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हजारीबाग संसदीय सीट से प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही संघर्ष रोमांचक, जयंत पर भारी पड़े विधायक मनीष जायसवाल

हजारीबाग संसदीय सीट में राजनीतिक समीकरण का हमेशा असर रहा है. 1952 से लेकर 1968 तक राज परिवार के मोह में चुनावी समीकरण बनते रहे हैं.

हजारीबाग : भाजपा ने लोकसभा चुनाव की पहली सूची में हजारीबाग सीट का प्रत्याशी बदल दिया. जयंत सिन्हा पर विधायक मनीष जायसवाल भारी पड़ गये. मनीष जायसवाल लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में भाजपा का नया चेहरा होंगे. प्रत्याशी की घोषणा होते ही चुनाव रोमांचकारी हो गया है. हजारीबाग से दो बार सांसद रहे जयंत सिन्हा ने शनिवार को अचानक लोकसभा चुनाव से बाहर रहने की घोषणा कर दी है. जयंत सिन्हा अब चुनावी मैदान से बाहर हो गये थे. जयंत सिन्हा के चुनावी मैदान से बाहर जाने को लेकर कई तरह मायने लगाये जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि जयंत सिन्हा ने खुद यह निर्णय लिया है या फिर आलाकमान के संकेत के बाद दूर रहने का फैसला किया. मनीष जायसवाल हजारीबाग से विधायक हैं. मनीष जायसवाल को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद विपक्षी दलों की रणनीति भी बदलनी पड़ सकती है.

हजारीबाग संसदीय सीट में राजनीतिक समीकरण का हमेशा असर रहा है. 1952 से लेकर 1968 तक राज परिवार के मोह में चुनावी समीकरण बनते रहे हैं. कांग्रेस ने राष्ट्रीय पार्टी में स्थानीय व क्षेत्रीय दलों को शामिल कर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया. कांग्रेस ने क्षेत्रीय दल के रूप में झारखंड पार्टी को अपने साथ शामिल किया. जयपाल सिंह की अगुवाई वाली पार्टी को साथ कर हजारीबाग चुनावी रणनीति को बदलने की शुरूआत की. इसके बाद ही 1971 में कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत मिली. इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानुभूति लहर और कांग्रेस को मिली बड़ी जीत में सेंधमारी भाजपा ने भावनात्मक व धार्मिक मुद्दे को आधार बनाकर की व सफलता पायी. 1989 में भाजपा का खाता इस सीट से खुला. स्थानीय, क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को एक बार फिर से प्रभावी बनाने में भाकपा उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता सफल हुए. वहीं गठबंधन दलों की राजनीति भी इस सीट पर 2004 के चुनाव में दिखी. जब कांग्रेस, राजद और वामदल मिलकर संयुक्त उम्मीदवार ने भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया.

आज भी अधूरी पड़ी हैं दर्जनों परियोजनाएं

हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के अधीन सभी पांच विधानसभा क्षेत्र हजारीबग सदर, बरही, बड़कागांव, मांडू और रामगढ़ की भौगोलिक बनावट, आधारभूत संरचना के हिसाब से मुद्दे अलग-अलग हैं. हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में अधिकांश प्रखंड कृषि प्रधान हैं. लेकिन, कृषि के पेशे को गति देने के लिए ठोस प्रयास नहीं हुए हैं. बरही विधानसभा में पड़ने वाले बक्सा डैम व चौपारण स्थित चैथी गांव का नहर निर्माण अधूरा है. बड़कागांव में उद्धव सिंचाई योजना अधूरी है. हहारो नदी में निर्माण कार्य बंद है. केरेडारी में घाघरा डैम नहर निर्माण कार्य आज भी अधूरा है. कोनार नहर सिंचाई परियोजना, टाटीझरिया प्रखंड बोधा डैम में नहर निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है.

रामगढ़ विधानसभा में भैरवा जलाशय से अधूरा नहर निर्माण समेत कई सिंचाई परियोजनाएं आज भी मुद्दा हैं. युवाओं को रोजगार देने वाले कल-कारखाने लगाने, निजी क्षेत्रों के कंपनी में 75 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोजगार देने, कोयला खनन क्षेत्रों में विस्थापन-पुनर्वास व रोजगार अहम मुद्दा है. वर्षों से इन मुद्दों को लेकर आवाज उठती रही है. वर्षों से ये चुनावी मुद्दा हैं. बड़कागांव, मांडू और रामगढ़ के कोयला खनन क्षेत्र में आउट-सोर्सिंग कंपनी में कार्यरत कामगारों को हाई पावर कमेटी से अनुशंसित वेतनमान नहीं मिल रहा है. सीसीएल और अन्य कोल खनन कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद नौकरी व रैयतों को मुआवजा नहीं मिलने का मामला भी मुद्दा बना हुआ है.

50,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश

सांसद जयंत सिन्हा ने दावा किया है कि दस वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश संसदीय क्षेत्र में हुआ है. यह झारखंड में सबसे ज्यादा है. 15 बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा गया. कोडरमा-हजारीबाग-रांची रेललाइन पूरा होते ही वंदे भारत एक्सप्रेस, इंटरसिटी पैसेंजर ट्रेन हजारीबाग से चल रही हैं. 750 करोड़ की लागत से हजारीबाग में मेडिकल कॉलेज बना. 750 करोड़ की लागत से 25 एकड़ में 500 बेड का विश्वस्तरीय अस्पताल बन रहा है. 20 हजार करोड़ के निवेश से चार हजार मेगावाट का पीवीयूएनएल थर्मल पावर प्लांट बन रहा है. यहां छह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. अक्षयपात्र योजना कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि है.

इसके तहत हजारीबाग में 30 करोड़ और रामगढ़ में 28 करोड़ की लागत से दो बड़े रसोईघर बनने ‍है‍‍. डेढ़ लाख बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक खाना उपलब्ध होगा. पांच हजार करोड़ का राष्ट्रीय राजमार्ग का काम हुआ है. हजारीबाग-बरही बाइपास, रामगढ़ में चुटूपालू फ्लाई ओवर बना. भारत माला परियोजना के तहत हजारीबाग-बनारस-कोलकाता सड़क बन रही है. विनोबा भावे विवि में आधुनिक संसाधनों के साथ उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए 100 करोड़ उपलब्ध कराये गये है. हजारीबाग शहर के घर-घर में गैस पाइप लाइन देने की योजना अंतिम चरण में है. कोनार पेयजल योजना के तहत 200 किमी पाइपलाइन बिछाकर कोनार डैम से पानी घरों तक पहुंचेगा. इसमें विष्णुगढ़, टाटीझरिया, दारू और शहर के 80 हजार घरों में पानी पहुंचना है.

कोयलांचल के लोगों की परेशानी बढ़ी है

2019 में हजारीबाग लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल साहु चुनाव लड़े थे. भाजपा उम्मीदवार जयंत सिन्हा से पराजित होकर दूसरे स्थान पर रहे थे. गाेपाल साहु ने कहा कि मैं झारखंड का पुत्र हूं. हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से रिश्ता हमेशा है. चुनाव में हार-जीत अपनी जगह है. हजारीबाग के युवाओं को रोजगार दिलाने, विस्थापितों को अधिकार व सम्मान दिलाने और सामाजिक समरसता का काम करने की इच्छा थी. फिर भी हजारीबाग लोकसभा की जनता ने कम समय में जो प्यार और समर्थन दिया था. उसे मैं संजोये हुए हूं. हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में कोयलांचल के लोगों की परेशानी काफी बढ़ रही है. युवाओं को रोजगार, विस्थापितों को पुनर्वास नहीं मिल रहा है. शहर को शिक्षा हब बनाने के लिए भी मेरी पार्टी के उम्मीदवार आनेवाले दिनों में काम करेंगे.


मजेदार रहा है हजारीबाग क्षेत्र का चुनावी इतिहास

हजारीबाग का चुनावी इतिहास भी मजेदार रहा है. हजारीबाग सीट पर 18 बार लोकसभा चुनाव हो चुका है. इसमें भाजपा और जनता पार्टी सात-चार बार जीती है. दो बार लाल झंडा लहराया है. हजारीबाग संसदीय सीट से अभी तक सात- सात बार रामगढ़ राज समर्थित जनता पार्टी और भाजपा उम्मीदवार ने चुनाव जीता. दो-दो बार कांग्रेस पार्टी और सीपीआइ के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है.

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