जमशेदपुर: टाटा लीज एरिया में मकानों और फ्लैटों की खरीद-बिक्री पर रोक लग सकती है. इसको लेकर राज्य सरकार और रजिस्ट्री विभाग की ओर से तैयारी की जा रही है. एकाउंटेंट जेनरल की आपत्तियों के बाद राज्य सरकार हरकत में आयी है. इन आपत्तियों पर सरकार की ओर से नया फामरूला बनाने की तैयारी की जा रही है.
इसमें अधिकारियों को काम पर लगाया गया है. नये फामरूला को लागू के लिए क्या कानून होगा और इससे पहले जो लीज एरिया में खरीद-बिक्री हो चुकी है, उस पर क्या किया जाना है, इस पर मंथन चल रहा है. टाटा लीज एरिया रांची में एक नया मुद्दा के रूप में सामने आ रहा है. जानकारी के मुताबिक टाटा लीज एरिया में सामान्य रैयती जमीन पर बनने वाले मकान या अन्य भवनों की खरीद-बिक्री होती है और उसकी रजिस्ट्री भी होती है.
एकाउंटेंट जेनरल की ओर से इसकी की गयी समीक्षा में पाया गया है कि जब टाटा लीज ही 30 साल के लिए (यानी वर्ष 2025 तक ) दिया गया है, ऐसे में किसी को इस जमीन पर खरीद- बिक्री करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है. रजिस्ट्री विभाग टाटा लीज एरिया में वर्तमान में जमीन की रजिस्ट्री नहीं कर सिर्फ सुपर स्ट्रर की ही खरीद बिक्री की रजिस्ट्री करता है. एकाउंटेंट जेनरल का मानना है कि जो जमीन का मालिक ही नहीं है, वह कैसे किसी जमीन पर बसे भवन को बेच सकता है. लीज से सबलीज पर जमीन दी गयी है और सबलीजी उसको फिर से भाड़े पर या सब लीज कर सकता है, उसको बेच नहीं सकता है क्योंकि उस भवन, मकान या कोई भी स्ट्रर का मालिकाना हक उसका नहीं हो सकता है. इसी को आधार बनाकर बैंक भी लीज एरिया के निर्माण पर फाइनांस नहीं करता है.
क्या है नया पेंच
टाटा लीज एरिया में रहने वाले लोग सबलीजी हैं. एकाउंटेंट जेनरल का मानना है कि लीज एरिया के एक लाख से अधिक मकानों को जब मालिकाना हक ही नहीं है तो इसकी खरीद या बिक्री कैसे की जा सकती है, जबकि मुख्य लीजधारी टाटा स्टील को लीज 2025 तक ही मिली है. नियम के मुताबिक, कोई भी सामान की बिक्री किसी काल अवधि के लिए नहीं होती है, हमेशा के लिए होती है. ऐसे में लीज एरिया के सबलीज के मकानों (पुराना या नया) पर खरीद बिक्री करने की रजिस्ट्री होना गलत है.