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मजदूर चाहेंगे तो फिर अध्यक्ष बनूंगा : पीएन सिंह

टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव होने जा रहा है. इसे लेकर हर पक्ष की ओर से तैयारी की जा रही है. चुनाव को लेकर यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष पीएन सिंह की क्या सोच है, आगे की उनकी रणनीति क्या है.‘प्रभात खबर’ ने इस बारे में बातचीत कर जानना चाहा कि अपने अध्यक्षीय कार्यकाल को वे […]

टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव होने जा रहा है. इसे लेकर हर पक्ष की ओर से तैयारी की जा रही है. चुनाव को लेकर यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष पीएन सिंह की क्या सोच है, आगे की उनकी रणनीति क्या है.‘प्रभात खबर’ ने इस बारे में बातचीत कर जानना चाहा कि अपने अध्यक्षीय कार्यकाल को वे खुद कैसा मानते हैं और आगे क्या करना चाहते हैं. पेश है उनसे विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश :
सवाल : चुनाव को लेकर आपकी क्या तैयारी है?
पीएन सिंह : तैयारी कोई खास नहीं है. मैं विभाग से तो चुनाव लड़ नहीं सकता. हमारी टीम के लोग लड़ रहे हैं. हमारी टीम काम की बदौलत चुनाव जीतेगी. वैसे तो हमने 27 सितंबर 2014 को ही चुनाव घोषित कर दिया था, उसके बाद सदन में सभी ने मंजूरी दी. इसके बाद चुनाव कराने पर रोक लगा दी गयी. फिर हाइकोर्ट का फैसला आ गया, उसके बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गयी. मैं अध्यक्ष पद पर हूं, चुनाव कराना हमारा दायित्व था. पूरी टीम मेहनत कर रही है. उम्मीद है बेहतर रिजल्ट आयेगा.
सवाल : आपके को-ऑप्शन की बात चल रही है, क्या आश्वस्त है कि आप चुन लिये जायेंगे ?
पीएन सिंह : को-ऑप्शन हाउस का फैसला है. हाउस में जो चुनाव जीतकर आयेंगे, वे फैसला लेंगे कि हमको को-ऑप्शन करना है नहीं.
सवाल : आपने अपने कार्यकाल में ऐसा क्या किया जिसके चलते आपको फिर से अध्यक्ष के रूप में को-ऑप्ट करना चाहिए ?
पीएन सिंह : इस बारे में मैं खुद नहीं कह सकता. हमने किसी भी कर्मचारी के अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया. अगर कर्मचारी और कमेटी मेंबर चाहते हैं कि उनके मान-सम्मान की हमने लड़ाई लड़ी है, गुणात्मक सुधार की दिशा में काम किया है. तो फैसला वोटरों को लेना है. हमने परीक्षा दे दी है, रिजल्ट वोटरों के हाथ में है.
सवाल : आपको लगता है कि आपने ज्यादा काम नहीं किया?
पीएन सिंह : हमारे विरोधी पहली बार इतनी जल्दी चुनाव कराने को लेकर कोर्ट से लेकर श्रमायुक्त तक चले गये. हम लोग चाहते थे कि जो भी विभागों की समस्याएं है, उसको निबटाते. लेकिन, लोगों ने काम करने नहीं दिया. जितना समय मिला उसमें बेहतर करने की कोशिश की. मैंने कभी भी मजदूरों के आत्मसम्मान को गिरवी नहीं रखा न ही कभी डर कर फैसले लिये.
सवाल : आप पर आरोप लगा कि रिटायरमेंट के बाद भी अध्यक्ष गैर संवैधानिक तौर पर बैठे हुए है ?
पीएन सिंह : कोई भी इस यूनियन में जबरन नहीं बैठ सकता है.संविधान आर्टिकल 10 में कहता है कि जब तक कोई भी नयी कमेटी नहीं चुन ली जाती है, तब तक पुरानी कमेटी ही काम करेगी. देश का लेबर एक्ट भी कहता है कि जब तक कोई दूसरी कमेटी नहीं आता है, तब तक कोई भी पद से नहीं हट सकता है. वैसे भी हमने हाउस में इस बात को रखा था, हाउस ने मंजूरी दी, जिसके बाद हम अध्यक्ष पद पर बने रहे. मैनेजमेंट अध्यक्ष के तौर पर मानती है या नहीं, यह मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि कमेटी मेंबर और कर्मचारी हमको अध्यक्ष मानते हैं. कोई भी जबरदस्ती यूनियन पर काबिज नहीं हो सकता है.
सवाल : आरोप लगता है कि बोनस, वेज रिवीजन समेत अन्य मुद्दों में आपने मजदूरों का नुकसान कराया ?
पीएन सिंह : आरोप लगाना आसान है. वेज रिवीजन एनजेसीएस से हटने के बाद भी बेहतर हुआ. एनजेसीएस से इस बार भी बेहतर हुआ है, जिसकी समीक्षा हर कोई कर सकता है. बोलने का सबको अधिकार है, सारे कर्मचारी संतुष्ट हैं, वेज रिवीजन को लेकर कोई भी यह कहने नहीं आया कि समझौता गलत हुआ. एरियर दिलाया, इनकम टैक्स का लाभ भी कर्मचारियों को दिलाया गया.
सवाल : बोनस पर आपने नुकसान कराया ?
पीएन सिंह : बोनस का नुकसान नहीं हुआ. बोनस का पूरा आंकड़ा जब देखियेगा, जब कंपनी में 7000 करोड़ मुनाफा हुआ था तो कितना मिला था और अब कितना मिला है, इसका आकलन कर लिया जाये. अगर उत्पादन बेहतर हो और माल नहीं बिके तो नुकसान होता है. बोनस प्रोफिट शेयरिंग होता है, लिहाजा, नुकसान नहीं है, कंपनी और कर्मचारी के लिए हितकर बोनस समझौता किया गया. 20 फीसदी से भी ज्यादा बोनस मिल सकता था, लेकिन रॉ मैटेरियल की दिक्कत थी, उन सारी दिक्कतों को दूर करने के बाद अगर बेहतर प्रोफिट होता, तो निश्चित तौर पर बोनस में बेहतर लाभ होता. यह समीक्षा की बात है. छह साल में आरोप लगाने वाले बतायें कि उन्होंने आज तक क्यों नहीं बोनस का समझौता किया. जो बेस्ट हो सकता था, वह हमने किया.
सवाल : आपके साथ मैनेजमेंट का रुख क्यों ठीक नहीं रहा ?
पीएन सिंह : मैनेजमेंट का रुख ठीक नहीं रहा था. हमने समझौता किया. समझौता के बाद मैनेजमेंट ने बातचीत करना ही बंद कर दिया. कुछ लोगों ने रिटायरमेंट की बात लिखकर दे दी. कभी भी मैनेजमेंट के साथ अनबन नहीं रहा. हमने सिद्धांत के अनुरूप काम किया. सिद्धांत के साथ समझौता नहीं किया, इस कारण हो सकता है कि किसी को नागवार लगा हो.
सवाल : आपके कार्यकाल एकतरफा फैसले ज्यादा हुए ?
पीएन सिंह : मैनेजमेंट ने माना कि मेरा कार्यकाल नहीं है तो एकतरफा फैसला लिया. हमने कोई समझौता नहीं किया, जिसके आधार पर फैसला लिया जा सके. टय़ूब डिवीजन को लेकर कमेटी बनी थी, उसको लेकर बातचीत होगी, कहा था, लेकिन अचानक से लिस्ट निकाल दिया गया था. लिस्ट में एकतरफा फैसला ले लिया गया, जो गलत था, हमने विरोध किया. कैंटीन को लेकर किसी तरह का बातचीत ही हम लोगों के बीच नहीं हो पायी, लिहाजा, यह भी एकतरफा फैसला हुआ. हमने जब कंपनी में जाना छोड़ दिया, तब एकतरफा फैसला लिया गया. एक अक्तूबर के बाद ही सारा फैसला लिया गया, अध्यक्ष के रूप में हमने हमेशा पत्र लिखा, लेकिन हमारे ही लोगों ने यूनियन को कमजोर कर इस तरह के समझौता को लागू कराया.
सवाल : आगे क्या रणनीति होगी, अगर अध्यक्ष चुन लिये जाते हैं ?
पीएन सिंह : मजदूरों का जो काम बच गया है, उसको आगे बढ़ाया जायेगा. रोजगार की बात लोग करते हैं, उस वक्त रोजगार की जरूरत थी. एनएस ग्रेड का समझौता नहीं हुआ होता तो भी बहाली होती, लेकिन स्टील वेज में बहाली को रोकने का काम रघुनाथ पांडेय ने किया. बहाली का रास्ता खोलने का प्रयास करेंगे. कर्मचारियों का जो लंबित काम है, उसको हमारी टीम काम करेगी. इसके लिए आवश्यक कदम उठायेंगे.

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