जमशेदपुर: दो साल पहले पापा का देहांत हो गया. मैं आठवीं में थी. पापा तारापोर कंपनी में काम करते थे. पापा के देहांत के बाद हम टूट गये थे. एक तो पापा के जाने का गम और दूसरा कि अब गुजर बसर कैसे होगा? कोई भी मदद को सामने नहीं आ रहा था.
सबसे बुरा हाल मम्मी का था. लेकिन उन्होंने हमारा चेहरा देखा और फिर खुद को संभाला. मम्मी ने दूसरों के घरों में काम करना शुरू किया और मंगलवार का दिन उनके लिए सबसे खुशी का दिन था. वजह थी कि बेटी अंजलि धानसेन ने मैट्रिक की परीक्षा में उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया.
अंजलि को मैट्रिक की परीक्षा में 88.6 फीसदी अंक हासिल हुए. इससे पहले अंजलि के बारे में जानने के लिए जब प्रभात खबर की टीम उसके बताये गये पते पर पहुंची,तो पाया कि अंजली का परिवार नीलडीह इनक्लेव के बंगले नंबर 1 में रहता है. प्रथम दृष्टया लगा कि अंजली का परिवार संपन्न है, लेकिन जब अंदर गये इसके बाद जो कुछ देखा और सुना वह बिल्कुल अलग था. दरअसल, अंजली की मां लिलियन धानसेन उक्त आउट हाउस में काम करती है. वह कुमी बसानिया के यहां खाना बनाती है, और उसे खाना बनाने के एवज में प्रति महीने 3000 रुपये मिलते हैं.
इसी 3000 रुपये में जिंदगी की गाड़ी चलती है. इसी में दो बच्चे को पढ़ाया भी जाता है. लिलियन के अनुसार उनके पति का देहांत ब्लड प्रेशर की वजह से हो गयी थी. उन्हें हर महीने 2000 रुपये पेंशन मिलती है. बच्चों को पढ़ाने के लिए कंपनी की ओर से 400 रुपये दी जाती है. इसी पैसे से गुजारा होता है. अंजली ने बताया कि वह इंजीनियर बनना चाहती है. पैसे की तंगी को दूर करने को लेकर वह खुद बच्चों को टय़ूशन पढ़ाती है.