लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत गुरुवार की की सुबह 5:04 बजे से होगी तथा यह उसी दिन देर रात 3:41 बजे तक रहेगी. इस बार इस तिथि को यह उत्तम संयोग मिल रहा है कि अति पावनी कर्तिकी पूर्णिमा अश्विनी एवं भरणी नक्षत्र युक्त होने के साथ ही गुरुवार का दिन भी प्राप्त हो रहा है. शास्त्रों में जिक्र आया है कि इस दिन किये स्नान, दान, होम, यज्ञ, उपासना अनंत फलदायी होते हैं. और यदि महा कार्तिकी के साथ भरणी नक्षत्र हो तो विशेष फल दायक होती है. इसी दिन सायंकाल में मत्स्यावतार हुआ था, इसलिए इस दिन किया गया दान दस यज्ञों के बराबर फलदायी होता है. चूंकि, इस दिन सूर्य के विशाखा नक्षत्र में होने के कारण दुर्लभ योग बन रहा है. इस दिन दीपदान करने से पुनर्जन्म आदि का कष्ट नहीं होता. इस दिन चंद्रोदय के समय दिवा, संभूति, प्रीति, संतति, अनुसूया एवं क्षमा आदि कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए. चूंकि ये स्कंदमाता हैं और कार्तिकेय खड्गी (शिवा), वरुण आदि का भी पूजन करना चाहिए. ऐसा करने से शौर्य, धन-धान्य आदि की वृद्धि होती है. कार्तिकी को नक्त व्रत करके वृष दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है. इसमें गौ, गज, रथ, घृत आदि का दान करने से संपत्ति वृद्धि होती है. इस दिन अपनी या परायी अलंकृता कन्या का दान करने से संतान व्रत पूर्ण होता है. इसी दिन कार्तिकी का उद्यापन भी सत्यनारायण व्रत कथा, गुरुवनानक जयंती, देव दीपावली आदि व्रत भी हैं. इस दिन कार्तिक देव के पूजन दर्शन का भी विशेष महत्व बताया गया है.
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कार्तिकी पूर्णिमा कल, दान-पुण्य का है खास महत्व
लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत गुरुवार की की सुबह 5:04 बजे से होगी तथा यह उसी दिन देर रात 3:41 बजे तक रहेगी. इस बार इस तिथि को यह उत्तम संयोग मिल रहा है कि अति पावनी कर्तिकी पूर्णिमा अश्विनी एवं भरणी नक्षत्र युक्त होने के साथ ही गुरुवार का दिन भी प्राप्त […]
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