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जवाब नहीं मिला, तो हटायी जायेंगी कंपनियां
जमशेदपुर: भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने राज्य वन विभाग के प्रधान सचिव के माध्यम से आयडा को अंतिम नोटिस भेजा है. वन विभाग की 112.09 हेक्टेयर भूमि (करीब 276.97 एकड़) पर लगे उद्योगों के लिए जमीन हस्तांतरण मामले में कोई ठोस जवाब नहीं देने के कारण यह नोटिस दिया गया है. अगर […]
जमशेदपुर: भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने राज्य वन विभाग के प्रधान सचिव के माध्यम से आयडा को अंतिम नोटिस भेजा है. वन विभाग की 112.09 हेक्टेयर भूमि (करीब 276.97 एकड़) पर लगे उद्योगों के लिए जमीन हस्तांतरण मामले में कोई ठोस जवाब नहीं देने के कारण यह नोटिस दिया गया है. अगर आयडा की ओर से इसका जवाब नहीं भेजा गया, तो कंपनियों को हटाने का आदेश जारी हो सकता है.
वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने विभिन्न औद्योगिक इकाई वन विभाग की जमीन पर है. यह सीधे तौर पर वन अधिनियम 1980 के कानून का उल्लंघन है. भारत सरकार ने आयडा से कहा है कि वन विभाग की जमीन पर कितनी औद्योगिक इकाइयां है और कानून का उल्लंघन करने वालों का नाम व पता सौंपने को कहा है. इसकी संपूर्ण जानकारी नक्शा के माध्यम से देने को कहा गया है. बताया जाता है कि 2013 से इस तरह के सवाल केंद्रीय वन मंत्रलय पूछ रहा है, लेकिन अब तक जवाब नहीं दिया गया है. वहीं जमीन हस्तांतरण के बदले दी जाने वाली जमीन की जरूरी दस्तावेज अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस कारण फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
क्या है पूरा मामला
आयडा की स्थापना के लिए कुल 1200.09 एकड़ वन भूमि का हस्तांतरण किया जाना था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी की सहमति के बाद कुल 923.09 एकड़ जमीन 25 अक्तूबर 1980 को हस्तांतरित किया था. इसके बाद 276.97 एकड़ जमीन हस्तांतरण का मामला रुक गया. इसके बदले कैंपा फंड में आयडा को राशि जमा करना था, जो अब तक नहीं किया गया है. जमीन हस्तांतरण के बदले, जो जमीन मुआवजा के तौर पर देनी थी, वह दिखायी गयी, लेकिन अब तक हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी है. 2013 से आयडा से पत्रचार होता रहा, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया. अब कंपनियों पर एक बार फिर संकट उत्पन्न होने लगा है.
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