पटमदा: दलमा के आसपास के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किये जाने का विरोध शुरू हो गया है. रविवार को पटमदा, बोड़ाम, नीमडीह, चांडिल, एनएच- 33 के किनारे के 85 गांव के लोगों ने डिमना के मिरजाडीह फुटबॉल मैदान में बैठक की और विरोध की रणनीति तैयार की. बैठक की अध्यक्षता जलन मार्डी ने की.
बैठक में 85 गांव के पंचायत प्रतिनिधि, ग्राम प्रधान, बुद्धिजीवी, प्रमुख ग्रामीण समेत लगभग दो हजार लोग शामिल हुए. बैठक में पटमदा के पार्षद प्रदीप बेसरा ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में सरकार की विस्थापन नीति यहां के आदिवासी बरदाश्त नहीं करेंगे.
वन विभाग के खिलाफ गांव-गांव में लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला कर आंदोलन किया जायेगा. प्रमुख जितेन मुमरू ने कहा कि ग्राम सभा के माध्यम से क्षेत्र का सव्रे कर सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ने वाला कानून बनाये, न कि जंगल क्षेत्रों में जंगली जानवरों के नाम पर योजना तैयार कर सरकारी राशि का बंदरबांट करे. इससे पूर्व लोगों ने गांव गणराज्य जिंदाबाद, अपना गांव अपना राज, सबसे ऊंची ग्राम सभा आदि नारे के साथ अपनी आवाज बुलंद की. बैठक में असम में मारे गये आदिवासियों की श्रद्धांजलि दी गयी .
कार्यक्रम को कपूर बागी, झामुमो नेता मंगल कालिंदी, हरमोहन महतो, मेनका किस्कू, सुकांति किस्कू, नील रतन पाल, कृष्णा पदो सिंह, सोमचांद मुमरू, देवेन सिंह, बलदेव सिंह, दिवाकर टुडू, जलन मांडी, परितोष गोप, सुरेश महतो, किंकर महतो, लाल मोहन सिंह, कंचन सिंह, खगेन सिंह, कुसूम कमल सिंह, प्रबोध उरांव, चुनाराम टुडू, मनबोध, भक्त रंजन भूमिज, प्रफुल्ल सिंह, सीताराम टुडू, चंद्र मोहन महतो, कृष्णा हांसदा, सोमचांद मांडी, सुकूराम माझी, श्रीकांत हांसदा व अन्य ने संबोधित किया. संचालन सुखलाल पहाड़िया ने किया. सैकड़ों पुरुष-महिलाएं पारंपारिक हथियार संग शामिल थे.