सुनवाई के दौरान सिर्फ एक व्यक्ति राजेश कुमार ने ही अपनी आपत्ति जतायी, जिसमें टाटा पावर के टैरिफ और कंपनी के कई कार्यों को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया. इस दौरान टाटा पावर के प्लांट हेड वीवी नामजोशी भी मौजूद थे. मौके पर कस्टमर के तौर पर टाटा स्टील और जुस्को के अधिकारी भी थे. इस दौरान टाटा पावर ने राजेश कुमार के उठाये गये सवालों का लिखित तौर पर जवाब देने की बात कही. जिसके बाद अध्यक्ष के संबोधन के बाद जनसुनवाई पूरी हुई.
जमशेदपुर व आसपास के आम उपभोक्ता पर पड़ेगा असर
- जमशेदपुर क्षेत्र में टाटा कमांड एरिया में टाटा स्टील ही जुस्को के माध्यम से बिजली देती है, जिसकी खरीद टाटा स्टील टाटा पावर से ही करती है. अगर टाटा पावर रेट बढ़ायेगी तो टाटा स्टील और जुस्को की बिजली भी महंगी हो जायेगी.
- आदित्यपुर से लेकर पूरे सरायकेला-खरसावां जिले में जुस्को को बिजली देने का लाइसेंस प्राप्त है. टाटा पावर ही जुस्को को बिजली देती है और जहां से बिजली की सप्लाइ सरायकेला-खरसावां जिले में कर रहा है.
- जुस्को और टाटा स्टील पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा तो कंपनी आम उपभोक्ताओं पर ही नये बिजली के दर का बोझ बढ़ायेगी.
- टाटा पावर का वैरिएबल चार्ज 2 रुपये 72 पैसे प्रति यूनिट की वित्तीय वर्ष 2014-15 में ही मंजूरी दी गयी थी. टाटा पावर ने अपने टैरिफ के लिए दिये आवेदन में कहा है कि वर्तमान में 2 रुपये 77 पैसे प्रति यूनिट का खर्च उनकी कंपनी पर पड़ रहा है. पहले उसके अनुसार टैरिफ कर दिया जाये. फिर वित्तीय वर्ष 2020 तक कोयला का दाम चूंकि कम हो गया है, इस कारण वे 2 रुपये 65 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से टैरिफ कम करना चाहते हैं, हालांकि, अभी वे लोग रेट बढ़ा देना चाहते हैं.
- टाटा पावर का फिक्स चार्ज प्रति वर्ष 86 करोड़ की वित्तीय वर्ष 2014-2015 में मंजूरी दी गयी थी. टाटा पावर का दावा है कि अभी कंपनी को 134 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ रहा है, जिसके दर से पैसे की वसूली करने की दी जाये. वित्तीय वर्ष 2020 तक रेट को वे कम करेंगे. प्रस्ताव में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2015-2016 में 134 करोड़ सालाना वसूलेंगे, लेकिन 2016-2017 में 104 करोड़, 2017-2018 में 111 करोड़, 2018-19 में 118 करोड़, 2019-2020 में 126 करोड़ जबकि वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 128 करोड़ खर्च वे लोग करना चाहते हैं.