डॉ. मनोज यादव, जनरल सर्जन बवासीर से अलग है फिस्टुला की बीमारी लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर कई लोग ऐसे हैं जो फिस्टुला की बीमारी को भी बवासीर समझते हैं. लेकिन वास्तविक्ता में ऐसा नहीं है. फिस्टुला की बीमारी को साधाहरण शब्दों में भगंदर भी कहा जाता है. फिस्टुला की बीमारी होने के कारण पैखाना के रास्ते के आसपास एक छेद बन जाता है. इसी क्षेद से पस निकलता है और रोगी को काफी तेज दर्द का एहसास होता है. इस बीमारी के होने मरीज में इसी प्रकार के लक्षण दिखायी देते हैं. बीमारी को नजरअंदाज करने से यह बीमारी काफी खतरनाक भी हो सकती हैं. फिस्टुला की जांच के लिए डिजिटल एनस टेस्ट यानि पैखाने के रास्ते का परीक्षण कर इलाज किया जाता है. इस रोग के उपचार की बात की जाए तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय है. फिस्टुला की सर्जरी को फिस्टुलेक्टेंमी कहा जाता है. ऑपरेशन करप भीरती मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक फैले फिस्टुला को निकाल दिया दाता है. इस सर्जरी में आमतौर पर टांके नहीं लगाए जाते और जख्म को धीरे धीरे प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है. बीमारी – फिस्टुलालक्षण- रोगी के पैशाने के रास्ते में तेज दर्द होता है. जो बैठने पर बढ़ जाता है. पैखाने के आसपास के रास्ते में खुजली होती है, इसके अलावा सूजन भी होती है. त्वचा लाल हो जाती है फट भी सकती है. वहां से मवाद व खून का रिसाव भी हो सकता है. रोगी को कब्ज रहता है और मल त्याग करने में दर्द होता है. उपाय- इस बीमारी का ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय है. ऐसे में लोगों को इस प्रकार के लक्षण शरीर में दिखायी देने के साथ उन्हे डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.
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डॉ. मनोज यादव, जनरल सर्जन बवासीर से अलग है फिस्टुला की बीमारी लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर कई लोग ऐसे हैं जो फिस्टुला की बीमारी को भी बवासीर समझते हैं. लेकिन वास्तविक्ता में ऐसा नहीं है. फिस्टुला की बीमारी को साधाहरण शब्दों में भगंदर भी कहा जाता है. फिस्टुला की बीमारी होने के कारण पैखाना के रास्ते के […]
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