जमशेदपुर: टाटा स्टील में अब फीसदी के आधार पर बोनस देना संभव नहीं लगता है क्योंकि कर्मचारियों का बेसिक व डीए इतना ज्यादा है कि अगर उसके लिहाज से बोनस दिया जाये तो प्रत्येक कर्मचारी काे लाखों में यह राशि चली जायेगी. यह बातें टाटा स्टील के वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी ने कहीं. श्री त्रिपाठी बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में श्रम कानून को लेकर आयोजित सेमिनार के बाद प्रभात खबर से संक्षिप्त बातचीत कर रहे थे.
श्री त्रिपाठी ने कहा कि बोनस समझौता को लेकर किसी तरह का जिच नहीं है. सीधे तौर पर यह तय फार्मूले के आधार पर आयी राशि के हिसाब से कर्मचािरयों को वितरित कर दी गयी है. इसको फीसदी के आधार पर निकाला जाना गलत है. यह फिक्स बोनस है, जिसको फीसदी के आधार पर नहीं देखा .
स्लिप बंटी, 8.53 फीसदी ही बोनस
जमशेदपुर. टाटा स्टील में बोनस समझौता के बाद बोनस की राशि का भुगतान सोमवार को कर दिया गया. बुधवार को बोनस स्लिप भी बांट दिया गया. इस बार बोनस के स्लिप के साथ बेसिक व डीए की राशि को अलग से दिखाया गया है जबकि बोनेसेबल एमाउंट को अलग दिखाया गया है. इसमें एरियर की राशि भी जुड़ी हुई है. अगर बेसिक व डीए की राशि पर बोनस जोड़ा जा रहा है, तो सभी कर्मचारियों का बोनस अलग-अलग फीसदी आ रहा है लेकिन बोनसेबुल एमाउंट के आधार पर यह राशि सभी कर्मियों का 8.53 फीसदी ही आ रहा है. कर्मचारियों को इस बार फीसदी के आधार पर बोनस समझौता नहीं होने के बावजूद अगर गणना की जाये तो 8.53 फीसदी ही राशि आती है.
विपरीत स्थिति में भी बेहतर बोनस किया गया : यूनियन
जमशेदपुर: बोनस को लेकर कुछ लोग गफलत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने विपरीत परिस्थितियों में बेहतर बोनस समझौता किया है. आने वाले दो साल में भी बेहतर बोनस होता रहे, इसे ध्यान में रखकर भी हम लोगों ने समझौता किया है. यह बातें टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, महामंत्री बीके डिंडा व डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नु (टॉप थ्री) ने प्रभात खबर से बातचीत में कहीं. टॉप थ्री ने साफ तौर पर कहा कि फीसदी के आधार पर कोई समझौता ही नहीं हुआ है. 2011-2012 से ही मुनाफा पर ही समझौता होता आया है. पहले मुनाफा पर 2.95 फीसदी बोनस तय किया गया था. इस बार भी बोनस समझौता इसी आधार पर करने का दबाव था, लेकिन हम लोगों ने ऐसा नहीं किया और बेहतर समझौता करने के लिए नया फार्मूला बनाया.