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रविवार व्रत 30 नवंबर को करना उचित

पंचक के भ्रम में न पड़ें व्रतीजमशेदपुर : कुछ छठ व्रती अनिवार्य रूप से रविवार व्रत करते हैं. यह व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष से ही आरंभ होता है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि का शुभारंभ आगामी शुक्रवार, 21 नवंबर की संध्या 6:04 बजे से होगा, जो शनिवार, 21 नवंबर की संध्या 5:56 बजे […]

पंचक के भ्रम में न पड़ें व्रतीजमशेदपुर : कुछ छठ व्रती अनिवार्य रूप से रविवार व्रत करते हैं. यह व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष से ही आरंभ होता है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि का शुभारंभ आगामी शुक्रवार, 21 नवंबर की संध्या 6:04 बजे से होगा, जो शनिवार, 21 नवंबर की संध्या 5:56 बजे तक रहेगी. चूंकि 22 नवंबर को हमें सूर्योदय से संध्या 5-56 बजे तक का समय अमावस्या युक्त मिल रहा है, इसलिए स्नान, दान, व्रत आदि की अमावस्या इसी दिन होगी. अत: छठ व्रतियों को व्रत के लिए इस मार्गशीर्ष मास में कुल दो रविवार ही मिल रहे हैं, पहला 23 नवंबर को तथा दूसरा 30 नवंबर के दिन. इनमें पहला रविवार चूंकि कृष्ण पक्ष के नजदीक पड़ने (प्रतिपदा होने) के कारण व्रत के लिए उतना शुद्ध नहीं है, जितना कि दूसरा (30 नवंबर को) होगा. उक्त दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि रहेगी, जो रविवार व्रत के लिए अति उत्तम संयोग है. कहीं-कहीं लोग इस दौरान पंचक व्यतीत होते रहने को लेकर इसे अशुद्ध बताने की कोशिश करेंगे, किन्तु यह ध्यान देने की बात है कि पंचक के दौरान हर शुभ कर्म पांच गुणा फल प्रदान करने वाला हो जाता है. यहां यह ध्यातव्य है कि पंचक के दौरान पांच कर्म ही वर्जित माने गये हैं, 1. दक्षिण दिशा की यात्रा, 2. खाट-शैया आदि का निर्माण, 3. छत की ढलाई करना, 4. धर में पीलर (खंभे आदि)की नींव डालना, 5. शवदाह करना एवं 6. इंधन संग्रह करने का कार्य. उक्त के अलावा अन्य किसी कार्य में पंचक निषेधक नहीं होता. अत: व्रतियों को किसी संशय में न पड़ते हुए 30 नवंबर को पड़ने वाले रविवार को ही रविवार व्रत करना चाहिए.

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