14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जुगसलाई बलदेव बस्ती: 70 साल पुरानी बस्ती, न विद्यालय न शौचालय

जमशेदपुर: शहर के बीच में स्थित जुगसलाई की बलदेव बस्ती ऐसी बस्ती है, जहां शिक्षा-शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अब तक नहीं पहुंची हैं. आसपास बड़े-बड़े मॉल निर्माण की स्वीकृति तो मिली, लेकिन अतिक्रमण मानते हुए इस बस्ती में नाली, सड़क, स्कूल, सार्वजनिक शौचालय निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली. एक अदद स्कूल बुरा का हाल […]

जमशेदपुर: शहर के बीच में स्थित जुगसलाई की बलदेव बस्ती ऐसी बस्ती है, जहां शिक्षा-शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अब तक नहीं पहुंची हैं. आसपास बड़े-बड़े मॉल निर्माण की स्वीकृति तो मिली, लेकिन अतिक्रमण मानते हुए इस बस्ती में नाली, सड़क, स्कूल, सार्वजनिक शौचालय निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली.

एक अदद स्कूल बुरा का हाल

70-80 साल पुरानी इस बस्ती में नाम के लिए एक नव प्राथमिक विद्यालय है, जहां पांचवीं तक पढ़ाई होती है. पक्के बनाये गये चबूतरों में ऊपर छावनी डालकर स्कूल चलाया जाता है, जो चारों ओर से खुला हुआ है. गर्मी के मौसम में तेज बारिश होने या लू चलने पर विद्यालय में या तो प्लास्टिक बांधकर पढ़ाई होती है या फिर बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है. इस स्कूल में बस्ती के 50 से 60 बच्चे पढ़ते हैं. खुले में पढ़ाई होने के कारण आसपास की गतिविधियों का असर भी बच्चों पर पड़ता है और पढ़ाई बाधित होती है. बलदेव बस्ती समिति के अध्यक्ष किष्टो सरकार बताते हैं कि शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल भवन बनाने के पैसे भी मिले थे, लेकिन जिला प्रशासन को टाटा स्टील की ओर से एनओसी नहीं मिली. इस कारण स्कूल भवन नहीं बन पाया और पैसा भी वापस हो गया.

86 बस्ती को मालिकाना हक तो बलदेव बस्ती को क्यों नहीं : किष्टो

बलदेव बस्ती समिति के अध्यक्ष किष्टो सरकार के अनुसार 86 बस्तियों को भी अतिक्रमित माना गया है. फिर भी इन बस्तियों में रोड, नाली, बिजली, सार्वजनिक नल, सार्वजनिक शौचालय, हाइमास्ट लाइट, स्कूल भवन की सुविधा दी जाती है, तो फिर बलदेव बस्ती में क्यों नहीं. 86 बस्ती को मालिकाना हक देने की बात की जा रही है तो 80 साल पुरानी इस बस्ती को उसमें क्यों नहीं शामिल किया जा रहा है. किष्टो सरकार के अनुसार बलदेव बस्ती में दैनिक मजदूरी करने वाले हरिजन-आदिवासी रहते हैं, फिर भी इस बस्ती में विकास की किरण नहीं पहुंचायी जा रही है.

खुले में शौच जाने को विवश हैं : अंजना

अंजना देवी के अनुसार बस्ती के एक भी घर में शौचालय नहीं है और न ही बस्ती में एक भी सार्वजनिक शौचालय-स्नानागार है. महिलाओं को खुले में शौच और स्नान करना पड़ता है. पूर्व में बस्ती के चारों ओर खुला स्थान था, जिसके कारण महिलाएं उस ओर चली जाती थीं, लेकिन मॉल व पार्क बनने के कारण वह भी घिर गया है.

विकास का दावा खोखला : ललिता

ललिता गोस्वामी के अनुसार सरकार विकास की बात करती है, लेकिन शहर के बीच बसी बस्ती में विकास की किरण तक नहीं पहुंची है. किसी भी घर में शौचालय नहीं है और प्रशासन सार्वजनिक शौचालय बनने नहीं देता है. स्कूल है, लेकिन भवन नहीं है. इससे बच्चे भी खुले में पढ़ाई करते हैं.

सार्वजनिक शौचालय बने : सुमित्रा

सुमित्रा देवी के अनुसार बस्ती में स्कूल भवन और शौचालय की गंभीर समस्या है. शौचालय न होने के कारण महिलाएं खुले में शौच जाने को विवश हैं पर उसमें भी कई तरह की समस्या है. झोपड़ीनुमा खुला स्कूल होने के कारण बारिश व गर्मी में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. बस्ती में सार्वजनिक शौचालय व स्कूल भवन बनाना जरूरी है.

खुले में शौच जाना मुश्किल : मंगली

मंगली देवी ने कहा कि खुले में शौच जाना शर्मनाक है, लेकिन घरेलू या सार्वजनिक शौचालय न होने के कारण बस्ती के लोग खुले में शौच जाते हैं. पर जगह के अभाव में अब तो खुले में शौच जाना भी मुश्किल हो गया है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिये.

बस्ती में 484 घर, पर एक भी शौचालय नहीं

बलदेव बस्ती में 484 झोपड़ीनुमा घर हैं, लेकिन एक भी घर में शौचालय नहीं है. यहां रहने वाले लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं. यह भी गंभीर समस्या है कि पहले तो यहां शौच के लिए स्थान मिल भी जाता था, लेकिन अब यहां आसपास मॉल व पार्क बनने से परेशानी बढ़ गयी है. बस्ती समिति के अध्यक्ष किष्टो सरकार बताते हैं कि सरकार की ओर विकास व नागरिक सुविधा के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट दिया जाता है, लेकिन इस बस्ती में एक सार्वजनिक शौचालय तक नहीं बनाया गया. खुले में शौच से हो रही परेशानी को देखते हुए बस्तीवासियों ने घर-घर चंदा कर सार्वजनिक शौचालय बनाने की तैयारी की, लेकिन जुस्को ने पुलिस के सहयोग से काम बंद करा दिया. लोगों के खुले में शौच जाने के कारण स्थिति यह हो गयी है कि शौचालय व अन्य सुविधा के अभाव में बाहर के लोग यहां अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें