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सजा का मतलब जीवन समाप्त नहीं होता है

जमशेदपुर : टाटा स्टील कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फाउंडेशन की ओर से घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंदियों के लिए शुरू होने वाले तकनीकी कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन रविवार को झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति में गुण और दोष होता है, लोग परिस्थितिवश […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फाउंडेशन की ओर से घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंदियों के लिए शुरू होने वाले तकनीकी कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन रविवार को झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति में गुण और दोष होता है, लोग परिस्थितिवश अपराध कर जेल जाते हैं.
उन्होंने कहा कि सजा का मतलब यह नहीं कि जीवन समाप्त हो गया है. इस दौरान श्री सिंह ने देश के विकास में प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तिगत योगदान के महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जेल में बंदियों को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की अच्छी पहल की गयी है, ताकि जेल से निकलने के बाद वे समाज की मुख्यधारा से जुड़े.
वहीं कार्यक्रम में डीसी अमित कुमार ने कहा कि जेल से निकलने के बाद बंदियों को व्यवसाय भी मिलेगा. इससे पूर्व जेल पहुंचने पर प्रधान जिला जल मनोज प्रसाद, डीसी अमित कुमार, एसएसपी अनूप बिरथरे, डालसा सचिव एसएन सिकदर, जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी सहित, जेलर बालेश्वर प्रसाद, सहायक जेलर अंजय श्रीवास्तव सहित जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों ने हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंहका स्वागत किया. साथ ही गार्ड ऑफ ऑनर के उपरांत झारखंड हाइकोर्ट के जज ने कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया.
न्यायमूर्ति को बंदी शादाब ने भेंट की तस्वीर : जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदी शादाब उर्फ ननका ने न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह को उनकी तस्वीर भेंट की. शादाब ने जेल में ही न्यायमूर्ति की तस्वीर पेंटिंग कर बनायी. इस दौरान न्यायमूर्ति ने जेल में स्वच्छता की प्रशंसा की.
कौशल और मूल्य आधारित प्रशिक्षण मिलेगा
जेल में लंबे समय से सजा काट रही महिला और पुरुष बंदियों को कौशल और मूल्य आधारित प्रशिक्षण दिया जायेगा. योजना के पहले चरण में पहले बैच में लगभग 40 बंदियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. बंदियों को कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ दो दिन का सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग भी दिया जायेगा, ताकि उन्हें रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसरों से जोड़ा जा सके. पुरुष बंदियों को प्लंबर, मोबाइल रिपेरिंग, सोलर रिपेरिंग, कंम्प्यूटर ऑपरेटर और महिलाओं को ब्यूटी पार्लर, सिलाई, डिस्पोजेबल गिलास व प्लेट बनाने का तकनीकी प्रशिक्षण दिया जायेगा.
प्रशिक्षण केंद्र सहित जेल का किया भ्रमण
न्यायमूर्ति कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षण केंद्र का भी निरीक्षण किया. इस दौरान बंदियों से उनके कार्य करने की जानकारी ली. वहीं बंदियों ने जज अपरेश कुमार का आदिवासी परंपरा से स्वागत किया. संप्रेक्षण गृह में भी गये न्यायमूर्ति : घाघीडीह सेंट्रल जेल पहुंचने के बाद न्यायमूर्ति अपरेश कुमार ने संप्रेक्षण गृह का भी दौरा किया. इस दौरान बच्चों से उन्होंने बातचीत की.

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