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शत्रु संपत्ति मामला : अंचलाधिकारी ने प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट, वर्तमान में जमीन आइन अहमद के नाम से दर्ज

टाटा स्टील ने 17 दिसंबर 2007 को आइन अहमद के नाम किया जमीन का नामांतरण जमशेदपुर : चिह्नित शत्रु संपत्ति (धातकीडीह बी ब्लाक मकान नंबर 101) की जांच रिपोर्ट अंचलाधिकारी महेश्वर महतो ने अपर उपायुक्त सौरव कुमार सिन्हा को सौंप दी है. रिपोर्ट में बताया है कि उक्त जमीन टाटा लीज की है अौर टाटा […]

टाटा स्टील ने 17 दिसंबर 2007 को आइन अहमद के नाम

किया जमीन का नामांतरण

जमशेदपुर : चिह्नित शत्रु संपत्ति (धातकीडीह बी ब्लाक मकान नंबर 101) की जांच रिपोर्ट अंचलाधिकारी महेश्वर महतो ने अपर उपायुक्त सौरव कुमार सिन्हा को सौंप दी है. रिपोर्ट में बताया है कि उक्त जमीन टाटा लीज की है अौर टाटा स्टील ने माहवारी रेंट पर मदार खान को आवंटित की थी.

वर्तमान में जमीन आइन अहमद के नाम से दर्ज है अौर जमीन पर चार मंजिला मकान बना है. एडीसी के निर्देश पर अंचलाधिकारी ने अंचल अमीन अौर राजस्व कर्मचारी से शत्रु संपत्ति की जांच करायी. रिपोर्ट में बताया गया है कि जमीन जमशेदपुर अक्षेस के वार्ड नंबर 3, खाता नंबर 85, रकबा प्वाइंट 0065 हेक्टेयर (पक्का मकान) को टाटा स्टील द्वारा एक जनवरी 1956 को चालीस वर्षों के माहवारी रैयत मदार खान के नाम हाल सर्वे खतियान में निबंधित है. वह जमीन निबंधित केवाला संख्या 1841 तारीख 13 मार्च 1984 को दखलकार खतियानी रैयत की पत्नी हाजरा बीबी एवं उनके एक पुत्र व चार पुत्री द्वारा हिदायत खान को बिक्री की गयी थी. हिदायत खान ने निबंधित केवाला संख्या 2336, तारीख 2 अप्रैल 1991 के द्वारा आइन अहमद पिता अनवर अहमद को जमीन की बिक्री कर दी.

टाटा स्टील द्वारा 17 दिसंबर 2007 को नामांतरण आइन अहमद के नाम किया गया अौर वर्तमान में जमीन आइन अहमद के नाम से दर्ज है. सौंपी जांच रिपोर्ट में अंचलाधिकारी ने कहा है कि जमीन के हस्तांतरण के संबंध में किसी प्रकार की स्वीकृति-अनुमति नहीं ली गयी अौर वर्तमान में जमीन पर चार मंजिला भवन है.

शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज करने में तकनीकी पेंच

जमशेदपुर : शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय द्वारा घोषित शत्रु संपत्ति (धातकीडीह बी ब्लाक मकान संख्या 101) के टाटा लीज जमीन के रूप में सामने आने पर अब उसे शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज करने में तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गयी है. लीज जमीन की स्थिति में उसका स्वामित्व सरकार की तथा उसके बाद टाटा स्टील की है, ऐसी स्थिति में वह मदार खान की छोड़ी हुई संपत्ति नहीं मानी जायेगी अौर उसे शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज करने में तकनीकी समस्या उत्पन्न होगी.

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