… इसलाम जिंदा हाेता है हर करबला के बाद (परसुडीह नाम से) -पुलिस बल की तैनाती के बीच निकला दसवीं का अखाड़ा जुलूसजमशेदपुर में कुल अखाड़े : 131लाइसेंसी अखाड़ा : 70गैर लाइसेंसी अखाड़ा : 61कुल ताजिया निकले : 14कुल लंगर लगे : 130उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर मुहर्रम की दसवीं पर इमाम हुसैन की याद में शनिवार शाम शहर के विभिन्न क्षेत्र में अखाड़ा जुलूस निकला. चौक-चौराहों पर डंका के धुन पर अखाड़ा खेलते हुए जुलूस में शामिल लोग आगे बढ़ रहे थे. इस दौरान लोग ‘…कत्ले हुसैन असल में मर गये यजीद हैं, इसलाम जिंदा होता है हर करबला के बाद…’ आदि का उदघोष कर रहे थे. वहीं अखाड़ों में करतब दिखा रहे लोग तकबीर अल्लाह हो अकबर, रसूलअल्लाह…’ आदि नारे लगा रहे थे. नवमी और दसवीं को इमाम हुसैन को चाहनेवालों ने रोजा रखा और सूरा पढ़ा. ऐसा जिक्र है कि मुहर्रम का रोजा रखनेवालों को कई गुना सवाब मिलता है. मानगो, आजादनगर, धातकीडीह, रानीकूदर, जुगसलाई, गोलमुरी, टेल्को, कीताडीह, मकमदमपुर, साेनारी में देर शाम अखाड़े निकले. चौक-चौराहों पर करतब दिखाते हुए देर रात करबला में पहलाम (विसर्जन) किया गया. जिला प्रशासन ने पहलाम के लिए साकची पंप हाउस, जाकिरनगर कब्रिस्तान, करबला घाट बिष्टुपुर, हुडको में करबला की व्यवस्था की थी. यहां विद्युत रोशनी की व्यवस्था की गयी थी. पिछली बार कुछ अखाड़ों में हुए विवाद को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. ——————ताैबा हुई थी कबूलमुहर्रम को शहादत का दिन माना जाता है, लेकिन यह सिर्फ शहादत का दिन नहीं है. इसलामिक कैलेंडर के अनुसार इस दिन और भी कई बड़ी घटनाएं हुई थी. मुहर्रम की पहली तारीख से नया इसलामी साल शुरू होता है. मुहर्रम की 10 तारीख को यौमे आशूरा कहा जाता है. इसका इसलामी इतिहास में बड़ा महत्व है. मुहर्रम की दस तारीख को नूह अलैयहस्सिलाम की कश्ती तूफान में घिरने के बाद जूदी पहाड़ पर ठहरी थी. हिजरी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की दस तारीख को इसलाम का संदेश देने आए ईशदूत आदम अलैयहस्सिलाम की तौबा यौमे आशूरा को कुबूल हुई थी. यौमे आशूरा को ही मूसा अलैयहस्सिलाम को फिरऔन के जुल्म से निजात मिली थी. दस मुहर्रम को ही यूनुस अलैयहस्सिलाम मछली के पेट से जीवित बाहर निकले थे. आशूरे के दिन ही इसलामी इतिहास की एक और महत्वपूर्ण घटना घटित हुई जिसे, यौमे शहादत के नाम से जाता है. यह घटना इराक के शहर करबला में सत्य के लिए जान कुरबान देने की जिंदा मिसाल है. इस घटना में मुहम्मद साहब के नवासे हजरत हुसैन मैदान ए करबला में यजीद की फौजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. मुहर्रम की दस तारीख को अधिकतर मुसलमान रोजा रखते हैं. यह दिन उन्हें याद करने का है. नौ-दस को या दस-ग्यारह को भी रोजा रखा जाता हैं. लोग एक दूसरे के गले भी मिलते हैं.————-अखाड़ों में दिखाये हैरत अंगेज करतबदसवीं पर निकले अखाड़ों में युवक हैरतअंगेज करतब दिखा रहे थे. तलवार, लाठी और मुंह में मिट्टी का तेल भर कर आग का छल्ला निकालने के खेल लोगों को रोमांचित कर रहा था. कई स्थानों पर ट्यूब लाइट का करतब दिखाया गया.रुहानी मर्कज में याद -ए- हुसैन का एहतमामयौमए आशूरा के मुबारक मौके पर रुहानी मर्कज में याद- ए- हुसैन (अ.स.) का एहताम किया गया. इस मौके पर पूर्व विधायक हसन रिजवी ने कहा कि हक व सदाकत के लिए हजरत इमाम हुसैन की अजीम कुरबानी ने इसलाम को नयी जिंदगी अदा की. इस अवसर पर मोबिनुल होदा कादरी, हाफिज फैसल इमाम, आलीशान इमाम ने कुरबानियां हुसैन का अंजम खूब है मनकबत पेश किया. शोहदा ए करबला कमेटी शोहदा ए करबला कमेटी ने मुकाम -ए- करबला में इजतेमाइ दुआ व दारुद ओ सलाम पेश किया. कमेटी के सरपरस्त अनवर अली ने बताया कि इमाम हुसैन की याद में लंगर का आयोजन किया गया. हुसैनी मिशन में अमाल के बाद मजलिस समाप्त साकची एल टाउन स्थित हुसैनी मिशन के लोगों ने यौम-ए- अशुरा पर शनिवार की सुबह जुलूस निकाला. इसके बाद अमाल किया. देर शाम आयोजित मजलिस के बाद खिचड़ा बांटा गया. शिया समुदाय के लाेगाें ने फाका (उपवास) रखा. शाम काे कुछ आहार लिया. देर शाम आयाेजित मजलिस में माैलाना माेहम्मद अली जबलपुरी ने करबला के वाक्य का जिक्र किया. साकची एल टाउन अरपत राेड में एसएम हैदर के आवास पर दस दिनाें से मजलिस चल रहा था. अखाड़ों में सम्मान समारोहकीताडीह गाड़ीवान पट्टी में शेख सलाउद्दीन के नेतृत्व में साउथ सेटेलमेंट रेलवे अखाड़ा 1928 में आयोजित सम्मान समारोह में जिला परिषद सदस्य राजकुमार सिंह, परसुडीह थाना के इंस्पेक्टर बीके चतुर्वेदी, गाेविंदपुर थाना प्रभारी दयानंद कुमार, शेरू खान, अंबिका बनर्जी को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया. इसके बाद अखाड़ा महुआ गली, स्टेशन चौक होते हुए बिष्टुपुर स्थित करबला पहुंचा. मगदमपुर से भी नंबर दो अखाड़ा कमेटियों ने अखाड़ा जुलूस निकाला. मानगो ग्रीन वैली और हुसैनी निजमी अखाड़ा, धातकीडीह में अखाड़ा निकला. बाबनगोड़ा चौक, वारिस कॉलोनी, रोड नंबर 13 जवाहनगर, गांधी मैदान, डांगूडीह, ओल्ड पुरुलिया रोड, कुली रोड, धातकीडीह, मुंशी मोहल्ला, रोड नंबर 14, आजाद अखाड़ा रोड नंबर 4 में पगड़ी सम्मान समाराेह किया. इंडियन माइनोरिटी फ्रंट के महासचिव बाबर खान को गौसिया अखाड़ा, अहमद अखाड़ा, जाकिरनगर, छपरइया अखाड़ा, एतेहादुल अखाड़ा, मोहम्मडन लाइन, साकची गौशाला अखाड़ा, धातकीडीह एक नंबर अखाड़ा, बीएच एरिया अखाड़ा, रानीकूदर, शास्त्रीनगर और सोनारी अखाड़ा में पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया. धातकीडीह में फिरोज खान को अल हुसैनी अखाड़ा, एमटू अखाड़ा, समद अखाड़ा में माैजूद थे. पहलाम- करबलापंप हाउस साकची में : मानगो, आजादनगर, जाकिरनगर,उलीडीह, साकची, भालूबासा टेल्को, गोलमुरी के अखाड़ा. बिष्टुपुरबेलीवोधनवाला गैरेज के पास : कीताडीह, मगदमपुर, धातकीडीह,रानीकूदर, जुगसलाई, सोनारी, शास्त्रीनगर के अखाड़ा.अखाड़ा में शामिल हुए : जिप सदस्य राजकुमार सिंह, बाबर खान, फिरोज खान, गुलाम मोइनुद्दीन, हसीन अहमद, शेर खान, डॉ अफरोज शकील, शेख सलाउद्दीन, राजू गद्दी, हसीन अहमद, मतलूब अनवर खान.लंगर का आयोजनमुहर्रम पर आयोजित लंगर में शहर के बुद्धिजीवी व्यस्त रहे. गोलमुरी और साकची पोस्ट ऑफिस के पास एसएन गुलजार के नेतृत्व में लंगर चला. यहां पगड़ी बांधी गयी. इत्तेहाद लंगर कमेटी ने गुलाम मोइनुद्दीन के नेतृत्व में धातकीडीह में लंगर हुआ. अल हुसैनी अखाड़ा लंगर कमेटी ने लंगर बांटा. मानगो में भी बांगट होटल के पास कासिम जान खान के अलावा विभिन्न कमेटियों ने लंगर लगाया.
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