बैठक के उपरांत निर्णय लिया गया कि शहरी क्षेत्र के तीनों निकायों के साथ जुस्को के कचरे का डापिंग शहर से दूर एक ही स्थान पर होगा. चार एकड़ जमीन पर सॉलिड वेस्ट और 2 एकड़ जमीन पर बायो मेडिकल वेस्ट कचरे का निस्तारण के लिए डापिंग यार्ड बनाया जायेगा. डीसी ने जमशेदपुर सीओ मनोज कुमार को एक सप्ताह में जमीन तलाश कर रिपोर्ट देने को कहा है. डापिंग यार्ड एनएच से 1 किलोमीटर और स्टेट हाइवे से 500 मीटर दूर होना आवश्यक है. बैठक में एडीसी सुनील कुमार, एसडीओ आलोक कुमार, डीसीएलआर मनोज कुमार रंजन, सीओ मनोज कुमार, जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय, मानगो अक्षेस के विशेष पदाधिकारी जगदीश प्रसाद, जुस्को के महाप्रबंधक कैप्टन धनंजय मिश्र उपस्थित थे.
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खैरबनी में डंपिंग यार्ड का प्रस्ताव रिजेक्ट
जमशेदपुर: प्रदूषण विभाग ने खैरबनी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डपिंग यार्ड के प्रस्ताव को ठुकरा (रिजेक्ट) दिया है. इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर अब नये सिरे से डपिंग यार्ड तैयार करने की पहल तेज हो गयी है. मंगलवार को डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने आला अधिकारियों और जुस्को के प्रतिनिधियों के साथ बैठक […]
जमशेदपुर: प्रदूषण विभाग ने खैरबनी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डपिंग यार्ड के प्रस्ताव को ठुकरा (रिजेक्ट) दिया है. इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर अब नये सिरे से डपिंग यार्ड तैयार करने की पहल तेज हो गयी है. मंगलवार को डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने आला अधिकारियों और जुस्को के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सॉलिड वेस्ट और मेडिकल वेस्ट कचरा निस्तारण को लेकर मंथन किया.
त्ननहीं सुलझा खैरबनी की जमीन का पेच : खैरबनी में प्रस्तावित जवाहरलाल नेहरू शहरी पुनरुत्थान योजना के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में जमीन का पेंच पूरी तरह से नहीं सुलझा है. प्लांट लगाने का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. एक साल से खैरबनी में प्रस्तावित प्लांट का काम बंद है.
त्नचार जगह बनाना था ट्रांसफर स्टेशन : खैरबनी में प्रस्तावित प्लांट सहित चार जगहों पर ट्रांसफर स्टेशन बनाया जाना था. केवल आदित्यपुर मीरुडीह में बनने वाले ट्रांसफर स्टेशन के लिए चयनित जमीन पर कोई विवाद नहीं है. बाकी तीन जगहों ( मानगो, बिरसानगर, सोनारी) में जमीन को लेकर पेंच फंसा हुआ था. कहीं वन विभाग से एनओसी नहीं मिला था, तो कहीं स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे.
शहर में हर माह 349 टन कचरा : शहर में प्रतिमाह औसतन 349 टन कचरा निकलता है. वहीं शहर में कचरा फेंकने के लिए मात्र चार हेक्टेयर जमीन है. शहरी क्षेत्र के तीनों निकायों में कचरा निस्तारण की ठोस व्यवस्था नहीं होने से सिदगोड़ा बारा फ्लैट के पीछे, जमशेदपुर को ऑपरेटिव कॉलेज के पीछे और मरीन ड्राइव क्षेत्र में कचरा फेंका जा रहा हैं. पर्यावरण हो रहा प्रभावित : कचरा का सही तरह से निस्तारण नहीं होने से पर्यावरण के साथ आम लोगों को नुकसान हो रहा है. कचरे के साथ पूरी तरह से प्लास्टिक नष्ट नहीं होने से पैदावार नहीं होती है. सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है. ठोस निस्तांरण की व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका विपरीत असर लोगों पर पड़ रहा है.
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