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जमशेदपुर : सिटी स्कैन व अल्ट्रासाउंड सेंटर बंद एक्स-रे को चक्कर काट रहे मरीज

जमशेदपुर : कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में मरीजों की सुनने, देखने और मदद करने वाला कोई नहीं है. यहां की व्यवस्था इतनी खराब है कि कई घंटे परेशान होने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता. अब तो स्थिति इतनी खराब है कि पिछले एक सप्ताह से अल्ट्रासाउंड व सिटी […]

जमशेदपुर : कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में मरीजों की सुनने, देखने और मदद करने वाला कोई नहीं है. यहां की व्यवस्था इतनी खराब है कि कई घंटे परेशान होने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता. अब तो स्थिति इतनी खराब है कि पिछले एक सप्ताह से अल्ट्रासाउंड व सिटी स्कैन सेंटर बंद है. एक्स-रे के लिए मरीज इधर-इधर भटक रहे हैं.
टेक्नीशियन के सहारे एक्स-रे की फिल्म मरीजों को थमा दी जा रही है, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिल रही है. डॉक्टर कुछ मरीजों को फिल्म के अाधार पर दवाएं दे रहे हैं, तो कुछ तो बाहर से एक्स-रे कराने की सलाह दे रहे हैं लेकिन एमजीएम प्रबंधन सिर्फ पत्राचार कर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है.
प्रतिदिन आते हैं 800 मरीज. एमजीएम में प्रतिदिन करीब 800 मरीज आते है. इनमें से कई मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें तत्काल सिटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है. लेकिन एमजीएम में फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक एक्सीडेंट के मरीजों को भी घंटों बाद इलाज मिल पाता है. डॉक्टर उन्हें सिटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड लिख लेते हैं और मरीज बाहर घंटों चक्कर काटते रहते हैं.
दोगुना से अधिक लगता है रुपया. एमजीएम में मरीजों को सस्ते में इलाज की व्यवस्था है. यहां सिटी स्कैन अाठ सौ रुपये में हो जाता था, लेकिन बाहर निजी सेंटरों पर कराने पर पांच हजार रुपये तक खर्च हो जाता है. जबकि अल्ट्रासाउंड अस्पताल में तीन सौ रुपये में होता है. इसके लिए मरीजों को बाजार से छह से एक हजार रुपये तक देना पड़ रहा है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
अनुबंध के तहत नियुक्त था रेडियोलॉजिस्ट. एमजीएम अस्पताल में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट को तीन साल पहले अनुबंध पर नियुक्त किया गया था. उसका कार्यकाल पूरा होने तक स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल में न तो स्थायी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की और न ही अस्थायी की व्यवस्था. कार्यकाल खत्म होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने रेडियोलॉजिस्ट को हटाने का फरमान सुना दिया और उसे रांची बुला कर वेटिंग में डाल दिया. अब मरीज जांच के लिए भटक रहे हैं और रेडियोलॉजिस्ट नियुक्ति के लिए.
विभाग को जानकारी देकर झाड़ा पल्ला. एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ एसएन झा ने रेडियोलॉजिस्ट जाने के बाद विभाग को जानकारी दे दी है. लेकिन अस्पताल की व्यवस्था कैसे चलेगी? यह पूछने पर वह विभाग का हवाला देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं. लेकिन न तो विभाग द्वारा मरीजों के हित में कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है और न ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा.
जल्द आने वाली है एमसीआइ की टीम. एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सौ सीटों के लिए पिछले काफी समय से रस्साकशी चल रही है. गत वर्ष एमसीआइ की टीम ने कमियों की लिस्ट सौंपी थी, जिसमें स्टाफ की कमी सबसे बड़ी समस्या थी. अब एमसीआइ की टीम फिर आने वाली है. ऐसे में दो विभाग बंद होने और एक में रिपोर्ट नहीं जारी होने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
सिटी स्कैन नहीं हुआ, लौट आये
दो दिन पहले सड़क दुर्घटना से सिर में काफी चोट लग गयी थी. सोमवार को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचा, तो डॉक्टरों ने जांच करने के बाद सिटी स्कैन कराने के लिए कहा, जब सिटी स्कैन कराने पहुंचा, तो कर्मचारियों ने कहा कि अस्पताल में सिटी स्कैन नहीं हो सकता है. मेरे पास इलाज के पैसे नहीं हैं कि हम बाहर में सिटी स्कैन करा सके. इसलिए वापस घर जा रहे है.
विमल किस्कू, पटमदा
800 रुपये में कराया अल्ट्रासाउंड
काफी दिनों से पेट में दर्द हो रहा है. दर्द ज्यादा होने के कारण सोमवार को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचा, तो ओपीडी में डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी. जब अल्ट्रासाउंड सेंटर पहुंचा, तो देखा उसमें ताला लगा था. कर्मचारियों ने बताया कि रेडियोलॉजी के डॉक्टर नहीं है. बाहर जाकर अल्ट्रासाउंड करा लो. हमने बाहर जाकर आठ सौ में अल्ट्रासाउंड कराया.
सुधीर प्रमाणिक, चाकुलिया
नहीं मिली एक्स-रे की रिपोर्ट
मेरे पैर में काफी सूजन हो गयी है. जिसके कारण चल नहीं सकते हैं. सोमवार को एमजीएम अस्पताल पहुंचा, तो डॉक्टर ने एक्स-रे कराने के लिए कहा. जब एक्स-रे कराने गया, तो वहां कर्मचारियों ने कहा कि पहले डॉक्टर से जाकर पूछकर आओ कि एक्स-रे की रिपोर्ट नहीं मिल रही है. फिल्म से देख लेंगे क्या, अगर वे हां बोलते हैं, तो आना एक्स-रे कर देंगे. फिर एक्स-रे कराया.
सरफराज खान, कपाली

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