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सैंपल पेपर से भी मिलती है काफी मदद

सैंपल पेपर से भी मिलती है काफी मददफराह नाज मार्क्स : 93 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : एडीएलएस सनसाइन स्कूल, साकची बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : शबाना अली, राशिद मकबूल लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने टारगेट बनाकर तैयारी की थी कि मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने हैं. मेरा […]

सैंपल पेपर से भी मिलती है काफी मददफराह नाज मार्क्स : 93 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : एडीएलएस सनसाइन स्कूल, साकची बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : शबाना अली, राशिद मकबूल लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने टारगेट बनाकर तैयारी की थी कि मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाने हैं. मेरा मानना है कि लक्ष्य सामने होने से आपकी तैयारी अच्छी होती है. आपको लक्ष्य तक पहुंचने की प्रेरणा मिलती रहती है. मैंने क्लास बहुत कम मिस किया था. चार से छह घंटे रोज पढ़ती थी मैं स्कूल के बाद रोज स्वाध्याय के लिए चार से छह घंटे का समय जरूर निकल लेती थी. इसके लिए रूटीन बना लिया था. रूटीन बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप हर विषय पर ध्यान दे पाते हैं. बिना रूटीन की पढ़ायी पर आप हर विषय पर बराबर समय नहीं दे पाते. इस बात का मैंने ख्याल रखा था. डीले करें मैथ्स व अकाउंट्स की प्रैक्टिस मैं मैथ्स और अकाउंट्स का डेली अभ्यास करती थी. ये दोनों ही विषय रोज अभ्यास की मांग करते हैं. इन विषयों की गैप लेकर पढ़ायी करने पर अगले दिन भूलने के चांस रहते हैं. इसलिए मैं कॉमर्स संकाय के हर छात्र को सलाह देना चाहती हूं कि वह मैथ्स और अकाउंट्स का रोज अभ्यास करें. अभ्यास करने से अंतिम समय में आसानी होती है. हर दिन इंगलिश का एक असाइनमेंट मैं इकनोमिक्स और कॉमर्स अल्टरनेटिव डे पढ़ती थी, क्योंकि ये थोड़े आसान थे. एक बार पढ़ लेने के बाद याद हो जाते थे. इंगलिश की बात करूं तो इसमें ग्रामर का एक असाइनमेंट मैं हर दिन बनाती थी. कॉमर्स और इंगलिश को एक बार पढ़ लेने के बाद इसे लिखकर याद करती थी. लिख लेने से कॉन्फिडेंस आ जाता है. क्वेश्चन बैंक से की तैयारी प्री बोर्ड के बाद मैंने क्वेश्चन बैंक से तैयारी की थी. दस साल के क्वेश्चन बना लेने से मुझे बोर्ड परीक्षा का पैटर्न पता चल गया था. वैसे स्कूल में टीचर परीक्षा पैटर्न की जानकारी देते थे. इसके अलावा सैंपल पेपर से भी तैयारी की थी. काफी उपयोगी होते हैं नोट्स नोट्स काफी उपयोगी होते हैं. परीक्षा नजदीक आने पर यह काफी काम के साबित होते हैं. मैंने हर विषय के खुद के नोट्स बनाये थे. वैसे क्लास में इकनोमिक्स के तैयार कराये गये नोट्स काफी थे. इसमें अलग से नोट्स बनाने की जरूरत नहीं पड़ी. अकाउंट्स में हुई थोड़ी दिक्कत मुझे अकाउंट्स में थोड़ी दिक्कत हुई थी. इसके ज्वाइंट वेंचर चैप्टर को बार-बार अभ्यास करना पड़ा था. इसके लिए मैंने टेक्स्टबुक के अलावा बीके गोयल, ओपी मल्होत्रा, एके सिन्हा जैसे राइटर्स की किताबों से मदद ली. इस तरह रोज अभ्यास करने से अंत तक यह चैप्टर पूरा हो गया था. सीए करना है सपना मैं सीए करना चाहती हूं. वर्तमान में मैं रांची स्थित सेंट जेवियर्स कॉलेज से अकाउंट्स ऑनर्स के साथ बीकॉम कर रही हूं. सीए पूरा हो जाने के बाद मैं नौकरी करना चाहती हूं. बात पते की रूटीन के साथ पढ़ायी करें, अकाउंट्स व मैथ्स रोज बनायें हर विषय पर ध्यान रहे, इसके लिए खुद से ही नोट्स बनायेंसामने एक टारगेट जरूर रखें, जिससे आसानी मिलती है

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