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व्यापारी व टाटा स्टील कर्मी करते हैं यहां नमाज अदा, शहर के दिल में बसती है बिष्टुपुर मस्जिद
जमशेदपुर: बिष्टुपुर टीआर टाइप र्क्वाटर एरिया की एकमात्र मसजिद पूरे इलाके की शान समझी जाती है. इस मसजिद में नमाज पढ़नेवालाें में अधिकांश व्यवसायी, दुकानदार आैर टाटा स्टील के कर्मचारी हाेते हैं. शहर के बीच में बसी यह मसजिद लाेगाें काे काफी भाति है. 77 वर्ष पूर्व अर्थात अरबी तिथि के अनुसार इसलामी माह इदुल […]
जमशेदपुर: बिष्टुपुर टीआर टाइप र्क्वाटर एरिया की एकमात्र मसजिद पूरे इलाके की शान समझी जाती है. इस मसजिद में नमाज पढ़नेवालाें में अधिकांश व्यवसायी, दुकानदार आैर टाटा स्टील के कर्मचारी हाेते हैं.
शहर के बीच में बसी यह मसजिद लाेगाें काे काफी भाति है. 77 वर्ष पूर्व अर्थात अरबी तिथि के अनुसार इसलामी माह इदुल फित्र के 19 शिववाल 1360 हिजरी वर्ष 1955 में इसकी संग ए बुनियाद रखी गयी. टाटा स्टील की स्थापना के बाद बिष्टुपुर बाजार के व्यापारियों एवं कंपनी के मुलाजिमों के लिए मसजिद जरूरत के अनुसार स्थापित की गयी थी. लगभग सात दशक पुरानी यह मसजिद नये लुक में नजर आ रही है. इसकी तजदीदकारी (जीर्णोद्वार) का कार्य जोर शाेर से चल रहा है. वर्षाें से मसजिद की तामीर और इसके विस्तार के लिए मरहूम हाजी नजीर, मरहूम इनायतुल्लाह खान के खिदमात (सेवाएं) काफी यादगार है. वर्तमान में हाजी नजीर पुत्र मेराज अहमद मसजिद कमेटी के सदर हैं, जबकि उसमान अली खान सचिव एवं काेषाध्यक्ष के पद पर शेख वाहिद अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. माैजूदा समय में दो मंजिला इमारत में नमाज हो रही है. जुमा के दिन दो हजार से अधिक नमाजी नमाज अदा करते हैं. मसजिद में पहले तल पर सात सफे अंदरूनी हिस्से में है, जबकि पांच सफें (पंक्तियां) बाहर है.
एक सफ में लगभग 48-50 व्यक्ति नमाज अदा करते हैं. नमाज ए जुमा में पहले और दूूसरे मंजिलों पर कुल मिलाकर 3000 नमाजी नमाज पढ़ते हैं. पिछले दरवाजे और मीनार की तामीर का काम जारी है. बैतुलखुला (शाैचालय) का अलग से इंतजाम है. जिसकी नियमित साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. मसजिद के अंदरूनी भाग में पुट्टी और पेटिंग के साथ-साथ मार्बल का काम लगभग समाप्त हाे चुका है. बाहरी फिनिसिंग का काम भी पूर्ण कर लिया गया है. मसजिद के सभी सुतूनों में मार्बल लगाया गया है. यहां ईद की नमाज भी पढ़ी जाती है.
बिष्टुपुर का क्षेत्र बाजार एरिया हाेने के कारण व्यापारी व दुकानदार दिनभर व्यवसाय के साथ-साथ नियमित पंजेगाना नमाज में शामिल हाेते हैं, जिससे यहां अक्सर काफी भीड़ दिखती है. मसजिद का गुंबद दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मसजिद के दोनों ओर प्रवेश-निकास द्वार है, जाे नमाजियाें की भीड़ काे कंट्राेल करने में काफी सहायक है. रमजान के पाक माह में आेड़िशा के बरगढ़ के हाफिज फैजान रजा अपनी खूबसूरत आवाज में नमाजे तरावीह पढ़ा रहे हैं.
जिस माल की जकात अदा कर दी जाती है, उसकी जमानत अल्लाह लेता है
हुक्म खुदावंदी है, जिस माल की जकात अदा कर दी जाती है, उसकी जमानत अल्लाह लेते हैं. उस माल काे न तो चोर चोरी कर सकता है और न ही आग उसे जला सकती है. बल्कि जिस माल की जकात अदा की जाये, उस माल में इजाफा होता है. जकात का असल मकसद यह है की जकात उन लोगों को दी जाये जो वास्तव में गरीब हैं. उन्हें उस लायक बना दिया जाये की वह खूद समृद्ध होकर जकात अदा करने के अहल हो जाएं, अर्थात वे इतने संपन्न हो जायें कि दूसरों को जकात प्रदान करें. इससे समाज में मसावात (समता) और बराबरी का माहौल कायम होगा, यही अल्लाह की तरफ से जकात दिये जाने का या गरीब लोगों के बीच जकात की रकम की अदायगी का उद्देश्य है. दरअसल जकात अमीरों के माल में गरीबों का निर्धारित हिस्सा है. मजहब ए इसलाम में जकात माल का दिया जाता है, जबकि रोजे के लिए फितर ए की रकम ईद की नमाज से पूर्व अदा की जानी है, ताकि वे लोग भी ईद की खुशी में शामिल हो सके, जो बहुत गरीब और निर्धन हैं. जकात की अदायगी इसलाम में बराबरी और समतामूलक समाज के निर्माण का संदेश है. मौलाना इजहार अहमद, खतीब व पेश ए इमाम, बिष्टुपुर मसजिद
नन्हीं रोजेदार
जुगसलाई पुरानी बस्ती फिश लाइन के अधिवक्ता गुलाम सरवर की सात साल की बेटी सदफ सरवर उर्फ आइशा ने राेजा रखा है. माह ए रमजान में अब तक वह लगातार राेजे रख रही है. बिष्टुपुर स्थित श्रीकृष्णा पब्लिक स्कूल में वह पहली कक्षा की छात्रा है. परिवार में सभी सदस्य उसका खूब ख्याल रख रहे हैं.
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