जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन के नेता वीजी गोपाल की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे मुन्ना शर्मा उर्फ योगेंद्र शर्मा को झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी है. जमानत बंध पत्र जमा नहीं होने के कारण मुन्ना की रिहाई नहीं हुई है. अन्य सभी मामलों में मुन्ना शर्मा जमानत पर है और फिलहाल एमजीएम अस्पताल में इलाजरत है. मुन्ना शर्मा साढ़े सात साल से जेल में है.
14 अक्तूबर 1993 को वीजी गोपाल की टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय से निकलते समय बाइक और स्कूटर सवार अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. सीबीआइ ने इस मामले में मुन्ना शर्मा उर्फ योगेंद्र शर्मा, ललित चंद्र विश्वास उर्फ राजीव सेन उर्फ राजू सेन, कुणाल जेना उर्फ कुना, अमरेंद्र सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें प्रणव जेना उर्फ राजा को मृत, बंटी साहु, राजन शुक्ला को फरार बताया था.
इस मामले की सुनवाई रांची स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायालय में हुई थी. 26 दिसंबर 2005 को सीबीआइ के विशेष न्यायालय ने चारों को दोषी करार दिया था और 29 दिसंबर 2005 को उम्र कैद की सजा सुनायी थी. उसके बाद से चारों जेल में हैं. तबीयत खराब होने के कारण मुन्ना शर्मा एमजीएम अस्पताल में इलाजरत था. मुन्ना शर्मा पर वीजी गोपाल हत्याकांड समेत अन्य कई मामले दर्ज हैं.
चुनाव लड़ चुका है मुन्ना शर्मा
आदित्यपुर निवासी मुन्ना शर्मा उर्फ योगेंद्र शर्मा को बाहुबली नेता माना जाता था. आदित्यपुर से लेकर जमशेदपुर तक प्रभाव क्षेत्र था. मुन्ना शर्मा ने 1995 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से आनंद मोहन सिंह की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी से जेल में रह कर चुनाव लड़ा था. जेल में रहने के दौरान उस पर तत्कालीन एसपी अनिल पालटा ने सीसीए लगाया था. सीसीए खत्म होने के बाद पटना से लौटते समय साकची जेल गेट पर पुलिसकर्मियों और मुन्ना शर्मा समर्थकों के बीच झड़प भी हुई थी.