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चापानल खराब, बांध बना कर गांव तक पहुंचाया पानी

बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के तुसरू कोना के आदिम जनजातियों ने श्रमदान कर बांध बनाया है. प्रखंड मुख्यालय से तुसरू कोना गांव की दूरी 20 किमी है. नेतरहाट की तराई में बसे इस गांव में आदिम जनजातियों के कुल 36 घर हैं. गांव के प्रेम प्रकाश बिरिजिया ने बताया की गांव में सबसे बड़ी समस्या […]

बिशुनपुर : बिशुनपुर प्रखंड के तुसरू कोना के आदिम जनजातियों ने श्रमदान कर बांध बनाया है. प्रखंड मुख्यालय से तुसरू कोना गांव की दूरी 20 किमी है. नेतरहाट की तराई में बसे इस गांव में आदिम जनजातियों के कुल 36 घर हैं. गांव के प्रेम प्रकाश बिरिजिया ने बताया की गांव में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है. गांव में सरकारी सुविधा के तहत के सोलर के द्वारा पानी दिया जाना है.
काम का टेंडर जिस ठेकेदार काे मिला, उसने पुराने चापानल में सोलर लगा कर छोड़ दिया. नतीजा चापानल से बहुत कम पानी मिलता है. प्रेम ने बताया कि वे लोग इसकी शिकायत पेयजल विभाग से कर चुके हैं. यहां तक गांव के लोग ब्लॉक में लिखित दरखास्त देकर चापानल बनाने की मांग कर चुके हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अभी तक काम नहीं हो सका है. खामियाजा गांव के लोगों को भुगतान पड़ रहा है. प्रशासन की ओर से किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने के बाद श्रमदान कर बांध बनाये हैं.
बांध बनने से गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा. साथ ही जो फसल पानी के अभाव में सूखने लगा था. उसमें दोबारा हरियाली आयेगी. श्रमदान करनेवालों में महेन्द्र बिरिजिया, बरतू बिरिजिया, सतोष बिरिजिया, श्रीराम बिरिजिया, राजेश बिरिजिया, प्रदीप बिरिजिया, लालु बिरिजिया, नीरज, दिलिप, विकास भारती के कोषाध्यक्ष महेन्द्र भगत, संजय पांडेय, अजय पांडेय सहित कई लोग शामिल थे.

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