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अस्पताल में हैं मात्र पांच चिकित्सक

जमशेदपुर: दपू रेलवे के डिप्टी सीएमडी आरके मुखर्जी गुरुवार को टाटानगर आ रहे हैं. वे टाटानगर रेलवे अस्पताल और रेलवे एक्सीडेंटल वैन (एआरएमइ वैन) का भी निरीक्षण करेंगे. मालूम हो कि रेलवे अस्पताल का 60 लाख रुपये की लागत सेजीर्णोंद्धार किया जा रहा है. इस अस्पताल में डॉक्टरों के 23 पद हैं. मगर पांच डॉक्टर […]

जमशेदपुर: दपू रेलवे के डिप्टी सीएमडी आरके मुखर्जी गुरुवार को टाटानगर आ रहे हैं. वे टाटानगर रेलवे अस्पताल और रेलवे एक्सीडेंटल वैन (एआरएमइ वैन) का भी निरीक्षण करेंगे. मालूम हो कि रेलवे अस्पताल का 60 लाख रुपये की लागत सेजीर्णोंद्धार किया जा रहा है. इस अस्पताल में डॉक्टरों के 23 पद हैं. मगर पांच डॉक्टर ही कार्यरत हैं. इसका असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है. बोर्ड स्तर पर इसकी जानकारी दी गयी. मगर और चिकित्सकों की बहाली नहीं हो सकी है.

बारिश के मौसम में रोगियों की संख्या बढ़ गयी है. लेकिन मौसमी बीमारियों (बुखार, सर्दी, खासी, सिर, हाथ-पैर, बदन दर्द) की दवा की कमी है. मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है.

वास्तविक हाल

टाटानगर मॉडल रेलवे स्टेशन है, लेकिन रेलवे अस्पताल मॉडल नहीं है. यहां बेडों की संख्या 55 है. इस पर साढ़े पांच हजार रेलकर्मी व साढ़े तीन हजार सेवानिवृत्त रेलकर्मी आश्रित हैं. इन्हें दवा, नर्स व डॉक्टर की कमी से जूझना पड़ रहा है. दपू रेलवे मेंस कांग्रेस, दपू रेलवे मेंस यूनियन, दपू रेलवे मजदूर संघ, दपू रेलवे ओबीसी एसोसिएशन, दपू रेलवे एसटीएसी एसोसिएशन ने कई बार रेल प्रशासन को इन चीजों की ओर ध्यान दिलाया. इसके स्थायी निदान की मांग की. मगर स्थिति जस की तस बनी हुई है.

नहीं मिल रही है शुगर, प्रेशर, हृदय रोग की दवा

अस्पताल में शुगर, प्रेशर, हृदय रोग की दवा समय पर नहीं मिल रही है. इतना ही नहीं, मेडिकल स्टॉफ की कमी के कारण इसके रोगियों की प्रत्येक सप्ताह जांच भी नहीं हो पा रही है.

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