जमशेदपुर: पोटका में करीब 14 साल से पैरॉक्सनाइट का अवैध उत्खनन का काम चल रहा है. इसे रोकने के लिए जिले के तीन-तीन डीसी ने सरकार को रिपोर्ट भेजी. एसपी ने रिपोर्ट दी कि नक्सलियों के सांठगांठ कर पोटका में अवैध उत्खनन किया जा रहा है. इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आइबीएम) ने भी अपनी रिपोर्ट में उत्खनन के लाइसेंस रद्द करने की अनुशंसा की, लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी.
मंगलवार को विस की प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति के अध्यक्ष अरविंद सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि मामले की जांच जिला और राज्य स्तर पर कर तत्काल सरकार को फैसला लेने की जरूरत है. जिले में अपर उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बनायी गयी है, जबकि राज्य स्तर पर भी एक बैठक आहूत की गयी है. चेयरमैन अरविंद सिंह ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है. तीन-तीन डीसी की अनुशंसा के बावजूद कार्रवाई नहीं की गयी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आरटीआइ के नाम पर ब्लैकमेलिंग : अरविंद. श्री अरविंद सिंह ने कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ एक्ट) के नाम पर अधिकारियों से ब्लैकमेलिंग की जा रही है. समिति यह मानती है कि आरटीआइ का डिमांड करने वाले से शपथ पत्र (एफिडेविट) लिया जाये. आरटीआइ एक्ट के तहत सूचना निकालकर कई लोग और एक गिरोह के लोग ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला: पोटका के कम्हारकोचा स्थित 11.10 एकड़ जमीन पर पैरॉक्सनाइट उत्खनन के लिए विष्णुचंद्र चौधरी को 2000 में लाइसेंस मिला था. जबकि 2001 से लगातार खनन पटटा क्षेत्र में अनियमितता का मामला सामने आया. जिला खनन पदाधिकारी और उपायुक्त के स्तर पर नोटिस दिया गया, लेकिन सुधार नहीं हुआ. इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त निधि खरे ने सरकार को प्रतिवेदित किया कि खनन पट्टा की आड़ में अनियमितता और गलत तरीके से अवैध उत्खनन किया जा रहा है. तत्कालीन एसपी ने गोपनीय प्रतिवेदन भेजा, जिसमें यह लिखा कि यहां उत्खनन करने वाले की सांठगांठ पीपुल्स वार ग्रुप के नक्सलियों के साथ है. उत्खनन करने वाले लोग लेवी के तौर पर नक्सलियों को आर्थिक मदद भी कर रहे है. तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार वर्णवाल और डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने भी खनन पट्टा को समाप्त करने के लिए सरकार को लिखा. लेकिन आज तक इनका पट्टा समाप्त नहीं हुआ.
एडीसी की अध्यक्षता में काम करेगी कमेटी. जिले एडीसी गणोश कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी है. कमेटी में डीएफओ, सेल्स टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर, खान निरीक्षक, जिला परिवहन पदाधिकारी, प्रदूषण पदाधिकारी हैं, जो पूरे मामले की जांच कर वास्तविक रिपोर्ट सौंपेंगे.