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सीजीपीसी के प्रधान का चुनाव, मुखे ने नामांकन नहीं किया, मंटू काे गुरमुखी नहीं आती
सीजीपीसी के प्रधान का चुनाव : समिति के संयाेजक हरनेक सिंह ने बताये दावेदारी रद्द करने के कारण जमशेदपुर : सीजीपीसी चुनाव संचालन समिति के संयाेजक हरनेक सिंह ने बताया कि सीजीपीसी प्रधान पद के प्रत्याशी गुरमुख सिंह मुखे ने चुनाव लड़ने संबंधी किसी तरह का आवेदन नहीं दिया था. उन्हाेंने सिर्फ अपने दस प्रस्तावकाें-समर्थकाें […]
सीजीपीसी के प्रधान का चुनाव : समिति के संयाेजक हरनेक सिंह ने बताये दावेदारी रद्द करने के कारण
जमशेदपुर : सीजीपीसी चुनाव संचालन समिति के संयाेजक हरनेक सिंह ने बताया कि सीजीपीसी प्रधान पद के प्रत्याशी गुरमुख सिंह मुखे ने चुनाव लड़ने संबंधी किसी तरह का आवेदन नहीं दिया था. उन्हाेंने सिर्फ अपने दस प्रस्तावकाें-समर्थकाें के नाम लिखित रूप से जमा कराये थे, ऐसे में जब उनकी दावेदारी की जांच हुई, ताे उनकी उम्मीदवारी काे खारिज कर दिया गया. जब उन्हाेंने चुनाव लड़ने संबंधी आवेदन ही नहीं दिया, ताे उनकी दावेदारी कैसी. इसी तरह साकची गुरुद्वारा के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू की उम्मीदवारी की जांच की गयी.
उन्हाेंने उम्मीदवारी संबंधी आवेदन ताे दिया था, लेकिन उन्हें गुरमुखी लिखनी-पढ़नी नहीं आती, ऐसे में सीजीपीसी-गुरुद्वारा संविधान के तहत ऐसा काेई भी व्यक्ति प्रधान पद की दावेदारी नहीं कर सकता है, जिन्हें गुरमुखी का ज्ञान नहीं हाे. तीसरे दावेदार हरमिंदर सिंह मिंदी के दावाें की जांच की गयी. उनके आवेदन काे सही पाया गया. उन्हें गुरमुखी लिखने-पढ़ने का भी उचित ज्ञान था. ऐसे में दाे उम्मीदवाराें के दावे खारिज करने के बाद तीसरे का सही पाये जाने पर उन्हें सीजीपीसी का नया प्रधान बनाये जाने संबंधी पत्र चुनाव समिति की आेर से जारी कर दिया गया.
हरनेक सिंह ने कहा कि स्क्रूटनी के बाद तीनाें प्रत्याशियाें काे उनके बारे में जानकारी लिखित रूप से प्रदान की गयी. इसके विराेध में उन लाेगाें ने सीजीपीसी कार्यालय में विराेध किया फिर तालाबंदी कर दी.
स्वाभाविक है कि किसी भी प्रत्याशी के साथ ऐसी परिस्थिति हाेगी, ताे वह विराेध करेगा ही. एक-दाे दिनाें में उनका गुस्सा शांत हाे जायेगा. तालाबंदी की है, ताे उसे खुलवाना प्रशासन का काम है. मुखे पूर्व में भी चुनाव लड़ चुके हैं. उनके द्वारा नामांकन नहीं देना अचंभे वाली बात है, ऐसी गलती उनसे कैसे हाे गयी, वे खुद आश्चर्यचकित हैं. उम्मीदवार काे पहले एक पत्र लिखना पड़ता है. काेई यह आराेप नहीं लगा सकता है कि उन्हाेंने गलत किया, जितने पत्र स्वीकार किये, उनकी रिसीविंग उन्हें दी गयी है.
सितंबर में हरविंदर सिंह मंटू ने आवेदन दिया था. पांच माह में वे प्रयास करते ताे गुरमुखी सीख जाते. जाे संविधान में लिखा था, उसी के अनुसार उन्हाेंने काम किया. मानगाे गुरुद्वारा के प्रधान भगवान सिंह ने अपना जवाब सीजीपीसी चुनाव समिति काे साैंप दिया था, जिससे कमेटी संतुष्ट थी.
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