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मैनेजमेंट ने कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों के मामले में श्रम विभाग को सौंपा जवाब, निबंधितों को नौकरी कंपनी का क्षेत्राधिकार
जमशेदपुर : टाटा स्टील प्रबंधन ने श्रम विभाग को जवाब सौंपते हुए कहा है कि पंजीकृत कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों को नौकरी देने के मामले में दबाव नहीं बनाया जा सकता है. यह कंपनी का क्षेत्राधिकार है. इसमें श्रम विभाग का हस्तक्षेप कानून सम्मत नहीं है. तीन पन्ने के जवाब के साथ प्रबंधन ने सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट (प्रमाणित […]
जमशेदपुर : टाटा स्टील प्रबंधन ने श्रम विभाग को जवाब सौंपते हुए कहा है कि पंजीकृत कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों को नौकरी देने के मामले में दबाव नहीं बनाया जा सकता है. यह कंपनी का क्षेत्राधिकार है. इसमें श्रम विभाग का हस्तक्षेप कानून सम्मत नहीं है. तीन पन्ने के जवाब के साथ प्रबंधन ने सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट (प्रमाणित करने वाले दस्तावेज) भी सौंपा है. हाल ही में उपश्रमायुक्त द्वारा टाटा स्टील प्रबंधन को एक पत्र लिखा गया था निबंधित पुत्रों की मांग को देखते हुए उन्हें नौकरी देने की गुजारिश की गयी ती. उस पत्र का जवाब वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी ने दिया है.
कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों को मिलती है बहाली में प्राथमिकता : पत्र में कहा गया है कि टाटा स्टील में सिर्फ निबंधित पुत्र-पुत्री होने मात्र से नौकरी नहीं दी जा सकती है. इसके लिए उम्मीदवार की उम्र, कंपनी की जरूरत, योग्यता देखी जाती है. इसे लेकर कंपनी समय-समय पर बहाली निकालती रही है. कंपनी की ओर से बताया गया कि प्रबंधन ने मई 2009 में सिक्यूरिटी हैंड की बहाली ली थी. सितंबर 2010 में डिप्लोमा होल्डर तथा मार्च 2011 में यूटिलिटी हैंड 1 के लिए बहाली हुई थी. दिसंबर 2015 में एक्सपीरियेंस अप्रेंटिस और जून 2016 में भी जूनियर इंजीनियर और एक्सपीरियेंस अप्रेंटिस की बहाली निकाली गयी थी. उपरोक्त बहाली कर्मचारी पुत्र व पुत्रियों के तहत ही ली गयी है, जिसके तहत यूनियन के साथ वार्ता की गयी है.
हाइकोर्ट के फैसले का दिया हवाला
टाटा स्टील प्रबंधन की ओर से बताया गया है कि निबंधित पुत्रों द्वारा झारखंड हाइकोर्ट में बहाली करने को लेकर एक केस दायर किया गया था, जिसको 14 अक्तूबर 2014 को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद 20 जुलाई 2015 को भी झारखंड हाइकोर्ट ने भी इस पर किसी तरह की रोक नहीं लगायी है. वैसे रजिस्टर्ड रिलेशन को नौकरी देने का मसला आइडी एक्ट के अंतर्गत नहीं आता है. क्योंकि कंपनी कर्मचारी के 25 साल काम करने के बाद अपनी मर्जी से कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों का रजिस्ट्रेशन करती है. यह कंपनी का आंतरिक मामला है, जिस पर श्रम विभाग हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. कंपनी प्रबंधन ने कहा है कि जब भी बहाली निकलेगी, उसमें कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों को प्राथमिकता दी जाती है और आगे भी दी जाती रहेगी, लेकिन इसके लिए उनमें योग्यता जरूरी है.
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