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इब्राहिम ने अल्लाह के फरमान को पूरा किया

शैतान इब्लिश हजरत इस्माइल को बहका नहीं सके हजारीबाग : हजरत इब्राहिम अ.स. ने एक रात स्वप्न देखा. अल्लाह ताला का फरमान है कि अपने रब के नाम पर कुरबानी करें. हजरत इब्राहिम ने सुबह उठ कर सौ ऊंट की कुरबानी कर दी. दूसरी रात फिर स्वप्न में हुकूम कुरबानी का आपको मिला. दूसरे दिन […]

शैतान इब्लिश हजरत इस्माइल को बहका नहीं सके

हजारीबाग : हजरत इब्राहिम .. ने एक रात स्वप्न देखा. अल्लाह ताला का फरमान है कि अपने रब के नाम पर कुरबानी करें. हजरत इब्राहिम ने सुबह उठ कर सौ ऊंट की कुरबानी कर दी. दूसरी रात फिर स्वप्न में हुकूम कुरबानी का आपको मिला. दूसरे दिन इब्राहिम ने सौ ऊंट कुरबान किये.

तीसरी रात भी वही स्वप्न देखा. इब्राहिम .. ने अल्लाह से अर्ज किया कि क्या कुरबानी करूं? जवाब मिला कि अपने सबसे प्यारी चीज की कुरबानी करें. इब्राहिम .. ने सोचा सबसे प्यारी चीज मेरा बेटा इस्माइल .. है.

सुबह होने पर इब्राहिम .. ने बीबी हाजरा से कहा कि इस्माइल .. को नहला धुला कर नया कपड़ा पहना कर तैयार करो. मां ने इस्माइल .. को तैयार कर इब्राहिम .. को सौंप दिया. इसी बीच इब्राहिम .. रस्सी और छुरी भी साथ में रख लिया.

इब्लिश शैतान इसके बाद इब्राहिम .. की पत्नी हाजरा के पास गया. शैतान ने कहा कि इब्राहिम .. इस्माइल .. को कहां ले गये हैं. बीबी हाजरा ने बताया कि एक दावत में ले गये हैं. इस पर इब्लीश शैतान ने कहा कि यह बात नहीं है.

इस्माइल .. को अल्लाह की राह में जिबह करने के लिये गये हैं.बीबी हाजरा ने कहा कि क्या बाप अपने बेटे को जबाह कर सकता है? इस पर शैतान ने जवाब दिया कि अल्लाह का हुक्म है. बीबी हाजरा ने आगे कहा कि अल्लाह की इच्छा है, तो मुझे भी खुशी है. शैतान इब्लिश का यहां पर दांवपेंच नहीं चल पाया. तो शैतान फिर इस्माल .. के पास गया.

शैतान ने बहकाने की कोशिश की. कहा तुझे मालूम है कि तुम्हारे पिता इब्राहिम .. कहां ले जा रहे हैं? इस्माल .. ने अंतिम रूप से शैतान को यह कह दिया कि अगर मेरी जान की कुरबानी अल्लाह ताला कुबूल कर ले तो एक जान क्या, हजार जान भी हो तो भी कुरबान कर देंगे.

क्या कर्ज लेकर भी कुर्बानी करनी होगी?

फतावा अम्जदिय्या जिल्द तीन सफहा 315 पर है.अगर किसी पर कुरबानी वाजिब हो और उस वक्त उसके पास रुपये नहीं हैं. तो कर्ज लेकर या कोई चीज फरोख्त कर के कुरबानी करे.मुफ्ती साहेब फरमाते हैं कि गरीबों की कुरबानी, बल्कि जो कुरबानी कर सके, वह भी इस शराह (यानी जुल हिज्जतिल हराम के इब्तिदाई दस अय्याम) में हजामत कराये. बकरीद के दिन बादे नमाज ईद हजामत कराये तो कुर्बानी का सबाब मुस्तहब पायेगा.

कुरबानी वाजिम होने के लिए कितना माल होना चाहिये ?

हर मुसलिम मालिके निसाब पर कुरबानी वाजिब है.मालिके निसाब से मुराद यह है कि उस व्यक्ति के पास साढ़े 52 तोले चांदी,साढ़े सात तोला सोना या उतनी मालिय्यत की रकम या तिजारत का माल या सामान हो.उस व्यक्ति पर इतना कर्ज हो, जिसे अदा कर के जिक्र कर्दा निसाब बाकी रहे.

हजरत इमामे अहले सुन्नत मुजुद्दिदे दिनों मिल्लत मौलाना शाह इमाम अहमद रजा खान से सवाल किया गया कि अगर किसी के पास रहने के रिहाइशी मकान के अलावा एक दो और मकान हो तो उस पर कु रबानी वाजिब होगी.मापदंड के अनुसार मकान की कीमत ज्यादा है तो कुरबानी वाजिब है.

कुरबानी का गोश्त तीन हिस्सों में बांटे

कुरबानी का गोश्त तीन हिस्सा करें.एक हिस्सा गरीबों के बीच बांटे.दूसरा हिस्सा दोस्त रिश्तेदारों को दें और तीसरा हिस्सा अपने घरवालों के लिये रखें.अगर सारा गोश्त खुद भी रख लिया, तब भी कोई गुनाह नहीं है. मौलाना मो हेशाम अहमद इमाम औलिया मसिजद, दाता मदाराशाह मजार हजारीबाग

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