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि से शयन के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं तथा वे कार्तिक शुक्ल दशमी तिथि तक वहीं शयनरत रहते हैं. कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को वे जगते हैं और इसी के बाद से विवाहादि शुभ कार्य पुन: आरंभ होते हैं. हालांकि, लग्नाभाव के कारण इस वर्ष विवाहादि शुभ कार्यों की शुरुआत 23 नवंबर से होगी, वैसे वाराणसी पंचांग के अनुसार विवाहादि शुभ कार्यों की शुरुआत 26 नवंबर से हो रही है.तुलसी विवाह भी इसी दिनकहीं-कहीं परंपरानुसार इसी दिन भगवान शालिग्राम का तुलसी के साथ विवाह संपन्न कराया जाता है. परंपरानुसार मान्यता है कि इसी दिन भगवान शालिग्राम का तुलसी के साथ विवाह संपन्न हुआ था. जिनकी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए. इसमें व्रती विवाह की सारी विधियां पूरी कराते हैं. व्रती भगवान श्रीहरि के निमित्त वस्त्र अर्पित करते हैं तथा तुलसी के पेड़ में लाल वस्त्र बांधा जाता है. जिनके घर में तुलसी चौरा नहीं है, वे आज के दिन तुलसी के पौधे को लगा कर इसी दिन से सींचना आरंभ करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें