ट्यूब डिवीजन में 40 फीसदी ही काम होता है. कंपनी सिर्फ वहां क्वालिटी चेक व सप्लाइ व एकाउंटिबिलिटी के लिए ऑफिसरों को रखना चाहती है, जबकि कर्मचारियों पर होने वाले खर्च को कम करने करना चाहती है.
यही वजह है कि वहां से सुरक्षाकर्मियों को भेज दिया गया है. इससे पहले भी कैंटीन के कर्मचारियों को भी टाटा स्टील में शिफ्ट कर दिया गया. अब ट्यूब की हेड एचआरएम श्रुति चौधरी ने वहां के कमेटी मेंबरों को बुलाकर साफ तौर पर कह दिया है कि वे लोग कर्मचारियों को यह मोटिवेट करें कि कर्मचारी स्वत: वीआरएस या इएसएस ले लें, क्योंकि इतना ज्यादा खर्च कंपनी नहीं वहन करना चाहती है.